कोदूराम वर्मा-- भाग एक -- श्रवण के सेवा
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( रमा अपन दादी ले काहत हावय " चल दादी कहानी सुना।")
दादी -- थोरिक देर रुक जा , मैं पहिली सबके बिस्तर लगा लेथंव।
रमा -- दादी चल मैं तोर मदद करत हंव।
( रमा दादी के संग संग गद्दा बिछइस संग म चादर दसाइस, तकिया रखिस। गोड़तरिया म ओढ़े के चादर रखिस।)
दादी -- शाबाश रमा तैं बढ़िया नोनी आस।
रमा -- दादी कहिनी?
दादी -- हाँ हाँ चल अपन बिस्तर म बइठ जा, मैं कहानी सुनावत हंव।
रमा -- हाँ दादी
दादी -- तैं मोर काम करथस, मोर पैर दबाथस। अपन माँ के काम करथस। अपन भाई रवि ल भी नहवाथस। गोदी म उठाथस।
रमा -- हाँ हाँ अब आगू बता न दादी।
दादी -- एक श्रवणकुमार रहिस हे। ओ ह अपन माँ पिताजी के बहुत सेवा करय। ओखर माँ पिताजी ल दिखाई नइ देवत रहिस हे।
( रवि दऊंड़त आ के दादी के गोदी म बइठ जथे)
रवि -- दादी मोला तो दिखाई देथे।
( दादी अउ रमा हांसे ले लगगे)
रमा -- अरे बुद्धु ,दादी तो कहानी सुनावत रहिस हे। श्रवण कुमार के माँ पिताजी ल दिखाई नइ देवत रहिस हे।
रवि -- "अच्छा" हमर घर.सबला दिखाई देथेःद
दादी -- हाँ सबला दिखाई देथे। एक बेर श्रवण ह अपन माँ पिताजी ल कांवर म बइठा के तीर्थ यात्रा बर निकलथे।
रमा -- दादी बस म काबर नइ लेगिस?
रवि -- मैं हवाई जहाज म लेगहुं।
दादी -- बेटा ये बहुत जुन्ना बात आये। ओ समय म बस अउ हवाई जहाज नइ रहिस हे। सब पैदल आना जाना करत रहिन हे। बाद म बइला गाड़ी म आना जाना करत रहिन हे।
रमा -- हाँ दादी ,आगे का होइस?
दादी -- रद्दा म दूनों झन ल प्यास लगथे। श्रवण ह ओमन ल एक तरिया तीर म उतार देथे। एक तुमड़ी ले के पानी बर जाथे।
रमा -- तुमड़ी काये होथे दादी?
दादी -- तुम्बा या छत्तीसगढ़ी म तूमा कहिथें। ये गोल होथे अउ लौकी ह लम्बा होथे। जब फल ह सुखा जथे त येखर मुंहल काट के अंदर के सुखाये गुदा ल निकाल देथें। येमा पानी भरे जाथे। बस्तर म तो येखर ऊपर पेंटिंग करे जाथे। पेंटिंग करके सजाये के भी काम म आथे।
रमा -- दादी रवि सो गया।
दादी -- हाँ ओला सुतन दे, ओ ह अभी छोटे हावय। तैं सुन उंहां राजा दशरथ शिकार करे बर आये रहिस हे। उही तरिया के आस पास रहिस हे।
रमा -- उंहा जंगल म शेर भी रहिस हे का दादी?
दादी -- नहीं बेटा उंहा हिरण रहिस हे। श्रवण ह जइसे ही तुमड़ी ल पानी म डुबइस त डुम के आवाज अइस। दशरथ ह आवाज के दिशा म तीर चला दिस।
रमा -- तीर श्रवण ल नइ लगिस न दादी?
दादी -- नहीं बेटा तीर श्रवण ल लगगे।
रमा -- अरे!
दादी -- दशरथ दऊंड़त अइस के ओखर शिकार होही। फेर ये का ?? ये मेर तो श्रवण रहिस हे। ओ ह पीरा के मारे कलहरत रहिस हे।
रमा -- (आँखी म आँसू आ गे) श्रवण के माँ ल पानी कोन पियाही दादी?
