Thursday 24 March 2022

बावन वीर चाहतिस ते चंदा ह लोरिक संग उड़रिया नई भागे रहितीस


बावन वीर चाहतिस ते चंदा ह लोरिक संग उड़रिया नई भागे रहितीस


- दुर्गा प्रसाद पारकर 

                        

राजा महर करि बेटी ए वो, लोरी गावत हवे चंदा ए दिन तोर...। छत्तीसगढ़ म लोरिक चंदा (लोरिकायन) नाव के लोक कथा प्रचलित हे। गउर गढ़ म महर नाव के राजा राहत रीहिस हे। राजा के राज म कठायत नाव के अहीर ह काम बूता करय। एक दिन के बात आय जब राजा के भैंस सोन सागर अऊ अरिंगा ल कोई खेदार के लेगे। राजा खोजत-खोजत हलाकान होगे। ओला कठायत ह खोज के लान दिस। मगन होके राजा महर ह किहीस-अभी मोर रानी ह आधा सीसी हे। मान ले पठउंहा ले नोनी गिर गे त ओखर बिहाव तोर दुलरुवा संग कर देहूं। परभू के किरपा ले राजा महर ल नोनी चिन्ह दिस। ओखर नाव ल चंदा रखिस। कठायत अहीर के दुरूलवा  के नाम लोरिक रीहिस। लोरिक ह हट्टा-कट्टा गबरू जवान रीहिस। देखते-देखत चंदा ह जाने सुने के लइक होगे। रानी ह राजा के केहे बात के सुरता करवइस फेर राजा ह रानी के बात ल नइ मानिस। तभे तो चंदा के बिहाव लोरिक संग करे बर मुकर दिस। अपन मन मुताबिक रिस्ता तय करके रिढ़ना राज के राजा गौरागढ़ के बेटा बावन बीर संग चंदा ल भंवरा दिस। एती कठायत अहीर ह गौरी देश के कन्या मांझर संग लोरिक के बिहाव कर दिस। चंदा ह राजा घर ससुरार गीस। जम्मो सुख सुविधा रीहिस फेर पति के असाध्य रोग ह चंदा के सपना ल गरहन धर लीस। बावन बीर ह छै महीना सूतै अउ छै महीना जागै। जागै तभो सूते बानी दिन-रात दारू म मस्त राहै। बने ढंग ले पति सुख ल नई जानीस अभागीन ह। नरक होगे जिनगी ह। नरक ले उबरे बर चंदा के जी ह सटपटावत रीहिस हे। एक दिन मउका पा के चंदा ह ससुरार ल छोड़ के मइके जाए बर निकल गे। जब बावन बीर जागिस तब ओखर गोसइन ह घर ल छोड़ दे रीहिस हे। ए बात ह वाजिब हरे कि सुतइया मन के संग ल धन संपत्ति तो छोड़बे करथे इहां तक ले ओखर गोसइन ह घलो गोसइया ल तियाग देथे। यदि बावन बीर जादा नइ सूत के परिवार उपर जादा धियान दे रहितीस ते शायद अइसन सजा भोगे बर नइ परतीस। मइके म मालिन डोकरी के घर लोरिक अउ चंदा के मिलन होवय। लोरिक अउ चंदा उपर मांझर (लोरिक के गोसइन) ल सक होगे। दही बेचे के ओखी म मालिन डोकरी घर लोरिक अउ चंदा ल एके संघरा पहुंचा लीस। चंदा अउ मांझर के बिक्कट लड़ई होइस। लोरिक अपन माइलोगन ल मार के भगा दिस। बदनामी ले बांचे खातिर लोरिक अउ चंदा उड़रिया भगा गे। अतका कथा बताए के मतलब ए आय के उड़रिया का होथे? उड़रिया अगाध प्रेम के चिन्हारी कराथे। ज्यादातर कुंवारी अउ कुंवारा मन उड़रिया भगाथे। लोरिक अउ चंदा कस विवाहित मन घलो कभू कभू उड़रिया भगा जाथे। काबर मया ह जात चिन्हे न देस। हां, एक बात जरूर हे के सजातिय उड़रिया भागे ले ओतेक परेशानी नइ होवय जतका आनजात संग उड़रिया भागे म समाजिक मामला निपटाए म होथे। उड़रिया कस अउ कतको सामाजिक शब्द हे जेहर पूरा हिन्दुस्तान म पाए जाथे। ओखर नाव अउ सजा भले अलग-अलग हो सकथे फेर घटना तो कहूंचो घट सकथे जइसे चूरि पहिराना, पैठू खुसरना, बरेंडी, छड़वा, जबरिया, लमसेना (घरजींया दमांद), दूजहा, गुंरावट, बहुपत्नी आदि। जिंहा रिश्ता जुड़े हे उहां ले संबंध ह कभू कभू कोनो कारन ले टूट घलो जथे जेन ल आज के समे म तलाक (विवाह विच्छेद) के नाव ले जानथन।

