Sunday 1 May 2022

छत्तीसगढी कहानी साध

          छत्तीसगढी कहानी           



                         साध 


फरवरी के महीना कतका सुग्घर होथे न गरमी अउ न जाड़, सबो चीज बरोबर। चारो मुड़ा खुशी के माहौल दिखथे। आमा मउर जाय रहिथे। ओकर सुग्घर महक ले अंतस भर खुशबू फैलत रहिथे। कोयली रानी अमराई मा आके सुग्घर गीत सुनाथे। फूल-फुलवारी तको अइसे लागते जइसे हाँसत-गोठियावत हे। लइका मन हर ये मौसम तको कतका खुश रहिथें। बाग-बगीचा मा जाके मगन हो के खेलत रहिथें। लइका होय या जवान या हो बुढ़ुवा सबके मन हर गदगदा जाथे। स्कूल ले पिकनिक जाय के अड़बड़ सुग्घर मौसम होथे ये हर। कईठन स्कूल के लइका मन दल के दल, बस, कार, जीप मा बइठ के कतिक सुग्घर हाँसत-मुस्कात पिकनिक जावत रहिथे। शहर-डहर के लइका मन जंगल डहर पिकनिक जाथे तब जंगल डहरके लइका मन ल शहर देखे के साध रहिथे तब शहर डहर पिकनिक जाथे। 

ये साल कोरोना के आय के सेती कोनो स्कूल के लइका मन पिकनिक नइ जा पावत हे। इही पाय के सब लइका मन चुटमुरा के रहिगे हें। पिंकी अउ शकुन कक्षा आठवी मा पढ़थे। पिंकी हर अपन कक्षा के कप्तान हरे तब शकुन हर सांस्कृतिक सचिव। शकुन हर पिंकी ला कहिस- ‘‘पिंकी ये साल कोरोना के सेती कोनो कार्यक्रम नइ हो पाइस। दू साल होगे काँहचो पिकनिक नइ जा सकेन। ये साल आठवीं पास होय के बाद कोनो हर कोनो स्कूल मा चल दिही, तब कोनो हर कोना स्कूल मा। हमन सब सहेली अलग-बिलग हो जाबोन।’’ 

"तब मैं का कर सकता हौं। ये साल के समे हर अइसने हे। अइसे भी भीड़भाड़ जगह मा नइ जाना हे अउ बड़े गुरूजी ला कहिबो, तब वहू हर अनुमति नई दीही।’’

‘‘मैं कहत रहेंव सीमा मैंडम ला कहिथन स्कूल मा कुछ न कुछ कार्यक्रम छोटकुन करे बर।’’ 

‘‘कइसे छोटे स्तर मा कर सकथें। जब हमन कार्यक्रम करबोन तब छटवीं, सातवी के लइकामन तो घलो सँघरहीच्च। अइसे अभी आधा लइका एक दिन तब आधा लइका ला एक दिन बलाये जाथे। तैं कार्यक्रम के का बात करथस पढ़ई-लिखई हर बने ढंग ले नइ होवत हे।’’ 

"तैं ठीक कहत हस, फेर मैडम ले बोलके देखथन का कहिथे।’’ 

‘‘ठीक हे। चल दूनो झन जाथन।’’ 

पिंकी अउ शकुन जब मैडम सीमा के कर गिस तब सीमा मैडम रजिस्टर के काम करत रहिस। 

‘‘पिंकी अउ शकुन ल अपन तीर आय देख के कहिस- "का बात हे पिंकी, बताओ।’’ 

‘‘मैडम हमन ये साल आठवी पास हो के सब ऐती-ओती चल देबोन। कउनो सहेली ले कब भेंट होही, ओकर पता नइ हे।’’  

‘‘हाँ ये तो ठीक हे, फेर।’’ मैडम सीमा हर कहिस।

‘‘हमन चाहत हन कि परीक्षा के पहिली कउनो कार्यक्रम होय।’’

‘‘फेर कोरोना के चल कार्यक्रम कइसे कर सकत हन, शासन के कड़ाई  हर रोज बढ़त हे। उलटा हमरे मन उप्पर कार्यवाही हो जाही।"

‘‘मैडम हमन अलग कउनो कार्यक्रम नइ करके कक्षा मा  कर लेबोन। एक संग बइठ के हाँस-गोठिया, लेबो गा-बजा लेबो।"

"ठीक हे मैं हर बड़े गुरुजी ले बात करके बतावत हौं।" 

मैडम सीमा हर लइका मन के बात ल बड़े गुरुजी कर रखीस। बड़े गुरुजी पहली तो मना कर दिस। जब सीमा मैडम हर लइका मन के भावना ल बताईस तब बड़े गुरुजी हर कोविड-19 के दिशा निर्देश के सख्त पालन करत कार्यक्रम करे अनुमति दे दिस। 

जब सीमा मैडम हर लइका मनला बड़े गुरुजी के बात ल बताईस तब लइका मन के मन मा गजब उत्साह छागे। अउ ओमन अपन तैयारी करे के शुरूवात कर दिस। कार्यक्रम बर रविवार के दिन तय करे गिस। ताकि दूसर कक्षा के लइका मन मत राहय। 

लइका मन अपन कार्यक्रम के तैयारी के बाद बड़े गुरुजी नेवता देब गिस तब बड़े गुरुजी हर सीमा मैडम ला समझा के कहिस, "कौनो चुक नइ होना चाहिए। मैं हर लइका मन के भावना ल देख के अनुमति दे हौं। ओ दिन जम्मो लइका मन मास्क लगा के आही, दू गज के दूरी बना के बइठहीं, अउ दरवाजा मा ही सब झन अपन हाथ ला सेनेटाइज कर लिही। बाजार ले खाय के कउनो खुला सामग्री नइ लाना है।"

सीमा मैडम के संग लइका मन बड़े गुरुजी के बात सुन के कहिस, सर हमन पूरा कोविड-19 के नियम के पालन करबोन। आप जरूर आहू अउ देखहू हमर तैयारी ल। सर धन्यवाद, आप मन हम लइका मन के भावना के कदर करेंव। 

आठवीं कक्षा मा पढ़इया जम्मो लइका मन रविवार के दिन बाँधे समय पहुँच गे। शकुन हर जउन-जउन ला जउन जिम्मेदारी देगे रहिस पूरा कर ले रहिस। सीमा मैडम अउ बड़े गुरुजी लइका मन के तैयारी ला देख के खुश होगे। लइका मन सुग्घर कार्यक्रम करिस। अपन अनुभव बताइन। एक दूसर ले आगू बढ़े के शुभकामना दिस। आखिर मा सीमा मैडम अउ बड़े गुरुजी अपन विचार रखीन। वहू मन सब लइका मन अपन आशिर्वाद दिन।




बलदाऊ राम साहू

न्यू आदर्श नगर, होटल साईं राम के पास 

दुर्ग,  छत्तीसगढ

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