Tuesday 15 March 2022

गम्मतियॉः

 -ःगम्मतियॉः-


मुड़ी डोलावत रूखराई , कनिहा मटकावत नरवां ढ़ोड़गा आसिस देवत डोंगरी पहाड़ अऊ हरियर- हरियर धान के खेत । मंझोत मा नान्हे घर, खदर छवाय छानी तब कुम्हारी खपरा के घेरू रंग अऊ जब्बर हावय सिरमिट के छत । कॉव- कॉव नरियावत कौआ। करिया पिवरी लाली गॉंव के माटी गउहा डोमी कस चिकचिकावत हे । गोटरा अऊ मुरूम के सलमल-सलमल करत रद्दा साहर कोती जावत हे। 

इही रद्दा मा गॉंव के जवनहा अऊ लइका मन आके अगोरा करत हे नाचा वाला मन के । अकरस पानी गिरे हाबे। अऊ ........कच्ची  सड़क  ? नाचा वाला के वाहन हा झन सटके कहिके पटइल हा येमन ला भेजे हे। ओखर  घर नवां पहुना आये हे, ओखरे छट्ठी मा नाचा कार्यक्रम हावय।  भुरूर- भुरूर, गुरूर- गुरूर करत एक ठन जीप हा आइस अऊ उँही रद्दा मा ठाढे होगे। कतको खोचका डीपरा आइस , लद्दी मा फदकीस तब कभु खोचका मा सटकीस फेर लइका मन  हा ओ जीप ला पेलत ढकेलत गाँव के गौरा गुड़ी मा अमरगे ।

                         पाल परदा तनागे । बड़े बड़े लट्टू के अंजोर बगरगे मंच मा, भिकभिकावत हावय लइकामन, सिगबिग-सिगबिग करत हावय जवनहा मन अऊ रखमखाके उठिस सियान मन।  टूनुन -टूनुन, टिनिन -टिनिन ,गिदिक- गिदिक बाजा हा... पी -पी पू-पू पे-पे ....पेटी हा झिमक -झिमक.... झुमका अऊ झमक -झमक..... मंजीरा हा बाजे लागिस । लइका मन थपोली मार के हाँसे मुचकावय ,चिचियावय जय बोलावय अऊ कलेचुप बइठ जावय । कथरी गोदरी ,बेलांकीट कमरा , चद्दर लुहंगी जम्मो ला ओढ़े बर धरके आइस देखइया मन  अऊ अपन-अपन जगा मा पोगराके बइठगे ।

                         मंगलाचरण होइस ,सरसती दाई के पूजा होइस ताहन टूरा जात नचकारिन मन हा कुद कुदके मटका मटका के  हलु -हलु तब जोर -जोर से  नाचे लागिस हिन्दी फिलमी अऊ छत्तीसगढ़ी गाना मा। गॉंव के मन मोंजरा धराइस। अब जम्मो देखइया मन मात गे नाचा मा। बजनिया मन हा नचौनी पार बजाइस अऊ एक झन जोक्कड़ गिदबीद -गिदबीद जझरंग- जझरंग नाचके धुर्रा उड़ावत हावय। सब मगन हे नाचा मा तभे  पाछु कोती के मइनखे भिदभिदाये लागिस।

" का होगे...? का होगे...?'' के आरो आइस। लइका पिचकामन रोये लागे। दुसरइयां जोक्कड़ हा मुसुर-मुसुर मुचकावत मंच मा चढ़ीस अऊ नाचे लागिस। बडे़ बडे़ मेछा,  पेट हा हडि़या कस निकले हावय -पेटभरी। आँखी मा तसमा एक कोती कांच अऊ दुसरइयां कोती बिना कांच के। गोड़ मा घुंघरू कनिहा मा घांघरा, बोकरा के मुड़ी वाला टेड़गा कुबरा लौठी जम्मो ला रेंगडू जोक्कड़ देखिस। पेटभरी जोक्कड़ हा उंघात रिहिस। 

"उठ गा !..... कोन हरस तेहाँ ?''