कभू-कभू अइसे स्थिति बन जथे जेमा एक-दुसर के बहिनी संग बिहाव करे बर रिश्ता तय हो जथे। जेला गुंरावट बिहाव केहे जाथे। ओखर बेटी ल दूध खवाव अउ मोर बेटी ह उहां भूख मरय कस थोरको ऊंच नीच बात होय ले गुंरावट बिहाव के टूटे के डर जादा बने रहिथे। चूरी पहिरे अउ पहिराए कस बिपत काखरो उपर झन आवय। अइसे केहे जाथे-बड़े भाई के इंतकाल ले छोटे भाई (देवर) ह ओखर परिवार के जतन करे खातिर भौजी ल चूरी पहिरा के पत्नी के रूप म राख सकथे। ए तभे संभव हे जब उम्र में जादा फरक नइ राहै अऊ भौजी के मरजी घलो राहै। गवना (पठौनी) जाए के बाद विधवा ल घलो चूरी पहिराए जा सकत हे। बरेंडी ओ फूल होथे जेन ह छतराए के पहिलीच मुरझा जथे। पठौनी जाए के पहिलीच ओखर हाथ खाली हो जथे। राड़ी के जीवन तो जनम भर अंधियार। कोनो जात म तो अइसन राड़ी मन ल बिहाव अउ चूरि पहिरे के अधिकार नइहे। फेर अब धीरे-धीरे जागरुकता आवत हे अउ विधवा विवाह ल स्वीकृति दे बर धर ले हे। एकाद घांव तो बड़ अलहन हो जथे जइसे तेल हाथ का पिंवरइस लड़की ह बिहाव के बाद कोनो जात सगा के संग भाग जथे अइसन स्थिति म पहिली वाले पति ल होवइया पति ह बिहई (बूंदा) बिहाव खर्च के रूप म नाम मात्र रकम रुपिया देथे। जउन ह समाज डहर ले तय रहिथे। कोनो धोखा बादी होय ले पति ह अपन पत्नी ल छोड़ देथे ओला छड़वा कहिथन। तिही पाए के माइलोगन मन बर केहे गे हे पानी नोहे जलसो ए, गोसइन नोहे संसो ए। बिहाव करके लाने बाई ल बिहई अउ चूरी पहिरा के लाने बाई ल बनई केहे जाथे। छड़वा माइलोगन मन ल चूरी पहिरा के लेगे जाथे। कोनो माइलोगन अपन प्रेमी घर खुसर के पैर जमा लेथे तेला पैठू कहिथन। अइसन स्थिति म इंखर बिहाव करके डिहवार ल पंगत खवा देथे। कोनो पुरुष के बिहाव के बाद ओखर बिहई ह सरग सिधार जथे। लइका मन के देखरेख खातिर अउ गृहस्थी जीवन ल बने चलाये बर दुसरइया बिहाव (कुंवारी लड़की संग) करथे ओला दूजहा केहे जाथे। गरीबी के दुख ह सुख कोनो ल नइ दे सकय। जब लड़का ह बिहा के अपन बर गोसइन नइ ला सकय तब ओला कतनो मन जेखर लड़का नइ राहय उमन अपन बेटी बर लमसेना (घरजींया दमांद) लान लेथे। उहें कमाथे खाथे अउ रहिथे। कतको लमसेना मन के हालत तो नौकर कस हो जय रहिथे काबर कि मंगनी के बइला अऊ घरजींया दमांद, मरै ते बांचे जोते के काम। जाति पंचायत म गलती मन के निपटारा होथे जेखर खातिर गांव कमेटी, पंचइहा (पांच गांव के), क्षेत्रीय कमेटी, जिला स्तरीय कमेटी अउ छत्तीसगढ़ स्तरीय (महासभा) कमेटी के गठन होय रहिथे। गांव के लइक ल गांव कमेटी म सुलझाथे। नइ सुलझे तेन ल आगु डाहर बढ़ावत जाथे। समाज के जानकार मन ल केस निपटाए खातिर चपरासी भेज के बलवाए जाथे। चपरासी के आए जाए के खरचा ल समाज वहन करथे।

तलाक (संबंध विच्छेद) कानूनी जरूर हे फेर कोर्ट कछेरी जाए के पहिली अइसनो केस ल समाज के महासभा म निपटा डरथे। जेखर से कोर्ट कछेरी के खरचा ले अउ समे ले बांचे जा सकत हे। हिन्दू लॉ के सेक्सन (13) के मुताबिक जउन तलाक संबंधी शर्त हे ओकरे आसपास जाति पंचायत के नियम घलो हे। मान ले पति पत्नी एक-दुसर ले संबंध विच्छेद करना चाहत हे त उंकर गुण दोष ल देखत हरी झंडी दे देथे। यदि जुग जोड़ी दु बच्छर ले अइलगे-अइलगे राहत हे तब दू बच्छर ल आवेदन पत्र के तिथि ले माने जाही। कोनो समाज म अइलगे अइलगे जेन दिन ले रहिथे उही दिन ले गिनती चालू हो जथे। दुसर पक्ष के संग खतरा के संभावना ल देखत छानबीन करके समाज ह संबंध विच्छेद के स्वीकृति दे देथे। कोई पक्ष तीन साल ले असाध्य रोग ले पीड़ित हे। तीन साल ले कोई पक्ष पागल हे, इलाज कराए ले सुधर नइ पात हे। दुनो म कोई भी एक पक्ष हिन्दू धर्म ल तियाग के दुसर धर्म अपना ले होही या कोनो एक पक्ष गृहस्थ जीवन त्याग के धार्मिक कामकाज म लग गे होही या नपुंसकता के हाल म (चिकित्सा प्रमाण पत्र जरूरी हे) तलाक के स्वीकृति दिये जाथे। सामाजिक नियम के मुताबिक उपर डाहर लिखाये नियम ले जुड़े पक्षकार ल सूचना दे के बाद मान ले वोहा सूचना ले बर अनाकानी करथे अउ सूचना ले के समाज ल बिना खभर करे अनुपस्थित रही अइसन स्थिति म समाज ह एक पक्षीय निर्णय दे सकथे। जेला सब ल माने बर परथे। आज के समे म तो दहेज कस राक्षस ह संबंध तोड़े बर अपन भूमिका निभावत हे। जउन ह बने बात नोहे। समाज के सुख, शांति अऊ समृद्धि म दाहिज डोर (मुंहमांगी) ह जहर घोरे बर धर ले हे। जेखर सब ल विरोध करना चाही।

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