Thursday 24 March 2022

संसो फिकर काली बर""""


 """"संसो फिकर काली बर""""


         छत्तीसगढ के एतिहासिक छोर मुड़ा ला निमारे के बात आथे तब कतको किसम के नवा नवा गोठ बात देखे सुने बर मिलथे। जेन  हर हमर जुन्ना इतिहास के रूप मा संग्रहित हे। छत्तीसगढ के मनखे मन इंहा के भौगोलिक इतिहास सामरिक धार्मिकता ले जुड़े इतिहास कला जगत ले जुड़े जुन्ना चीज ला खोज के मड़ावत हे अउ हमला जनावत बतावत हे।  भुगोल के मुताबिक छत्तीसगढ ह नानमुन नइ रिहिस। एकर ओर छोर हर अब्बड़ लमछोरहा रिहिस। अउ तब से लेके अब तक  बॅटात छॅटात एकर नाक नक्शा कइसन हे सबो के सन्मुख हावे।  जुग बेरा के बदलाव के बात करबो त खोजकार मन यहू बताथे कि द्वापर मा कृष्ण जी अउ त्रेता मा रामचन्द्रजी के घलो मनचाहा जगा ये छत्तीसगढ ह रिहिस । ग्रंथकार मन बताथे कि ये धरती मा मानव अउ दानव से लेके युग पुरुसारथ महामानव मन के अवतरन होइस। जिकर सामराज्य के अधिपत्य रिहिस। जेकर कारण सामरिक दशा घलो ठोसलग रिहिस। 

           छत्तीसगढ के नाॅव घलो कतको ठन धरे गेय हे। दंण्डकारण्य दक्षिण कोसल महाकोशल चेंदि प्रदेश छत्तीसगढ अउ कतको नाम। अलग अलग नाम धराय के पाछू घलो कतको कारण हमर आगू मा आथे। कभू कोनो बड़का राज सत्ता चलइया राजा के नाम उपर त कभू इंहा के गढ किल्ला के उपर ले । त कभू माता कौसिल्या जनम भूमि अउ ओकर नाॅव सॅग जोड़ के नाम धरे गिस। 

         धार्मिकता ता जोड़ के देखबो त पुरान संगत बात कि इंहा भगवान राम जी हर बनवास काल के चउदा बछर ला बिताये हे। ये बात के परमाण सॅउहत रमायण के सॅगे सॅग शोधकर्ता खोजी भाई मन बताथे। जे धरती मा रामचन्द्र जी जइसन देव पुरूष के चरन परे हे उॅहा नामी तपसी ऋषिमुनि मन के वास तो होना सहज हे। श्रृंगि ऋषि कंक ऋषि अगस्त्य ऋषि सप्त ऋषि जइसन तप साधक के आश्रम आजो देखे बर मिलथे। फेर अइसन जगा मा दानव मन के घलो कमती नइ रिहिस। केसकाल के घना घाटी मा सुर्पनखा खर दूसन के एकतरफा राज रिहिस अइसे घलो बताथे। गीदम ला रमायण कल के ही गिद्धराज जटायु के राजधानी केहे गेय हे।कुटुम्बसर गुफा अउ राकस हाड़ पर्वत इही जुग के एतिहासिक स्थल हरे। धरम के धारन ला बचाय बर द्वापर मा कृष्ण अवतरिन जेकर मनचाहा जगा छत्तीसगढ ही रिहिस। चेंदि प्रदेश माने छत्तीसगढ जिहा के राजा दमघोस जेकर पुत्र शिशुपाल जेकर माता श्रुतश्रवा  जेन हर कृष्ण जी के बुआ (फूफू) हरे। ये उही शिशुपाल हरे जेकर सौ गलती माफ करे के बाद ही कृष्ण जी अपन सुदर्शन चक्र ले नरी ला काटे रिहिस। ये बात के बखान विद्वान मन के लेखनी मा पढे जाने ल मिलथे। जेन हर इंहा के ठोसलग इतिहास हरे। समझे के बात यहू हे कि जेला विदर्भ कथन ओहू छत्तीसगढ के हिस्सा रिहिस। जिंहा के राजा भिष्मक जेकर बेटी रूक्खमणी जेन ला कृष्ण जी हरण करे रिहिन। अइसन घटना हर हमर छत्तीसगढ के धरती मा होय हावे जेकर प्रमाण धर्म ग्रंथ मा मिलथे जेकर बखान गुनि ज्ञानी मन करथे। अइसन हमर इतिहास पोठ हे। 