 नइ उठिस... अऊ नाक ला बजाये लागिस घोटोर-घोटोर । तब, रेगडू हा लात मा मारिस बाजा घला ताल दिस, पेटभरी के नकली चुंदी , तसमा अऊ पेट के गोल के कपड़ा के मोटरी हा निकलके झितरागे ,गिरगे जझरंग ले। जम्मो मइनखे कठल- कठल के हाँसे लागिस । दुनो कोई जोहार भेट होइस अऊ जम्मो कोई ये समाज ला जोहार करिस । रेगडू जोक्कड़ हा मनीराम अऊ पेटलू जोक्कड़ हा धनीराम आए ।  

’’सब बने-बने भइयां, कोन गॉंव रहिथस भाई !’’ मनीराम पुछिस। 

"मोर गॉंव के नांव पुछेस संगवारी ! तब बने सुन मोर गॉंव के नांव हे -  तेहाँ खड़े रहा मेहाँ आवत हँव अऊ भट्टी कोती जावत हँव।’’  

धनीराम किहिस 

 जम्मो देखइयां हाँसे लागिस। 

"अइसना कोनो गॉंव के नाव रही गा बने बता रे भाई !''

मनीराम फेर पुछिस।

"कोन गाँव रहिथस भइया ?''

"सरायपाली बसना ,जान सुन के फँसना।''

जम्मो कोई कठल-कठल के हाँसे लागिस।

"ओतिक दूरियां ले कामे आये हस भइयां धनीराम !’’

मनीराम फेर पुछिस।

’’पीठ उप्पर कुला मटकावत आये हावव।’’

जम्मो देखइया मन एक उरेर के अऊ हाँस डारिस।

"का आनी-बानी के गोठ गोठियाथस जी ! ये चार समाज मा फभीत्ता कर देबे तइसे लागथे.....।'' 

मनीराम संसो करत किहिस। 

"येमा फभीत्ता वाला का बात हे भाई मनीराम ...?  घोड़ा के पीठ मा बइठके आये हाव रे भाई । इही तो होइस ना पीठ उप्पर कुला मटकाई ।

 "अब अइन्ते-तइन्ते के गोठ ला छोड़ भैया धनी राम  अऊ ये चार समाज ला कोनो भजन सुना ले। ये मृत्यु लोक मा आये हाबन तब प्रभु के भजन करके तर जाबो भैया।''

"तब सुन.....आ...आ...हा... ह...आ..अ..ह...।

मनीराम किहिस अऊ राग अलापे लागिस। बाजा पेटी घला तान दिस।

"घर ले निकलत तोर ददा मरगे, 

अधमरा होगे भाई......।

बिपट जंगल मा तोर डौकी ला चोरालिस , 

काम बिगाडि़स तोर दाई ......।।

पीठ मा दोंहय ले मुटका परिस। बाजा घला बाजिस अऊ धनीराम दू गोड़ उसाल के गिरगे।जम्मो कोई हाँसे लागिस।

"का आनी बानी गोठियाथस भइयां तेहाँ ! गारी बखाना खवाबे अइसे लागथे ...?''

 मनीराम किहिस तब धनीराम अरथ बताइस।

"घर ले निकलत तोर ददा मरगे माने भगवान राम हा बनवास गिस तब राजा दसरथ हा परान तियाग दिस। भाई लक्ष्मण हा अधमरहा होगे अऊ बीच रद्दा मा जानकी मइयां ला रावण चोरालिस ।...अऊ ये जम्मो हा दाई कैकई के सेती होइस।''

"सिरतोन आए संगवारी ...! ले एकात ठन अऊ सुना।''

 मनीराम किहिस

               दुर देश तोर मइके आए संगवारी, गाँव-गाँव मा ससरार....।

               अलिन-गलिन मा गोसाइया ठाढे़, तोर घरो घर लगवार.......।।


 धनीराम राग धरके किहिस अऊ मनीराम मुटका मारिस बाजा ताल ठोकिस। देखइया मन कठल- कठल के हाँसे लागिस। 

"कइसे आनी-बानी गोठियाथस रे  ..। संत समाज मा नाक कटवाना हे का...? नकटा...।''

"नही भइयां..! कटवाये नाक ला जोड़ना हे ।'' धनीराम हा नकली नाक ला निकाल के देखावत किहिस अऊ अरथ बताइस।

"दूर देश के माइके माने बिजली हा कोरबा ले आथे भइयां ,तब माइके होइस अऊ गाँव-गाँव  मा बगरके अंजोर करिस तब ससरार , गली खोर मा बिजली खम्भा ठाढे हे उँही हा होईस गोसइया ।''

धनीराम अरथ बताइस।

"ले संगवारी मिहि हा सुनाथव एकात ठन...।'' "ले,तहुँ हा सुना ..!''