दादी -- श्रवण ह दशरथ ल देख के कहिस के मोर माँ पिताजी ल ये पानी ल पीया देबे। मैं ओ मन ल तीर्थ लेगत रहेंव। ओ मन ल कुछु मत बताबे। अतका कहे के बाद म श्रवण के प्राण ह छूट जथे।
( दशरथ तुमड़ी ले के कांवर तीर जाथे। ओ मन कहिथे-- आ गेस श्रवण, जल्दी पानी पीया बहुत प्यास लगत हावय। दशरथ ह सब बात ल बता देथे। दशरथ ह पानी पी लव कहिथे त ओ मन रोये ले लग जथें।पानी नइ पीन अउ दूनों झन प्राण त्याग देथें।
रमा -- दादी दशरथ ह बिना देखे बाण चलाथे तब भी श्रवण ल कइसे बाण लग जथे?
दादी -- हाँ अइसनो बाण चलाये जाथे येला "शब्द भेदी बाण" कहिथें।
रमा -- ये तो कहिनी मन में होथे सच म थोरे होथे दादी।
दादी -- सही में भी होथे, काली बताबो बेटा।
भाग दो -- कोदूराम वर्मा-शब्दभेदी बाण के संरक्षक
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( रमा अपन माँ संग सबला खाना परोसत रहिस हे )
रमा -- दादी अउ रोटी देवंव।
दादी -- नहीं बेटा, रवि ल दे दे।
रवि -- दादी आज फेर कहिनी सुनाबे न।
दादी -- हाँ बेटा, आज सुतबे झन।
रवि -- दादी मैं तो कल भी नइ सोये रहेंव, पूरा रात जागत रहेंव।
दादी -- हा हा हा हा
रमा -- दादी के गोदी म कोन सुतत रहिस हे।
रवि -- मैं, दादी की गोदी पर तो मैं सोऊंगा।
दादी -- चलो रमा पहले बिस्तर लगा लें।
रमा -- हाँ दादी।
( तीनों झन मिलके हंसी मजाक करत बिस्तर ल लगाथें )
दादी -- ( बिस्तर म बइठत बाइठत कहिथे ) चल अब मैं दूनों झन ल कहिनी सुनावत हंव।
रमा -- दादी ,आज शब्द भेदी बाण के बारे म बताबे न।
दादी -- हाँ, आँखी म पट्टी बांध के कोनो आवाथ डाहर बाण चलाये जाथे। निशाना सही लगथे। बाण ह उही जगह म लगथे जेन मेर ले आवाज आथे।
रमा -- बिना देखे दादी।
दादी -- हाँ बिना देखे।
रमा -- आपमन कभू बाण चलावत देखे हावव।
दादी -- हाँ मैं देखे हावंव। आज के धनुर्धर हे कोदूराम वर्मा। एक बेर ये ह श्री रामायण सेवा समिति तकियापारा दुर्ग म कुछु कार्यक्रम म भाग लेय बर आये रहिस हे। उही बेरा म देखे रहेंव।
रमा -- ओमन कहां सीखे रहिन हे?
दादी -- इहें छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ही दीक्षा लेय रहिस हे। दीक्षा लेय के बाद येखर प्रदर्शन छत्तीसगढ़ में ही करिस।
रमा -- आपमन देखे रहेव दादी?
दादी -- हाँ रायपुर दूरदर्शन के स्टूडियो म प्रदर्शन करे रहिस हे। येखर विडियो शूटिंग करके रायपुर दूरदर्शन म कइ बेर देखाये गीस।
रमा -- बस दादी एके बेर प्रदर्शन करिस?
दादी -/ अरे नहीं कइ जगह प्रदर्शन करिस। मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र अउ छत्तीसगढ़ म कोदूराम जी अकेल्ला धनुर्विद्या के जानकार रहिन हे। स्वामी विवेकानंद विद्यापीठ नारायणपुर में बात प्रदर्शन करे रहिन हे।
रमा -- दादी आपमन देखे रहेव?
दादी -- हाँ महुं देखे रहेंव। छत्तीसगढ़ राज्य बनिस तब पुलिस ग्राऊण्ड म रेखर प्रदर्शन होये रहिस हे। सन् 2002 में भी प्रदर्शन होये रहिस हे। पंडवानी गायन चलत रहिस हे तब बहुत कन कला दिखाइस। शब्दभेदी बाण चलइस, बाण ले एक धागा ल काटिस। धागा म बंधे माला ल काट के एक मनखे ल पहिरा दिस।
रमा -- कोदूराम जी अउ का करत रहिस हे?
