Thursday 24 March 2022

नीता पढ़े बर गीस

 नीता पढ़े बर गीस

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कुछ लाइकामन रद्दा म खेलत रहिन हे। नीता अउ गीता खेल खेल म पहाड़ा बोलत रहिन हे। उही बेरा म गीता के माँ आ गे.....


माँ  - गीता चल तइयार होये बर हे ,स्कूल जाना हे।


गींता - हाँ माँ, अभी आवत हंव।


माँ - (नीता डाहर देखय बोलथे ) नीता तैं तो स्कूल नइ जावस त पहाड़ा कहाँ ले सीखे हस?


नीता - माँ मोला पढ़ना बने लागथे फेर मोर माँ ह स्कूल नइ जान देवय। मैं तो पहाड़ा गीता संग खेल खेल म बोल बोल के सीख गे हंव।


गीता - हाँ माँ मोला खेलत खेलत पढ़ना बने लागथे। मैं पहाड़ा बोलत रहिथंव त इहू ह मोर संग संग बोलत रहिथे। मैं अपन कविता ल भी अइसने याद करथंव। नीता ल तो कविता घलो याद हो गे हावय।


नीता - हाँ माँ, मोला पुस्तक के कविता घलो सुरता हावय अब्बड़ सुग्घर चित्र बने हावय। मैं ह पुस्तक ल देखे हंव।


माँ - अच्छा? तैं अपन माँ ले बोल के स्कूल जाना हे।


नीता - हाँ माँ मै बोलथंव फेर ........ माँ कहिथे के " मैं काम म जाथंव त तैं ह तोर छोटे भाई ल पकड़बे। घर म काम बुता करबे। पानी भरबे अउ बरतन साफ करबे।


माँ -तैं पढ़ना चाहथस का नीता?


नीता - हाँ माँ मैं पढ़ना चाहथंव।


माँ - चल नीता मैं तोर माँ से बात करहूं। पहिली नीता ल खाना खवा के स्कूल भेज देथंव। चल अब तहुं घर जा।


( नीता अपन अपन चल देथें अउ गीता अउ ओखर माँ अपन घर आ जथें। गीता खाना खा के स्कूल चल देथे)


भाग दू


( गीता के माँ नीता के घर ओखर माँ से मिले बर जाथे। नीता के माँ बइठे हावय अउ बरतन ल नीता धोवत हावय। गीता के माँ ल देख के ....)


नीता के माँ  रमा - आवव दीदी बइठव। कइसे सुरता करेव दीदी?


गीता के माँ -अरे रमा काये करत हस?


रमा - कुछु नहीं दीदी, मैं काम म जाये के तइयारी करत हंव अउ नीता ह बरतन साफ करत हावय।


गीता की माँ - नीता बहुत होशियार नोनी आये। येला पढ़े बर स्कूल भेजे कर।


रमा - नहीं नहीं दीदी, घर के काम कोन करही? बबलू ल कोन सम्हालही?


गीता के माँ - बबलू ल तैं संग म ले के जाबे। सरकार अपन लइका ल सम्हाले बर छुट्टी के समय तय करे हावय। बर के बुता ल नीता संग मिलके बिहनिया ले कर लेबे। दिनभर नीता स्कूल म रहिही। उंहा मध्यान्ह भोजन तो मिलबे करथे।



रमा - हाँ सच आये।


गीता के माँ - तोर घर के खाना घलो बांचही अउ नीता ल पौष्टिक भोजन मिलही।


( रमा कुछु सोचथे )


गीता के माँ - काये सोचत हस रमा?


रमा - हाँ दीदी तैं बने  काहत हस। लड़की ल पढ़ारे ले काय होही? मोर बबलू पढ़ही अउ डाक्टर बनही।


गीता के माँ - ( हाँसत हाँसत ) अच्छा त तैं अइसना सोचत हस। तैं देखे हस न के गायत्री ह अपन दू बेटी ल पैदा होय के पिली मार डरे रहिस हे। तीसर भी बेटी होगे।


रमा - हाँ दीदी आज ओखर बेटी ह डाक्टरी पढ़त हावय।


गीता के माँ - आज ओ ह बेटी के सब मान्यता ल गलत सिद्ध कर दे हावय। गायत्री के पति के मरे के बाद उही बेटी ह सिलाई कर कर के अपन घर चलाये रहिस हे। ओ ह अपन पढ़ाई के खर्चा घलो निकाल लेथे।


रमा - हाँ दीदी ओ ह बेटा के काम करत हावय।


गीता के माँ -  हाँ ,आज ओ बेटी ल भी पेट म मार देतिस त गायत्री के काय होतिस? ओखर बेटी ह सिलाई घलो सीख लिस। सिलाई ल ही अपन पेट भरे के साधन बना लिस।


रमा - हाँ अपन फीस ल अपन कमाई ले ही जमा करत हावय अउ पढ़त हावय।


गीता के माँ - हाँ पहिली तो हमला भ्रूण हत्या ल रोकना हे। बेटी ल जनम लेवन देना हे। बेटी ल ये खूबसूरत दुनिया ल देखन देना हे।


रमा - हाँ दीदी, आपमन सही काहत हव। हमन ल बेटी ल बचाना हे। बेटी ही तो ओ जमीन आये जिंहा नवा शिशु के जनम होही।


गीता के माँ - हाँ रमा, जेन बेटी जनम लेथे तेन ल पढ़े के भी अधिकार हे। बेटी ल पढ़ा के अपन गोड़ म खड़ा होवन देना चाही।


रमा - हाँ दीदी, आपमन सही काहत हव। अब तो महु नीता ल स्कूल भेजहूँ। वहू ह गींता सरिख पढ़ही।


गीता की माँ - सिरिफ पढ़ही ही नहीं, ओ ह इंदिरा, सुनिता विलियम्स अउ कल्पना चावला सरिख भी बन सकथे। ओ ह दुनिया ल अपन नजर म देखही।


रमा - हाँ दीदी, अब मोर आँखी खुलगे हावय। अब तो नीता पढ़ही अउ एक नवा संसार गढ़हीः


गीता के माँ - हाँ रमा ,तैं सही निर्णय लेय हस।


रमा - हाँ दीदी अब मैं ह बिहनिया ले ही सब बुता कर.ले करहूँ। नीता ल स्कूल जारे के बाद काम म जाहूं।

बबलूक्षल भी संग म लेग जाहूं।


गीता के माँ -  सही सोचे हस रमा। चल आज ही नीता ल स्कूल म भर्ती करवा के आबो।


रमा - हाँ दीदी, बस मैं अभी आवत हंव। नीता ल भी तइयार कर लेथंव।


( गीता के माँ अपन घर चल देथे। रमा अपन बूता ल करे ले लग जथे।पर्दा गिरथे)


पर्दा उठथे अउ गीता के माँ अउ रमा नीता संग स्कूल जावत हावंय नीता ल स्कूल म भर्ती करे बर। स्कूल लिखे बोर्ड करा येमन पहुंचथें अउ पर्दा गिरथे।

अंत म आवाज आथे..........

बेटी अब पढ़ही

नवा दुनिया गढ़ही।

सुधा वर्मा

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