एक बाप के बारा बेटा, छे झन बहुरिया बिहाय।

एक ठन लुगरा पहिराके ओला ,खारे खारे कुदाय ।।


                        "संगवारी हो बइलागाड़ी के चक्का मा बारा ठन आरा अऊ छे ठन पाठा होथे। इही हा छे झन बहूरिया अऊ बारा झन बेटा आय। एक ठन लोहा के बाठ ले इही डूलडूली हा बनथे।  इही हा लुगरा होइस संगवारी अऊ इही मा हमन खेती किसानी के जम्मो बुता ला करथन। 

 "बोलो किसन बलराम  की ....जय ।''

जम्मो कोई जय बोलाइस।                    

"ले संगवारी आखिर मा एक ठन अऊ सुनाथव।''

" ले भाई सुना ..।''

मनीराम किहिस धनीराम के गोठ सुनके।


चार महिना के छोकरी, छे महिना के पेट । अट्ठारा झन लइका बियाय , पुरूस संग नही भेट ।।


                     मनीराम हा धनीराम ला अऊ मारिस गिरत हपटत चार भॉवर किंजर डारिस धनी हा। अऊ जम्मो कोई हाँसे लागिस।

"पुरूष संग भेट नइ होइस तब कइसे लइका बियाही...?'' मनीराम गुनिस तब धनीराम अरथ बताइस

                              " संगवारी हो चार महिना के छोकरी माने चारो बेद आए अऊ छे महिना के पेट माने छे शास्त्र आवय ।अट्ठारा पुराण जौन हा ऐखरे ले उबजे हावय ।''

              कार्यक्रम हा बने होवय कहिके आसिस मांगिस अऊ अपन ही... ही ....भकभक.... बर छिमा । 

"अई होहहहह......तिरिया जनम झन देबे ओ ..हो बनवारी...। तिरिया जनम झन देबे ओ...!

पइया मय लागत हँव ,चंदा सुरूज तोर हो बनवारी ...।

 तिरिया जनम झन देबे ओ...।

 भीड़ कोती ले हाँका पारत,सुर लमावत अउ गाना के मुखड़ा ला गावत धीरलगहा मंच मा आइस नजरिया हा । अपन मुड़ी मा फूल काँच के लोटा बोहे रिहिस। छत्तीसगढ़नीन बिहाता नारी के सवांगा मा रहिस टूरा हा। मांग मा सेंदुर, कनिहा तक झुलत बेनी मा फुंदरा, नरी  मा मंगलसूत्र , मुँदरी, अँइठी के संग बाहभर चूरी,  पहुँची, कनिहा मा करधन गोड़ मा साँटी  अउ  बिछिया .....सोला सिंगार दमकत चेहरा फेर मुड़ी ढकाये।


                 सिरतोन संगवारी हमर छत्तीसगढ़ मा आनी बानी के हाना अऊ साकी हावय ।अप्पड़ मइनखे जेखर अरथ ला अतका सुघ्घर बताथे वोला अब्बड़ पढे़ लिखे गियानी मन घला नइ बता सकय । इहाँ ठट्ठा बुचुल मा भगवान के महिमा गाये जाथे, ओखर परताप केहे जाथे । गम्मतिहां के अइसना गोठ ला सुनके गदगद हो जाथे लोगन मन।