दादी -- कोदूराम जी एक अप्रेल सन्1924.म पैदा होये रहिन हे। मरत तक पांच किलोमीटर तक चल लेवय। एक घंटा तक मंच म नाच सकत रहिस हे।
रमा -- दादी का ओमन ल नाचे बर भी आवत रहिस हे।
दादी -- हाँ ओ ह हमर लोक कला ल संजो के रखे रहिस हे। ओ ह करमा नृत्य बहुत बढ़िया करत रहिस हे। दिल्ली के साइंस कालेज के आडिटोरियम म पंद्रह दिन तक कार्यक्रम करे रहिस हे। सन् 2002 म रायपुर के गणतन्त्र दिवस के दिन बहुत बढ़िया नृत्य के कार्यक्रम दे रहिस हे।
रमा -- ये सब अकेल्ला करत रहिस हे का दादी?
दादी -- नहीं ,पूरा समूह रहिस हे। नागपुर के विभिन्न विद्यालय के 150 नर्तक रहिन हे। झालम के 12 नर्तक रहिन हे जेन मन प्रशिक्षित रहिन हे। ये मन नागपुर म 22 दिन के प्रशिक्षण ले रहिन हे। ओखर बाद 4 जनवरी ले 23 जनवरी तक लगातार दिल्ली के राजपथ म प्रशिक्षण दिस। 24--25 तारीख के आराम करके 26 जनवरी के राष्ट्रपति अउ प्रधानमंत्री के आगू म राजपथ म करमा नृत्य के प्रदर्शन दू मिनट तक करिस।
रमा -- ओखर बाद का होइस दादी?
दादी -- दिल्ली के संस्कृति विभाग ह ओखर नृत्य के गंभीरतापूर्वक मूल्यांकन करिस। कोदूराम जी के दल ल प्रथम स्थान मिलिस।
रमा -- ओखर बारे म अउ कुछ बता न दादी?
दादी -- हाँ ,चल अब सुत जथन। काली बर तूमन ल बताहुं के कइसे कोदूराम जी नाचा में भी काम करत रहिस हे।
भाग तीन -- कोदूराम वर्मा-
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आधुनिक नृत्य म भी सबले ऊपर करमा
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( दादी, रमा अउ रवि एक साथ खाना खारे बर बइठे रहिन हे। रवि के माँ खाना परसत रहिस हे। रवि के बाबू जी आँगन म खटिया ऊपर बाइठे कुछ गुनगुनावत रहिस हे। रवि ह बहुत ही लाड़ से दादी ल कहिस--)
रवि -- दादी दादी तैं दीदी ल मोर सुते के बाद कहिनी सुनाथस। अब बिस्तर.ऊपर कहिनी मत सुनाबे ,मोला नींद आ जथे।
दादी -- चल आज मैं इही मेर बइठे बइठे कहिनी सुनावत हंव।
रमा -- दादी तैं कहे रहेस न कि आज शब्दभेदी बाण चलाने वाला दादाजी के कहिनी बताहूं।
रवि --दादी आज मजेदार कहिनी बताबे।
दादी --आज तूमन ल ओखर नाचा के बारे म बताहूं।
रवि -- ओ नाचा जेन मोर मामा घर होय रहिस हे। मौसी के बिहाव म रात के नाचा होय रहिस हे।
रमा -- अरे चुप दादी ल बोलन दे।
दादी -- हाँ रवि बोल न।
रवि -- जोकर भी रहिथे न दादी, ओ ह बहुत हंसाथे न दादी। मैं तो बहुत हांसत रहेंव। ओखर पैजामा के नाड़ा ह लटकत रहिस हे। हा हा हा हा।
( रवि के दादाजी बइठे बइठे सब सुनत रहिस हे। अचानक बोलिस )
दादा जी -- चल रवि आज मैं तोला बतावत हंव के कइसे कोदूराम जी नाचा म गीस।
रवि -- हव दादाजी सुना न।
दादा जी -- कोदूराम जी सम्पन्न परिवार म पैदा होये रहिस हे। ओखर पिताजी के नाम बुधराम अउ माँ के नाम बेलसिया रहिस हे।
रमा -- कहां के रहने वाला रहिन.हे?