       मरियादा के मान करइया अउ धरम के स्थापना करइया मन के चरण ये धरती मा परे हे तब तो इंहा के रहवइया बसइया मन के मन हिरदे हर तो धरम के लागा मा तो रहिबेच करही। ये धरती मा ऋषिमुनि अउ तपसी मन रिहिन त गुरूकुल गुरु चेला के परम्परा हर अपने आप पनपे लागिस। ऋषि मुनि मन के आश्रम हर शिक्षा ज्ञान बाॅटे के ठीहा बनगे। जेकर ले शिक्षण संस्कृति के सरलग बिकास होत गिस।  रतनपुर क्षेत्र के मतंग ऋषि के आश्रम हर आश्रम नइ रहिके विश्वविद्यालय होगे रिहिस अइसे जानकार मन कथे। छत्तीसगढ ला देवभूमि घलो कथे। ओकरे सेती ये बात के प्रमाण पुरातन काल के सिरजे मंदिर देवालय जगा जगा आज हमला देखे बर मिलथे। इही कारन हे कि इंहा के संस्कृति अउ संस्कार मा सादापन सिधवा पना झलकथे। 

       हाथ के कलाकरी शिल्पी कारीगरी मा माहिर एक जमाना लोगन मन के अलगे पहिचान रिहिस। भोरमदेव के मंदिर हर परगट परमाण हे। कतको पुरातन कला रचना कलाकृति हर धरती मा समा गे हे। जेन ला पुरातत्व वाले मन खोज के निकालत हे। अउ हमला बतावत हे कि येदे अमुक काल जुग जमाना का आय कहिके। आज हम अबके दरपन मा जुन्ना इतिहास ला सॅउहत निहारत हन।  येकरे सॅगेसॅग सत्य के रद्दा देखइया मनखे मनखे एक समान के संदेश बताने वाला गुरु घासीदास ये धरती मा जनमे पहिली बड़का संत आय। जे हर सत्य ला सार बताके जन चेतना ला जगाइस। आज उॅखर प्रताप प्रभाव हर शोध  के बिषय बनगे हावे। अब के जमाना सिरजे गढे सड़क पूल पुलिया हर साल पुरत धसक भसक जाथे। आने वाला भविष्य मा कोनो के पहिचान बर संजो के राखे के लाइक कोनो जिनिस नइ दिखे।

               अब के बेरा मा सौ दू सौ साल के जियत मनखे कोनो नइये। अउ लिखत पढत हे अइसनो नइये। कोनो न कोनो दशा ले पढ के सुन के खोज के लिखत छापत हे। उही अलंग मा कहे जाथे कि सरर सरर पुरवइया सॅग डोलत डारा पाना के देंहे ले निकले आरो अवाज मा अपन बनाये शब्द ला राग धुन मा पिरो के गीत अउ संगीत के सिरजन करके सांस्कृतिक कला के दिशा मा गौरव पा डारिन। प्रकृति के  सॅग जियइया मरइया मनखे के जम्मो साधन सुविधा प्रकृति के देय ले ही सजत सॅवरत रिहिस। घर कुरिया काम बूता के साजो समान गाये बजाय के वाद्य यंत्र हर प्रकृति के कोरा मा बसे वनोपज ले होत रिहिस। अउ तो अउ देंह सिंगार हर घलो प्रकृति के सुन्दर हिस्सा ले लाने पान फूल मा सजत रिहिस । ये बात येकर सेती कहना परत हे कि जोन सुख अउ आनन्द ओमा रिहिस आज के चमक धमक मा नइहे।

