Sunday 15 May 2022

बासी दिवस बनाम मजदूर दिवस ----------------------------------------

 बासी दिवस बनाम मजदूर दिवस

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एक मई मजदूर दिवस आये। येला मजदूर दिवस के रुप म दुनिया म मनाये जाथे। येला छत्तीसगढ़ के बासी ले जोड़ के मुख्यमंत्री ह सबके दिल म जगह बना लिस। अइसे का मन म अइस के एक मई ल बासी दिवस के नाव दे दिस? आज छत्तीसगढ़ के खान पान ऊपर बहुत ध्यान देवत हावंय। कलेवा तो अब आम मनखे मन मक पहुंच गे हावय। बनावत हावंय अउ बेचत घलो.हें। चार सौ ले लेके छै सौ रुपिया किलो तक मिलथे। इंहा तक जचकी लड्डू घलो मिलथे। 


आज  बासी डाहर सबके धियान जावत हे। दूसर प्रदेश.के मन भी बासी के बारे म जानथे। मजाक घलो उड़ाथें।फेर येखर महिमा ल जाने के बाद सब सब येला खाना शुरु कर दिहीं। विदेश में भी येखर ऊपर शोध होये हावय। अमेरिका भी येखर लोहा मानथे। डाक्टर रूणा पल्टा आहार विशेषज्ञ ह घलो येखर बारे म बताये हावय। रात के बने भात ल पानी म बोर के रख दव। बिहनिया ओला बासी कहे जाथे। हल्का खट्टापन रहिथे अउ बहुत मिठास रहिथे।


अरुणा पल्टा के अनुसार बासी म बहुत पोषक तत्व रहिथे। रातभर पानी म डुबे रहिथे त फर्मनटेशन होथे याने खमीर उठथे। येमा केल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम अउआयरन होथे। शरीर बर बहुत आवश्यक तत्व होथे विटामिन बी 12, यहू ह येमा पाये जाथे। येखर ले शरीर ल उर्जा मिलथे। ये सब मानसिक स्वास्थ्य बर भी बहुत उपयोगी होथे। ताजा बने भात ले येमा 60% कैलोरी ज्यादा होथे।


दिन के भात ल तुरंत एक पानी धोके पानी डाल के खाथें तेन बोरे कहलाथे। रातभर बोर के रखे जाथे तेन बासी आये।

 येला भाजी के साथ खाना चाही। संग म गोंदली याने प्याज होना जरुरी हे। नमक डाले जाथे स्वादानुसार। नया लहसुन अउ लाल मिर्चा के सील म पीसे चटनी होगे त येखर स्वाद ल कोई दूसर म नइ पाये।बासी दाल म लालमिर्च डाल के भी खाथें। खट्टा सब्जी होगे तब तो स्वाद ल पूछ मत। सबके रूझान बोरे बासी ले हटत हावय। पिस्ता ,बरगर, पास्ता डाहर लइकामन के ध्याश जात हावय। तब ये बासी दिवस के.शुरुआत ह येला बढ़ावा दिही। 


आज कुकर म माइक्रोवेव ,इंडक्शन म खाना बनत हावय। ये खाना मन पकय नहीं फटथें। ये ह पेट म गैस पैदा करथे। आज रासायनिक खाद के उपयोग होथे येखर ले अनाज साग भाती म पौष्टिकता नइ राहय।आजकल ये बात ल जाने के बाद जैविक खाद के उपयोग होवत हावय। येखर चावल ,गेहूँ, सब्जी भाजी बहुत मंहगा होथे। फेर.पौष्टिक रहिथे। बहुत खरीददार ये मांहगी जिनिस ल लेवत हावंय।


आज इही कारण ले हमर पौष्टिक बासी डाहर सबके धियान गीस। आजकल बरतन के धातु ऊपर भी गोठ बात चलत हावय। मिट्टी के बरतन बहुत उपयोगी हावय। बासी बर तो करिया मटका बहुत ही बढ़िया होथे।  मटका के बारीक छेद ले हवा जाते त बासी म उचित खमीर उठथे अउ बहुत स्वादिष्ट हो जथे। हल्का खट्टापन ही एखर पौष्टिकता के चिन्हारी आये। गर्मी म सबला बासी जरुर खाना चाही ये ह ठंडा होथे। बोरे भी खाना चाही ये सब खराब पेट ल भी सुधार देथे। जय होवय बासी के।

सुधा वर्मा, 8/5/2022 ,मड़ई ,संपादकीय देशबंधु

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