दादा जी -- बेरला ब्लाक के आनंदनगर गाँव म राहत रहिन हे। भिंभौरी गाँव के स्कूल म चौथी तक पढ़ाई करे रहिन हे। ओखर बाद ओखर मन पढ़ाई म नइ लगिस। कोदूराम जी नाचा म परी के काम करे ले लगगें।
रवि -- ओखर पिताजी डांट़िस नहीं का?
दादाजी --बेटा, कोदूराम जी ल बहुत डांट परिस। ओला खेती के काम म लगा दिन फेर ओखर मन ह खेती म भी नइ लगिस।
रमा -- नाचा म काम करे बर काबर मना करत रहिन हे।
दादाजी -- बने घर के मन उहां काम नइ करंय अइहे समझे जात रहिस हे।
रवि -- दादा जी मोला तो नाचा बने लागथे। महुं जोकर बनहुं।
दादाजी -- हाँ तैं जोकर बन जबे।आज तो येला कला के नजर हे देखे जाथे। अब आगे सुनव।
रमा -- हाँ दादा जी सुना।
दादाजी -- ओ ह बाद म जोकर बने ले लगगे। ओ अरह भजन गावय। कबीर के भजन ल खंजीरा अउ तंबूरा बजा के सुनावय।आज के समय म जेन खंजीरा मिलय नहीं गंवा गे हावय तेन तंबूरा ओखर तीर रहिस हे। सूरदास के भजन ल भी गावय।
( रवि दादा जी के गोद म जा के बइठ जथे। दादा जी के गाल ल छु के कहिथे ---
रवि -- दादाजी ओ ह नाचत नइ रहिस हे का?
दादाजी --अरे बेटा ओ ह तो मशाल नृत्य करय। गैस नृत्य लाइट नृत्य भी करय। ओ ह अपन नाचा के द्वारा शिक्षा, अंधविश्वास अउ समाज सुधार के बात ल प्रस्तुत करय। जाति प्रथा, धार्मिक एकता ल भी प्रस्तुत करय।
रवि -- मशाल नृत्य कइसे करथे?
दादाजी -- मशाल नृत्य म मशाल ल अपन हाथ म पकड़ के कइ तरह से घुमा घुमा के अपन बात ल कहिथें। कोदू राम जी मशाल ल अपन शरीर के कोनो भी हिस्सा म दबा के बुता देवय। फेर ओला निकाल के जलावय।
रमा -- अउ आगू बता न दादाजी?
दादाजी -- हाँ सुन,कोदूराम जी "गंवई के फूल "नाव के एक संस्था बनाये रहिस हेःओखर निर्देशन भी करय। इसमें 25 झन मिलके मार्मिक चित्रण करत रहिन हे। अंग्रेज मन के गुलामी के कारण भारतीय मनके जेन स्थिती रहिस हे ओखर चित्रण करे जाये। येखर खतम होये के पहिली " गंवई के फूल " के नायक ह शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य अउ आर्थिक विकास डाहर जाये के बात करय।
रमा -- रवि सोवत हस का? काम के बात ल सुनस नहीं।
दादाजी -- सुतन दे, कुछु नइ होवय।
रवि -- नहीं मैं ह जागत हंव। दादाजी मोला मजा नइ आवत हे।
दादाजी -- तोला बताये रहेंव न नाचा गम्मत के बाद कोदूराम जी ह करमा नृत्य करे ले लगगे। ओ ह 84-85 बछर के होवत ले करमा करिस। लगातार एक घंटा तक नृत्य करत रहिस हे।
रवि -- दादा जी कोदूराम जी आप मन ले बड़े रहिन हे का?
दादा जी -- हाँ
रवि -- त दादाजी तैं काबर नइ नाचस? काली बर डिस्को करबो।
दादाजी -- ( जोर से हाँसथे ) अरे बेटा मैं नइ नाच सकंव।
रवि -- त कोदूराम जी कइसे नाचत रहिस हे।
दादाजी -- देख तोला एक बढ़िया बात बतावत हंव। सन् 2005म नागपुर जोन ले150 नर्तक चुने गीन।
रवि -- नर्तक काला कहिथें?
