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*सबला बड़खा जादूगर : तंय कि मंय*
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आजकल तो बिजहा धान हर घलव चौगुन ..पचगुन ..कीमत म मिलथे। खातु -कचरा , दवई -माटी मन तो जांगर टोरे म नई मिंलय । येकर बर 'दरब ' लागबे करथे। दु -चार पइसा ,इकन्नी- दुअन्नी कर के धरे रबे, तेहर सब स्वाहा हो जाथे येमन म। अउ च लाग गय,तब तोर भौजी के कनिहा म खमखम ल कसाय, वो चांदी के करधन हर उतर के साहूकार के तिजोरी म पहुँच जाथे ।
का कहंव भाई, तोला । कहिबे त लाज, अउ नइ कहिबे तब बनत नइ ये।बच्छर भर म आठ - महीना, ये करधन हर साहूकार के तिजोरी म रइथे। तोर भौजी के कनिहा म ले दे के चार महीना ही रहे पाथे,ये जिनिस हर ।
फेर तरुवा- माथा ल पसीना के जउन बूंदी हर चुहथे ,तउन हर रगबगात अनाज के दाना बन जाथे।तब सब शिकायत-लिगरी हर मेटा जाथे।अरे,मोर हाथ म जादू हे.. जादू ! दुनिया के सबला बड़खा जादूगर अंव मंय।
मंय किसान अंव ।
...अइसन गुनत भाव -समुन्दर म बूड़त- उतरत महावीर एक बोरा नावा धान ल लेके तीर के किराना दुकान म गइस। गरु के मारे लटपट उतारे सकिस। वैपारी- पिला हर कूदत जाके वोकर सहायता करे लागिस ।
"बनेच कइनचा हे ,धान हर।" वो वैपारी- पिला, धान ल मुठा म धर के लाडू बनाय असन करत कहिस ,"चार किलो नमी कटही येमा।"
अतका बेरा म खुद बैपारी आ गय वो जगहा म ।वोहर कोहनी के जात ल अपन हाथ ल बोरा म बोज दिस,अउ तमड़त ..टटोलत एक मुठा धान ल निकाल लानिस ।वोला अपन हथोरी म बगरावत फूंक के देखिस।
"गरदा घलव हे..!चार किलो गरदा कटही।"वो कहिस ।
महावीर जोड़ के देखिस।पचहत्तर किलो म आठ किलो नुकसानी म भागत हे। वोहर बोरा ल फेर बोहे कस करिस।
"ये..येय..! कहाँ ले जाबे ।सुन तो सुन। रुक ..रुक बना लेबो ।बना ..लेबो !"वैपारी- सुत हर चुकलावत कहिस।
महावीर घलव जानत हे । ये ठीहा ल छोड़ के वो ठीहा म जाबे, त कोन से मार उँहा सत के राज हे। बोरा उठाई हर तो ,छकाय के एक ठन तरीका रहिस।
ले दे के मोल- तोल म पांच किलो नुकसानी -गरदा काटे के बात सामने म तय होइस।अउ कीमत सरकारी कीमत ल सात सौ रुपया कम।
कांटा -पल्ला चलिस। वैपारी पूत हर हाथ -सफाई म अउ उस्ताद रहिस। तँय मोला का छकाबे महावीर...! तँय महावीर अस त मंय परमवीर अँव। वोहर मने- मन म कहिस अउ मुस्कुराइस।अउ येती हाथ हर दु- तीन किलो के सफाई करिच डारिस।
खटाखट कैलक्यूलेटर चलिस।काट छोप के बारह सौ छैसठ रुपया बनिस।
ये रुपया ल तँय का करबे..!
"का ...का लेबे?तोला जउन भी लागही,वो सबो जिनिस हावे मोर करा।"
खाली बोरा अउ अंगोछा म बंधाय नानकुन गठरी के संग म दुनिया के सबला बड़खा जादूगर , धीर -गति ल अपन घर कोती वापिस होवत हे ।
*रामनाथ साहू*
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