Tuesday 15 March 2022

सबला बड़खा जादूगर : तंय कि मंय*

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                            1.


        *सबला बड़खा जादूगर : तंय कि मंय*

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               आजकल  तो  बिजहा धान हर घलव चौगुन ..पचगुन ..कीमत म मिलथे। खातु -कचरा , दवई -माटी मन तो जांगर टोरे म नई  मिंलय । येकर बर 'दरब '  लागबे करथे। दु -चार पइसा ,इकन्नी- दुअन्नी कर के धरे रबे, तेहर सब स्वाहा हो जाथे येमन म। अउ च लाग  गय,तब तोर भौजी के कनिहा म  खमखम ल कसाय, वो चांदी के करधन हर उतर के साहूकार के तिजोरी म पहुँच जाथे ।



             का कहंव भाई, तोला । कहिबे त लाज, अउ नइ कहिबे तब बनत नइ ये।बच्छर भर म आठ - महीना, ये करधन हर साहूकार के तिजोरी म रइथे। तोर भौजी के कनिहा म ले दे  के  चार महीना ही रहे पाथे,ये जिनिस हर ।


       फेर तरुवा- माथा ल  पसीना के जउन बूंदी हर चुहथे ,तउन  हर रगबगात अनाज के दाना बन जाथे।तब सब शिकायत-लिगरी हर मेटा जाथे।अरे,मोर हाथ म जादू हे.. जादू ! दुनिया के सबला बड़खा जादूगर अंव मंय।


                 मंय किसान अंव ।


         ...अइसन गुनत भाव -समुन्दर म बूड़त- उतरत महावीर एक बोरा  नावा धान ल लेके तीर के किराना दुकान म गइस। गरु के मारे लटपट उतारे सकिस। वैपारी- पिला हर कूदत जाके  वोकर सहायता करे लागिस ।

"बनेच कइनचा  हे ,धान हर।" वो वैपारी- पिला,  धान ल मुठा म धर के लाडू  बनाय असन करत  कहिस ,"चार किलो नमी कटही येमा।"


           अतका बेरा म खुद बैपारी आ गय वो जगहा म ।वोहर कोहनी के जात ल अपन हाथ ल बोरा म बोज दिस,अउ तमड़त ..टटोलत एक मुठा  धान ल निकाल लानिस ।वोला अपन हथोरी म बगरावत फूंक के देखिस।

"गरदा घलव हे..!चार किलो गरदा कटही।"वो कहिस ।


           महावीर जोड़ के देखिस।पचहत्तर किलो म आठ किलो नुकसानी म भागत हे। वोहर बोरा ल फेर बोहे कस करिस।

"ये..येय..! कहाँ ले जाबे ।सुन तो सुन। रुक ..रुक बना लेबो ।बना ..लेबो !"वैपारी- सुत हर चुकलावत कहिस।


             महावीर घलव जानत हे । ये ठीहा ल छोड़ के वो ठीहा म जाबे, त कोन से मार उँहा सत के राज हे। बोरा उठाई हर तो ,छकाय के एक ठन तरीका रहिस।



         ले दे के मोल- तोल म पांच किलो नुकसानी -गरदा काटे के बात सामने  म तय होइस।अउ कीमत सरकारी कीमत ल सात सौ रुपया कम।


           कांटा -पल्ला चलिस। वैपारी पूत हर हाथ -सफाई म अउ उस्ताद रहिस। तँय मोला का छकाबे महावीर...! तँय महावीर अस त  मंय  परमवीर अँव। वोहर मने-  मन म कहिस अउ मुस्कुराइस।अउ येती हाथ हर दु- तीन किलो के सफाई करिच डारिस।


           खटाखट कैलक्यूलेटर चलिस।काट छोप के बारह सौ  छैसठ रुपया बनिस।


               ये रुपया ल तँय का करबे..!


"का ...का लेबे?तोला जउन भी लागही,वो सबो जिनिस हावे मोर करा।"


         खाली बोरा अउ अंगोछा म बंधाय नानकुन गठरी के संग म दुनिया के सबला बड़खा जादूगर , धीर -गति ल  अपन घर कोती वापिस होवत हे ।



*रामनाथ साहू*




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