Sunday 27 March 2022

हमर देसी फिरिज--करसा

 हमर देसी फिरिज--करसा



अब तो गरमी घलो नंगत के बाढ़ गेहे। सबो जीव धारी मन बर पानी अभी के बेरा म अब्बड़ जरूरी होथे। फेर कहूं-कहूं पानी के अब्बड़ तकलीफ घलो हो जाथे। अब तो थोरको घाम चघे नई रहय अउ टोंटा ह सुखाय ल परथे। कोई डहन ले आबे तहन ले मार संसन्न भर के ठंडा पानी पिबे तभे जीव लहुटे सही लगथे। अब गरमी म सरबत के चलन बढ़त हे, लिमऊ के रसा हो जाये तहन एक के ह दू गिलास पिया जाथे। गरमी म सगा मन के सुआगत ठंडा पानी के सरबत ले ही होथे। 


गरमी दिन म गंवई गांव म जादा ले फिरिज तो नई मिलय पर फिरिज के बड़े ददा जरूर सबे घर मिल जाही। जेला देशी फिरिज घलो कथे--करसा,करसी,मटका,घड़ा, येकर नाव हावे। जे ईहा के पानी ल पिथे ओला तो अमरीत पिये सरी लगथे। काबर के ईहा के पानी एकदम ठंडा,मीठा,सुवादिस रथे। नंगत घाम के आये के पीछू येला पिये के आनन्द अलगे रथिते। येकर गुन ल जनैया मन करसा के पानी ल पिये बर अब्बड़ सोरियात रथे, घर म सियान मन के भाखा सुनात रथे-ये करसा के पानी ल देबे नोनी न।


अभी करसा मन के चलन बाढ़ गेहे,बाजार म छोटे-बड़े कतको मिल जाथे। लेवैया मन अंगरी ल टेड़गा करके मारही तभे ओकर मन माढ़ही,मने करसा के बने ठहिल पाके के परख हरे,अउ बगबग ले लाल घलो रहय। करसा ल घर म लान के पानी ल भर के रखे ल पड़थे। रखे बर रेती ल भींजो के रखदे नहिते लोहा के स्टेन्ड घलो बनथे। जादा ठंडा रखे बर हे त चिरहा बोरा ल पानी म भींजो के करसा म गोल लपेट के रखे ले अब्बड़ ठंडा रथे।


करसा के पानी के ठंडा रहे के कारण घलो हे,करसा म अब्बड़ नांन्हे-नांन्हे छेद रथे,जे आँखी ले नई दिख पाये। ये छेद ले पानी ह रिसत रथे,अउ करसा के बाहिर तक आ जथे। बाहिर के तापमान ह भीतरी के तापमान ले जादा होय ले वाष्पीकरण होवत रथे। जेकर ले करसा के पानी अघात ठंडा रथिते।


करसा के पानी फिरिज के पानी ले अपन सेहत बर बने होथे। फिरिज ल पानी अउ बॉटल के पानी ल कतरो पी ले,पियास बुझाबे नई करय। शरीर बर तको नुकसानी आय। करसा माटी के बने हे जेमे कई परकार के रोग-राई के लड़े के समता हे। येकर पानी के सुवाद अउ मजा अलगे हे। 


करसा के पानी पिये ले जेवन ह बने पचे बर पाचन तंत्र ल सहयोग करथे, शरीर म टेस्टोस्टेरोन बढते। पेट के समस्या गैस,अपच,जलन नई होय। करसा के पानी अशुद्दी मन ल साफ कर पानी के गुन ल बढ़ाथे।वात रोग ल नई बढ़न दे। गला ल खराब नई होन दे। पी एच मान बने रथे। गरबवती माता मन बर अउ जादा पुस्टई काम करथे अउ नांन्हे लइका ल मजबूत बनाथे।


सियान मन कथे कि रोज बिहिनिया ले करसा के पानी ल पिये ले कोई बेमारी नई होय। बिहिनिया के पानी ल अब्बड़ फायदे माने गेहे,ये हमर आँखी,दिल,दिमाक ल बने पोठ करथे। अपन शरीर के बने ठहिल रखना हे त करसा के पानी ल जरूर अपनाए प लगही। पहली के सियान मन करसा के पानी,हड़िया के भात, कलौंजी का साग खाये त कइसे अब्बड़ ठोस रहय। हमन येला छोड़त हन त दिनों-दिन हमर शरीर के बल कम होवत जात हे। प्रकृति के दुरिहा भागे के फल ल पावत हन।


अब गांव रहय ते सहर सबो के मनखे मन करसा के पानी ल अपनाये हे। सड़क तीर अउ सहर मन म कतरो पियाऊ घर खुले हावे,जेमे एक झन पानी पियाईया जरूर रथे। येला कोई संसथा, भले आदमी,सामाजिक संसथा वाले मन खोल के पानी पियाये के धरम काम करत रहिथे।


करसा के पानी ल फिरिज के पानी सही बिजली ले ठंडा करे के जरूरत नई हे, ये तो प्राकृतिक रूप ले ठंडा रथे। मने एकदम सुद्द देशी। बिजली के ख़र्चा करे ले बचत घलो होथे। करसा लेय ले हमर कुम्भकार भाई मन के घलो मिहनत के मान अउ सहयोग होथे। करसा के पानी ल हमन पिबो त अवइया पीढ़ी मन हमन ल देख के करसा के पानी ल अपनाही अउ अपन सेहत बर जागरूक होही। परकीरीती के तीर म रहि अउ सेहत घलो बने ठहिल रहिही।



         हेमलाल सहारे

मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव

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