      साहित्य जगत मा छत्तीसगढ अगाध हे। धनी धर्मा दास ला इंहा के पहिली साहित्य सिरजक मानथे। एकर बाद तो ये दिशा मा दिशा देवइया के कतको नाम आथे। अइसे भी कहि सकत हन कि ये दिशा के एतिहासिक करण बर कमजोर नइ हन। तीज तिहार के स्वरूप हर नंगत बदल गेहे। जेमा हमर सांस्कृतिक सभ्यता अउ परम्परा के झलक देखे ला मिले  ओकर रूप रंग हर घिनहा होवत जावत हे । तीज तिहार हर माॅस मॅदिरा के पर्याय बनके रहि गेहे। नवा जवान उपर अपन संस्कृति अउ सभ्यता ला बचाय के भार होना चाही वोमन येकर स्वरूप ला बदसूरत करे के काम करत हे। सॅगेसॅग शिक्षा मा व्यवसाय कि व्यवसाय बर शिक्षा के चलन जादा कहि पाना मुश्किल हे।

     संस्कृति कला के गोठ करबे तब बहुत लोगन मन ला ये गोठियात जरूर सुनथों कि जोन रस जुन्ना गीत अउ संगीत मा रिहस आज के बेरा मा देखे सुने ला नइ मिलय। कला के रूप ला कलंकित करत हे। मन ला गुदगुदाय के अउ हिरदे मा रचे बसे वाले संगीत के जगा मा फुहड़पन गीत हे। मरियादा के खुल्ला प्रदर्शन अभिनय के नाम मा अंग प्रदर्शन देखाय मा जादा भरोसा करत हे। ये क्षेत्र मा हम आगू बढेन कि पाछू सरकेन ये मुड़ पीरा वाले बात हे। काबर कि आने वाले समय मा अउ कतका एकर रूप बिगड़ही कहि पाना मुश्किल हे। रंगमंच अउ सांस्कृतिक कला मंच के भविष्य के कल्पना करके हिरदे काॅप जथे। सॅहुराय के लाइक नवा जोरा एक्कोठन देखे ला नइ मिले। 

         साहित्य सिरजन के बात आथे तब ये दशा मा इही कहना हे कि साहित्य अउ सहित्य कार मन के अंधवा पूरा आ गेहे। छत्तीसगढी साहित्य मा गद्य पद्य सबो विधा ले रचना होवत हे। बड़का बड़का शोध अउ अनुवाद घलो होवत हे। फेर सही मायने मा छत्तसगढी साहित्य हर मनखे समाज के बीच जगा बना पावत हे कि निही बिचार करे के गोठ हे। जादातर शिक्षा जगत ले जुड़े मनखे जइसे कि गुरूजी अउ पोथी पुरान सॅग रहवइया  मन ये काम मा आगू रिहिन। अब ये क्षेत्र मा समान बुद्धिजीवी से लेके रिक्शा चलइया अउ पान ठेला वाला मन कहानी कविता लिख के साहित्य सृजन के काम ला आगू बढावत हे। अइसे देखे सुने ला मिलथे। यहू एकठन सच आय कि मोबाइल नेट इन्टरनेट के जमाना मा पढइया कमती अउ लिखइया जादा मिलथे। अउ साहित्य हर मानव समाज उपर कतका प्रभाव पारत हे सोचे के बात हे। मानव समाज ला नवा दिशा देय मे सफल होवत हे कि निही  । काबर कि तुकबंदी के चार लाईन जोड़ना जेमा अरथ रहे ना भाव साहित्य के नाम देना घलो अनियाय हरे। येमा चाहे तुम रहव या मॅय। 