            परकिती ला बचाना हे। जुन्ना बेरा मा जौन कुरीति आवत हावय तोन ला खेदारना हे। अऊ नंदावत हमर सुघ्घर परमपरा ला फेर उबारना हे । जिनगी के महत्ता ला जानना हावय अऊ घाम छइयाँ , अंधियारी अंजोरी सुख दुख जम्मो ला पार लगाना हे।   जात पात के बंधना ला टोरके जम्मो भाई चारा ले राहय।  घुसखोर अऊ भरसटाचारी मइनखे के दुरगति , गदहा के अब्बड़ लइका अऊ बधवा के एक लइका सही कमती परवार के सीख।  नानपन मा बिहाव नइ करना हे तब टोनही नइ होवय, अब्बड़ गियान अऊ विद्या के गोठ ला इही गम्मत मा देखाइस,सिखोइस अऊ बताइस गम्मतिहां धनी मनीराम अऊ ओखर संगवारी मन हा । गाँव के मन अब्बड़ उछाह मनाइस, थपोली मारिस, हाँसिस मुसकाइस, ठट्ठा करिस अऊ सोहर गीत गाइन। 

काखर भये सिरी राम ,काखर भये लछमन हो ................।

ललना काखर भरत भुवाले सोहर जस गावय हो...............।।

कोसिलिया के भये सिरी रामे ,सुमिनतरा के लछमन हो .............।

ललना केकयी के भरत भुवाले ,सोहर जस गावय हो ..................।।

                      जम्मो कोई गाँव के सियान पंच सरपंच गौटिया मन घला लइका ला पइसा अऊ आसिस दिस सुघ्घर भविस के उजास बर। जेखर ले जइसन बनिस तइसन पइसा कौढी़ अऊ नेग धराइस । जम्मो ब्रम्हांड ला धन्यवाद दिस , पवनसुत हनुमान ,सरसती दाई,  दुरगा दाई ला अऊ देखइया जम्मों लोगन ला धन्यवाद देके कार्यक्रम ला उरकाईस। इही गीत ला गाईस।


हमन जाथन अपन अपन गांव

भइया मन ला राम राम  राम................।।

दीदी मन ला सीताराम................।।

हमन जाथन अपन अपन गांव................।।

               जम्मो कोई  ला जोहार भेट करिस अब्बड मया उछाह आसीस पावत लहुटगे नाचा वाला मन अपन गॉंव।

              ’’हेर ओ कपाट ला फूलबासन।‘‘ 

धनीराम हा अपन गोसाइन ला हुत कराइस।

 ’’अभी होइस तोर बेरा हा रातदिन नाचा मा जाके पदनी-पाद पदोवत हस । मेहाँ डौकी परानी घर ला देखव ते खेत-खार ला। फूलबासन हा झरझरावत आइस अऊ कपाट ला हेरिस। धनीराम हा कलेचुप घर मा खुसरगे।

‘‘लइका हा जर में हकरत हे अऊ खेत-खार ला माहु चुहकत हावय। न लइका के जतन के संसो न खेत मा दवई छिते बर तियारी....? जम्मों कोती रोहो-पोहो हावय।’’

कुरिया मा खुसरत जम्हावत फूलबासन किहिस

" खेत ला माहु चुहकत हे कीरा खाये हे कहिथस तब खावन दे ना ओ धान हा तो बने टन्नक ठाढहे हावय ना।‘‘

धनीराम हा खिल्ली करत किहिस ।

फूलबासन हा गोठ ला  सुनके अगियावत हे। 

’’तोर थोथना हा टन्नक ठाढहे हावय।’’ 

 लोटा भर पानी ला जझरंग ले पटकीस। 

धनीराम हा मुसुर-मुसुर मुचकावत कठल-कठल के हाँसे लागिस। धनी हा अपन नान्हे लइका के तीर मा गिस उछाह नंदागे अऊ चेहरा मा उदासी छाये लागिस । ओखर हाथ ला टमरिस। लकलक-लकलक करत रिहिस।

" काली इलाज करवाहु आज भुई लीम के रस ला पीया दे बने हो जाही।''

’’लइका हा चार दिन ले जर मा हकरत हावय अऊ...।''

 फूलबासन किहिस संसो करत।

’’ आज नइ लेगव ओ. ...! जम्मो पइसा उरकगे काली कोनो ला उधार बाढ़ही मांगके लेगहू।’’  

’’काहाँ करेस ओतका पइसा ला ?  फेर बाजा मोहरी ला बिसा डारेस का...?, रात दिन पदोवत हस। मोर गाहना जेवर हा घला नइ बाचिस तोर नाचा मा ।''

