. *छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वचन*
*परिभाषा* - शब्द के जेन रूप ले ओकर संख्या ( एक या जादा ) के बोध होथे, ओला वचन कहिथें।
हिन्दी जइसन छत्तीसगढ़ी म घलो वचन के दू रूप होथे-
1) *एकवचन*- शब्द के जेन रूप ले एक व्यक्ति/वस्तु/पदार्थ के बोध होथे, ओला एकवचन कहिथें।जइसे- टूरा,टूरी, किताब,कुर्सी आदि।
2) *बहुवचन*- शब्द के जेन रूप ले एक ले अधिक व्यक्ति/वस्तु/पदार्थ के बोध होथे, ओला बहुवचन कहिथें। जइसे- टूरा मन, घोड़ा मन आदि।
*वचन के रूपान्तरण-*
1) छत्तीसगढ़ी बहुवचन के रचना म ' *मन*' शब्द के *प्रत्यय* के समान प्रयोग बहुप्रचलित हे।जइसे-
*एकवचन* *बहुवचन*
लइका लइका मन
मनखे मनखे मन
घोड़ा घोड़ा मन
2) छत्तीसगढ़ी बहुवचन के रचना म *सबो/सब्बो, जमो/जम्मो* के *उपसर्ग* के समान प्रयोग बहुप्रचलित हे। जइसे-
*एकवचन* *बहुवचन*
खेत सब्बो खेत
आदमी जम्मो/जमो आदमी
टूरा सब्बो/सबो टूरा
3) कई बार बहुवचन बनाय बर *गंज,खूब, बढ़ियन*' आदि शब्द के प्रयोग *उपसर्ग* के समान( शब्द के पहिली ) छत्तीसगढ़ी म करथें। जइसे-
*एकवचन* *बहुवचन*
घोड़ा गंज घोड़ा
हिरनी खूब हिरन
आदमी बढ़ियन आदमी
4) कई बार *संख्यावाची विशेषण* अउ *संज्ञा* के बीच *झन/झिन, कन, ठन/ठिन* के प्रयोग बहुवचन बनाय बर छत्तीसगढ़ी म करथें। जइसे-
आठ *झन* मनखे
कई *ठन/ठिन* पेड़
बहुत *कन* रोटी
सात *झिन* टूरी
5) कई बार द्विरूक्ति शब्द के बीच ' *च*' लगाके बहुवचन बनाये जाथे। जइसे-
छेरी-च-छेरी (बकरियाँ ही बकरियाँ)
लइके-च-लइका (बच्चे ही बच्चे)
6) कई बार शब्द म ' *न*' जोड़ के बहुवचन बनाये जाथे। जइसे-
लइका(एकवचन), लइकन(बहुवचन)
7) कई बार बहुवचन के भाव प्रदर्शित करे बर ' *पंचन* ( लोग )' के प्रयोग किये जाथे। जइसे-
हम पंचन ( हम लोग )
तुम पंचन ( तुम लोग )
ऊन पंचन ( वे लोग )
8) कुछ शब्द मन के एकवचन अउ बहुवचन एक समान होथें। जइसे-
कुरिया ( घर ), आदमी, तलाव,डंडा, भालू आदि।
*निष्कर्ष* - छत्तीसगढ़ी म सामान्यतया बहुवचन बनाय म संज्ञा शब्द म विकार उत्पन्न नि होय अर्थात संज्ञा शब्द अपन मूल रूप म बने रहिथे अउ ओमा उपसर्ग या प्रत्यय के समान आघू या पाछू शब्द जोड़ के बहुवचन बनाय जाथे। छत्तीसगढ़ी म बहुवचन बनाय के प्रक्रिया अत्यन्त सरल हे जबकि हिन्दी म बहुवचन बनाय म संज्ञा शब्द म विकार उत्पन्न होथे।
- डाॅ. विनोद कुमार वर्मा
कहानीकार, समीक्षक, संपादक
मो. 98263-40331
ईमेल. vinodverma8070@gmail.com
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