        कृषि प्रधान धरती मा खेती करे के तौर तरिका हा घलो बदलत हे। नवा तकनीक नवा ढंग ले पैदावारी ला बढाथे फेर धरती के बेटा मन खेती किसानी के काम ले मुंह फेरत हे। जेकर ले सबो के जीवन आसरा हावे वो हर कल कारखाना के पाॅव तरी रमजावत जावत हे। विकास के रद्दा मा उद्योग अउ बैपार पनपना चाही फेर कृषि कारज ला तिरिया के कोनो उन्नति नइ कर सकय। काबर कि पेट मा डारे बर अन्न तो खेतीच हर दिही। 

            इतिहासकार मन अपन शोध अउ खोज ले आदिकाल से वैदिक काल अउ अब तक के सफो दशा के जानकारी हमर आगू मा राख देय हे। फेर आने वाले समय मा छत्तीसगढ के इतिसास कोन रूप होही? ज्ञानी मन कथे आज हर काली के इतिहास होथे। अभी हम जीयत भर हन । संतुष्टी कोनो छोर ले नइये। आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक अउ भुगोलिक कोनो बाजू अइसे नइये जेमा आने वाला काली हर गरब कर सके। या सॅहुराय के लाईक बन सकय। भविष्य मा आज हर इतिहास बनही तब यहू बात के उल्लेख होही कि छत्तीसगढ मा नक्सली युग के शुरुवात इही बेरा ले होइस। कला अउ संस्कृति के नंगा नाच के परम्परा अभी ले चालू होइस। इंहा के धन संपदा ला छीने बाॅटे अउ लुटे के जोर इही बेरा ले पकड़िस। धरम के ठेकादार मन आस्था के जगा ला अखाड़ा बना डारिन। संत अउ महात्मा जइसन मन के करनी ला तो दुनिया देखत हे। दुषित कुंठित विचार मा मनखे जीयत हे। जात धरम के झगड़ा धारमिकता मा तनाव अउ तो अउ संयुक्त परिवार मा बिखराव इही बेरा ले सुरू होय हावे। समाजिक चेतना मा अलगाव अपन पाॅव इही बेरा ले पसारे रिहिस अउ कतको ठन गोठ बात । बदले परिधान मा देख रे आॅखी सुन रे कान के हाना हर सार्थक होके रहि गेहे। हमर इतिहास सबो अलंग ले सम्पन्न हे फेर चिन्ता के बात ये हरे कि आज हर आगू डहर के इतिहास बनही जेकर स्वरूप के कल्पना करे ले मन झुंझवा जथे। पाॅत धर के गोठियाना बेकार हे फेर जेन हर आॅखी मा दिखथे कहे बिना मन घलो नइ माने। 

      छत्तीसगढ के मूल सुभाव जेमा हमर पहिचान बनथे बहिर प्रान्त ले आके बसइया मन खोवार करे मा लगे हे। संस्कृति से लेके राजनीति अउ अर्थनीति हर घलो पराधीन होवत जावत हे  घल वाले दुवार के लाईक नइ जनावै बाहिर मूल के मन हकदारी होके कुरिया मा खुसरत हे। सरकारी अउ गैर सरकारी के उॅचहा जगा मा बाहिर के बासिन्दा मन जगा पागे। अउ भाई भतीजावाद ला चलन मा लान डारिन। अउ इंहचे के पढे लिखे मन रोजगार बर घुमत हे। सबो किसम के दुमना भाव हर छत्तीसगढिया मन बर श्राप बन जाही अइसे घलो लागथे। आने वाला समे मा ये सबो गोठ के उल्लेख नइ होही तब वो इतिहास अधुरा रही। अइसे बिचार मोर मन मा उपजत रथे। मय कोनो जानकार तो नइ हॅव । कतको विषय संगत गोठ अउ जानकारी ज्ञानी मन ले साभार  हे।


राजकुमार चौधरी

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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