दादाजी -- जेन मन नृत्य करथे तेन मन ल नर्तक कहिथें।
ये दल म 12 नर्तक अउ मिल गे रहिस हे। ये मन 22 दिन ले नागपुर म प्रशिक्षण लेय रहिन हे।ओखर बाद 4जनवरी ले 23जनवरी तक राजपथ दिल्ली म प्रशिक्षण दिस।
रमा -- 24-25 जनवरी के आराम करके 26 जनवरी के परेड म गीन। दू मिनट तक राष्ट्रपति अउ प्रधानमंत्री के सामने म नृत्य करिन। इंखर नृत्य दल ल प्रथम स्थान मिलिस।
दादाजी -- तोला कइसे पता है रमा?
रवि -- बता तो।
रमा -- तैं सुत गे रहेस। कल दादी बताये रहिस हे।
रवि -- देख न दादाजी मोला सुता के दादी ह दीदी ल कहिनी सुनाथे। अब से मैं बिस्तर म कहिनी नइ सुनव। मोला नींद आ जथे।
रमा -- हाँ अइसने बइठ के सुने कर।
दादाजी -- हां रवि तैं बइठ के कहिनी सुने कर।
रवि - नृत्य दल फर्स्ट अइस दादाजीः
दादाजी -- हाँ बेटा।
रमा -- समझेस दिल्ली म पहला अइस हमर छत्तीसगढ़ के नृत्य करमा।
दादाजी -- अउ खास बात सुन,ये मन नृत्य म जेन कदमताल लेथें तइसना अउ कोनो मन नइ लेवंय। इंखर करमा नृत्य तेजी से नृत्य करथे। कोदूराम जी नवा लइकामन ल भी नृत्य सिखाथे।
रमा -- ओमन अउ कुछु काम नइ करंय?
दादाजी -- करथे न, धमधा के पास सगनी गाँव हावय उंहा एक आश्रम बना के राहत रहिस हे। उहां छोटे छोटे लाइकामन ल पढ़ावत रहिस हे। छुट्टी के समय म लोक कला के दीक्षा घलो देवत रहिस हे।
रमा -- मतलब शिक्षक रहिस हे?
दादाजी -- हाँ, पहले लोग चौथी तक पढ़ कर शिक्षक हो जाते थे।
रवि --( दादाजी के गोदी म चढ़ के गाल ल छुथे अउ कहिथे)
अब चल सुतबो दादाजी।
दादाजी -- सुत जा अउ जल्दी उठबे। जानथस कोदूराम जी बिहनिया चार बजे उठय अउ पांच किलोमीटर पैदल चलय। ओ ह धार्मिक आडंबर ल नइ मानत रहिस हे। ओ ह कर्मकांड म विश्वास नइ करत रहिस हे।
रवि -- दादाजी वे अकेले रहते थे उनके घर पर कोई नहीं था क्या?
दादाजी -- ओखर घर म ओखर पत्नी रहिस हे।ओखर तीन बेटा हावय। चार बेटी हावय।बड़े अउ छोटे बेटा खेती करथें। संगेसंग म दुकान घलो चलाथें। मंझला बेटा शालिकराम छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग में संयुक्त संचालक रहिस हे। ये ह लइकापन ले बहुत होशियार रहिस हे।
रवि --दादाजी ओनको खाना कौन देता था?
रमा - कतेक बुद्धु हस, खाना ओखर घर के मन देवत रहिन हे।
दादाजी --हाँ ,रमा सही काहत हे। ओखर आश्रम बर ओखर बेटा ह एक बोरा चावल अउ दस हजार रुपिया देवत रहिस हे। कोदूराम जी लइकामन ल निःशुल्क पढ़ावत रहिस हे।
रवि -- हमन तो बहुत फीस देथन। कोदूराम जी बढ़िया मनखे रहिस हे।
रमा - ऊंखर करा कतेक तरह के गुण रहिस हे। बहुगुणी शिक्षक रहिन हे।
दादाजी -- कोदूराम जी छत्तीसगढ़ म एक अकेल्ला शब्दभेदी बाण चलाने वाला मनखे रहिन हे। एक अलग तरह के खंजेरी रहिस हे जेन नंदा गे हावय। अलग तरह के करमा नृत्य करंय।भजन गावंय।
संदर्भ --- अगासदिया
विलक्षण धनुर्धर एवं मंचीय योद्धा
श्री कोदूराम वर्मा
संपादक -- परदेशीराम वर्मा
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