 धनीराम कलेचुप रिहिस अऊ फूलबासन भभके लागिस ।

            दुसर दिन  बिहनिया लइका ला असपिताल मा लेगिस अऊ भरती करिस । 

"लइका के मलेरिया जर हा माथा मा चढ़गे हावय तुमन अब्बड़ बिलम ले काबर लाने हँव। झटकुन लाने रहितेव।''

  डाक्टर  खिसियावत किहिस अऊ ईलाज करिस धकर-लकर। फेर चार दिन ले सुध घला नइ आइस। अब्बड़ पइसा कुढ़ोइस मांग झांग के धनी हा फेर करम के डाड़ मा आने लिखाये रिहिस । लइका ला नइ बचा सकिस । धनी हा बड़का बेटा ला पोटार के रोये लागिस अऊ फुलबासन हा तो लइका के लाश देखके बेसुध होगे ।

             जवनहा के बीते के दुख कतका होथे ओला फूलबासन अऊ धनीराम हा जानही .? संगी संगवारी नत्ता गोत्ता मन हा दुख के बेरा मा पंदोली देये लागिस ।

             नान्हे जवान बेटा के दुख हा कनिहा ला टोर दिस फेर  धनीराम हा अब्बड़ उदिम करिस फुलबासन ला उछाह मा राखे के। .....अब्बड़ सामरथ करिस, अऊ अपन बड़का बेटा के बिहाव करिस दुखम सुखम। फुलबासन बर बहुरिया कमती अऊ संगी सहेली जादा बने इही गुन के। गरीब हा करजा मा जनम लेथे करजा मा बिहाव होथे अऊ करजा करके मर जाथे। वइसना धनीराम संग घला होइस। जिनगी भर करजा करिस अऊ जिनगी भर करजा छुटे लागिस। लइका के दुख के करजा, बड़का बाबू के बिहाव के करजा, खेत खार घर दुवार ला बेच डारिस तभो ले नइ छुटाइस अइसन करजा हा ।

              सियाना होगे धनीराम हा फेर एक ठन आस हावय सरकार ले । सरकार हा गम्मतियां मन ला ईनाम देथे  रूपिया अऊ परससति पत्र अइसना सुने रिहिस धनीराम हा । आधा पइसा मा करजा छुटहु अऊ पचीस पचास हजार मा रेचका, दोनगाहा भसकाहा घर ला उझारके दू कुरिया के घर बनाहु।  कोन जन धनीराम के ये साध कब पुरा होही ते .......? भगवान जाने अऊ सरकार जाने .......।

               ‘‘गम्मतिया, ये गम्मतिया ..।

आरो ला सुनिस तब धनी राम के चेहरा के जम्मो संसो भगागे । मनी राम आवय हुत करइया ।

’’ भइयां जोरातराई(सिलौटी) गाँव जाबो  नाचा करे ला, काली के कार्यक्रम हावय मंडल घर के उछाह मा नरिहर अऊ इंक्वान रुपिया झोंके हावव।’’ 

"हांव जाबो भइया ! संझकेरहा । काबर नइ जाबोन भई...। ’’ 

धनीराम हा जम्मो दुखपीरा ला बिसराके किहिस । उछाह मा मुचकाये लागिस। कलाकार ला  का चाही....?  लोगन मन के थपोली...।  धनीराम  घला अतका चाहिस। नाचा करे बर जाये के तियारी करे लागिस धनीराम हा।

"झन जा अब छोड़ तोर नाचा गम्मत ला । तोर नाचा गम्मत मा जम्मो लुटा गे।''

 फुलबासन हा बरजिस फेर धनीराम हा तो कलाकार आवय। ....नइ सुनिस गोसाईन के गोठ ला। अब जीप फेर गुर्राये लागिस अऊ फुलबासन घला...। 

अइसन गोसाइया बर तिरिया जनम झन देबे बनवारी ......।

तिरिया जनम झन देबे....।।

फुलबासन फुसफुसावत किहिस।

..... अब फुलबासन के आँखी ले आँसू आवत हे।



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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

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