Tuesday 31 May 2022

प्रेरणा

 प्रेरणा


प्रेरणा कोन बनथे कब बनथे ये कहे नी जा सके। अइसे नी हे कि प्रेरणा सिर्फ दाई ददा गुरु हो सकथे प्रेरणा चिरई, चुरगुन, पशु तको हो सकथे। असन कहत मनोज हर बेटी ला समझावत रहय प्रेरणा मन मा आथे तभे लक्ष्य के निर्धारण होथे , अउ बुता करत मंजिल मिल जथे सबले पहिली का करना हे सोचना चाही । अपन उद्देश्य ला समझना चाही ,अपना क्षमता खुद के देखना चाही ऐसे कहत मनोज ददा के फर्ज ले समझाय के बाद आफीस चल देथे ।कालेज पूरा करके  तात तात निकले शीलू अपन मंजिल के तलाश मा सोचत बइठे रहिस, के काय करँव कहिके ओला सूझत नी रहय । शीलू कई दिन गुजरगे ,असकटियात  रहय घर मा, बाहिर अपन सहेली संग घूमे जाय के सोंचथे अउ बगिचा कति घूमत रथें। तइसनहे एक झन चोर हा 70 साल के डोकरी दई के पर्स ल चोरा के भागत रहय फेर पुलिस देख के भी अनदेखा करके माखूर मलत बइठे रहय ।पुलीस के ये कारनामा देखके शीलू हर लघे जाके कथे  मदद काबर नी करत हस जी साहेब -ता कथे...ये तो रोज के काम आय अपन समान के रक्षा खुद करना चाही ,पुलीस कतक ल पीछू भागही अइसे कहत बेंच मा बइठे माखूर मलत चुप बैठगे । शीलू ल रीस लगत रहय फेर काय करिही। मूड़ खराब होगे कहिके बाहर आवत रहिस तव देखथे  सड़क मा कचरा फेंक के सबो कलोनी के मन मैदान ल भरत रहिन गार्डन के आघू बदबू मा भरे रहय फेर कोनों कहईया नी दिखत हे। शीलू के मन शासन के रवइया ठीक नी लगिस अउ जनता तो अनपढ़ कस अपन दुरा के कचरा घर के आघू मा थोरिक दूर माफेंक के बला टारथें अइसे काम मन जनता के मन नी आत रहय तेकर ले सब मनखे बर भी नराज रहिस। वापिस घर आवत रहिस तसने सड़क मा  एक्सीडेंट होगे एम्बुलेंस बलाय कतका बेर होगे पर अभी तक नी आत हे देखत देखत एक झन ओ मनखे मर गे शीलू के जी जर गे ये प्रसासन अउ मनखे घलो कतका निर्दयी हे शीलू एक टेम्पो करके बाकी मन ला अस्पताल पहुँचाइस । अस्पताल घलो मा हालत वैसे रहय रहय कतको मरीज कतको तड़पत रहिन फेर शीलू हिम्मत ले काम करके डाक्टर ले बात करके झटपट इलाज करवाइस शीलू के बुता ला देखके एक मरीज के दाई कथे तोर सही कलेक्टर होतिस न बिटिया तव सबो कति ब्यवस्था झटपट अउ बढि़या होतिस देख न तोर दू मिनट मा कतका मरीज मन ला डाक्टर देखे लग गे चार घंटा के ठाडे़ तड़पत हे मोर बेटा ,जरुर तँय दूसर के पीरा हर नोंनी सकबे ता ओ बुता कर जेमा सबके भला होय ये लचर ब्यवस्था ले छुटकारा देवा सक तव बनें होतिस भगवान तोला साथ दय नोनीं ।ओ दाई के कहे कइसे दिमाग मा बसगे अब शीलू तय कर लीस का करना हे अउ मन मा सोचथे मँय ही ठीक करहूँ मँय जिलाधिकारी क्लेक्टर बनहूँ करके मन मा ठान लीस खूब तियारी करिस ।अउ कलेक्टर होगे ।जिंनगी के सबो फैसला भगवान के हाथ मा होथे भगवान जेला जेखर बर बनाय रथे ओही होथे शीलू क्लेक्टर बनके शीलू नियम शहर बर अतना सुघर बनाइस साफ सफाई से लेके अस्पताल सुविधा ,पढाई लिखाई सब पानी बिजली राशन सब समय मा मिलत गइस सबो गरिया जिला के मन भारी खुश रहिस अउ आशीर्वाद देत रहिन। सदा सब के सुख के ख्याल राखइया शीलू के काम ला देखके मंत्री जी कमिश्नर बना दीस। मनोज कथे जेन प्रेरणा ले काम करहू ओ पूरा जरुर होथे ।शीलू आज बहुत खुश रहिस शहर के सबो काम बुता सुचारु रुप ले बढि़या चलत गीस जेला सबो सहरावत रहिन। शीलू के बुता ला देखके दूसर जिला मा भी काम करे गइस कि नवा इतिहास बन गे चारो मुका साफ सुथरा शहर अउ सुविधा के नाम मा गरब होय लागिस सब ला सुन के शीलू मगन होत रहय ।एक दिन अखबार मा इंटरव्यू शीलू के छपे रहय प्रेरणा स्तोत्र ओ मरीज के दाई जानकी के नाम लिस जेन हर ओखर दिमाग ला झकझोरे रहिस । मनोज पेपर पढ़त कथे शीलू प्रेरणा स्तोत्र कोनों भी हो सकथे- है न  शीलू हा ददा कहत दूनों चाय के ढूँक पियत हाँसत रहिथे हा. हा. हा............



*धनेश्वरी सोनी गुल बिलासपुर*

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