Tuesday 3 May 2022

किसानी के नवा बछर-अकती तिहार


 

किसानी के नवा बछर-अकती तिहार


हमर छत्तीसगढ़ राज म बारो महीना अब्बड़ तिहार होथे। तिहार मनखे के जिनगी म नवा उसाहमंगल,नवा बिचार,नवा कारज करे के पबित्र संदेश देवत रथे। तिहार मनखे के थके-हारे मन म जोस,उमंग भर देते अउ वोला अपन जम्मो थकान ल भुला के तिहार के रंग म अंतस ले बुड जाथे। मने तिहार मन ह टानिक के काम करथे। पहिली के बुजरुग मन तिहार के संरचना ल बड़ा सोच-बिचार के बनाये हे।


अइसन हमर किसानी जीवन म एक ठन परमुख तिहार मनाथन अकती तिहार, जेला भगवान परशुराम के जयंती के नाव के घलो जानथे। ये तिहार बैशाख महीना के अंजोरी पाख म तिसरैया दिन बड़ा धूमधाम ले जम्मो खेती-किसानी ले जुड़े किसान भाई मन मनाथन। अक्ति तिहार ल अब्बड़ शुभ दिन माने जाथे। एकर सेती ग्रामीण जनजीवन म खेती-किसानी के शुरुआत घलो इहि दिन हो जाथे।


सबले पहिली बिहिनिया ले घर के साफ-सफाई,पिवरी-करिया म लिपई-पोतई दाई-माई मन कर डारथे। घर के सियान ल परसा पाना के तीन पनिया दोना म धान भरके हाँका परही तहन ले गांव के मातादेवाला म ठाकुर देव कर लेज के चढ़ा देथे। जेला गाड़ा ले जाना घलो कहिथे। गांव भर के धान ल बैगा मिला देथे,पीछू इहि धान ल फेर सबो झन ल दोना म घर लेजे बर देथे। बैगा हुम-धूम,पूजा-पाठ,नरियर-फाटा चढ़ा के सुमरत अरजी-बिनती करथे कि देख ठाकुर देव महाराज ऐसो हमर खेत-कोठार ल अन्न-धन ले भरपूर करबे। 


अकती तिहार ले किसानी के शुरुआत होथे एकर परतीक रूप म मातादेवाला म सकलाय लइका मन ल नंघरिया मानत लोहा के फाल, लकड़ी ले जुताई करवाके धान ल बोथे। हंसी मजाक करत सियान मन बरसा अउ सिचाई रूप म टीपा के पानी ल नंघरिया लइका मन ल डारत जाथे। लइका मन घलो पानी ले बांचे बर जोर-जोर ले रेंगे लगथे। अइसन बेरा ल देखके लइका सियान अब्बड़ सुख अउ मजा पाथे। सबो कारज होय के बाद परसाद ल बांट के खाथे अउ दोना म धान धरके घर आथे। जेला गाढ़ा लाना कथे।


घर के मुहाटी म पहुचे के बाद सियान ल चिल्लाथे, गाढा आगे पानी लावव ओ। घर के माई-लोगन मन लोटा म पानी धरके आथे अउ मुहाटी म रितो देथे,मने आये धान के सुआगत करथे। आरती उतारे के बाद ओला घर के भीतरी देवता खोली म पूजा पाठ करके रख देथे। फेर पीछू कुदारी, छेना आगी,हुम,उगबत्ती धरके दोना के धान ल खेत म बोये बर जाथे। खेत के कोई कोंटा म हुम-धूप देवत धरती माता ल सुमरत ये धान ल कुदारी म खन के बोये जाथे,अउ अन्न-धन बने होय कहिके अरजी-बिनती करथे। जेला मुड़ छोरना कहे जाथे।


खेती किसानी के शुरुवात इहि दिन ल हो जाथे। घर के जम्मो झन फेर खेत के कांटा-खुटी, लकड़ी,डारा-पाना के जलाथे अउ कांद-बूटा, दूबी मन ल निकाले के शुरू कर डारथे। खेत के सफाई के काम शरू होथे। घुरवा के कचरा ल गाडीबैला निहिते टेक्टर म निकाल के खेत म बिगराये के चालू हो जाथे।


तिहार के दिन नवा करसा म पानी लान के चार ठन माटी के ढेला म मढ़ा देथे। येकर ले हमर सियान म परसो पाथे कि ऐसो पानी-बादर कइसे हे, अउ कोन दिशा ले ऐसो पानी आही। जेती के ढेला पानी म भीज के घुरथे ओ दिशा ल ऐसो  पानी आहि कहिके अंदाजा लगाथे ये पहिली के सियान मन के परखे बर जोतिस बिद्या सही हे।


अकती तिहार म अपन सरग सिदारे पुरबज मन ल सुरता करे के दिन आये। ये दिन तरिया म नहाये के बाद  परसा पान अउ उरीद दार ल चढ़ा के उंकर सुरता करत पांच-सात बार ले पानी देवत किरतगय होथे। जेला सियान ल पानी देवई कथे।


अकती तिहार म गांव म पुतरा-पुतरी के बिहाव घलो रचाये जाथे। ये कारियाकरम म लइका-सियान सबो झन भीड़े रहिथे। संझा कुन माटी के नहिते कपड़ा के दूल्हा-दुलही बनाके तेल-हरदी,नचौडी, बरतिया,भांवर, टिकावन सबो रसम ल पूरा करथे। ये परतीकात्मक रूप म होथे पर सबो बिहाव के नेंग ल पूरा करत आनन्द के माहोल बनाके सुख पाथे।


हमर गरामिन अंचल म अकती तिहार के दिन अब्बड़ बर-बिहाव घलो मंगल दिन मानत मढ़ाये रथे। ये तिहार के दिन बिहाव करथे तेन ल दिन तिथि, मुहूरत देखे के जरूरत नई पड़े,ऐसे मानता चले आवत हे।


गांव के मनखे मन बिना अकती तिहार माने बिना परसा पाना ल नई तोड़े। काबर के परसा पाना म ही तो हमर किसानी के धान ठाकुर देव ले आथे कहिके। ये हमर प्रकृति परेमी अउ जंगल म मान करे के बात आय। बाद म मोरा छाये बर अउ घर म पनपुरवा रोटी,खेत जवैया में साग-पान लेजे बर तोड़ते।


किसान मन बर अकती के तिहार उंकर खेती किसानी बर नवा बछर जइसन होथे। किसान मन ये दिन कोई गांव-गवतरी नई जावे। कतरो जरूरी बुता ल नई करे। अउ करही त अपन तिहार ल पूरा मनाये के बाद। येकर ले साफ हे कि किसान मन बर कतिक महत्व के तिहार हरे। इहि दिन ले किसान ह अपन खेत बर बिजहा,नांगर,जुड़ा,कोप्पर, दातारी ल सुधारे के चालू कर देथे।

 

अकती तिहार गरामिन संस्कृति म अन्तस् ले रचे बसे हे। कृषक समाज म येकर महत्व अउ बड़ जाथे। तिहार मनाये के पीछू किसान अपन खेती-किसानी म नंगत के भीड़ जाथे।



                 हेमलाल सहारे

      मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव

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