Sunday 15 May 2022

छाती फटवाय तेन बराते जाय, तेकर ले कई पूरूत के कोदो दरना सुहाय //* ========०००======= (संस्मरण)

 *//  छाती फटवाय तेन बराते जाय, तेकर ले कई पूरूत के कोदो दरना सुहाय  //*

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          (संस्मरण)

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  *सियान मन के कहना  "पथरा लकीर सहीं  बिल्कुल सच होथे" -शादी के लड्डू जो खाय-वो पछताय,जो नइ खाय, तऊनो पछताय"|*

     *तईसनेच एक हाना हवय-" छाती फटवाय तेन बराते जाय ,बदले म कई पुरूत के कोदो दरना सुहाय !"*

     ए संस्मरण लिखत बेर,  वो दिन के सुरता आथे- जब गांव-बस्ती,पारा-मुहल्ला म कोनो संगी-साथी के बिहाव के नेवता मिलते ही हमर पांव हरदम तियार रहै बरात जाय बर  | बरात जाय म  चाहे कतको तकलीफ होय,वो बखत जोश,खरोस,उत्साह-उमंग के कारन कुछु तकलीफ ला जानतेच नइ रहेन, हंसी-खुशी सब दु:ख ल झेल डारत रहेन |

    *एक दिन हमर गांव के गौटिया के बेटा के बरात जाय बर नेवता मिलीस | मन मयूर नाचे लगीस | मैं ह अपन कई झन संगी साथी ल बोल के तियार करे रहेंव | संझा बेरा  एक सियनहा ल पूछेंव-सुसील गौटिया के बरात जाबे के नहीं बबा*?

    *ओ कहीस-"छाती फटवाय तेन बराते जाय,तेकर ले कई पूरूत के कोदो दरना सुहाय !"*

    ओ सियनहा के ए  गोठ ल सुन के मैं दंग रहि गयेंव ! पूछेंव-कईसे बबा बरात जाय ले तो हंसी-मजाक,ठठ्ठा दिल्लगी ले खूब मजा आथे | फेर आन गांव के जवान-जवान छोकरी  मन ल देख के मन गदगद हो जाथे | 

   *जब" दूरभत्ता खाय"के बेरा सुवासिन मन भड़ौनी गीत गाथें,-भात-भात कहिथौ बरतिया,भात कहां ले पाहा जी ? भात वाले ल ददा कहिहौ,तभे भात पाहा जी | दार-दार कहिथौ बरतिया,दार कहां ले पाहा जी ? दार वाले ल ददा कहिहौ,तभे दार पाहा जी !  तव का पूछबे, २ घंटा,३ घंटा ले मस्तीबाजी कर-कर के "दूरभत्ता खाए" के आनंद ही कुछ अलग  मिलथे !*

      ओ सियनहा कहिस-सिरतोन म हंसी-मजाक, ठठ्ठा दिल्लगी के आनंद तो मिलथे,लेकिन नाना प्रकार के तकलीफ घलो मिलथे |

     ओ सियनहा के ए नकारात्मक गोठ ल मैं  नजर अंदाज कर देहेंव अउ सुसील गौटिया के बरात जाय बर तियार हो गयेंव | बढ़िया टीप-टाप पेंट-शर्ट ला लोहा चलायेंव,जूता-मोजा ल साफ करेंव अउ गला म एक गमछा ल "अलगी" डार के मेछा टेंवत बरात गयेंव | 

    *वो बखत बस,मेटाडोर,ट्रेक्टर बहुंत कम देखे बर मिलत रहिस, कभी-कभार एको ठन राज्य परिवहन बस,खटारा ट्रक, ट्रेक्टर देख लेवन,तौ खड़ा हो के ऊंगली म इशारा करत कहत रहेन-वहा दे एक ठन बस,ट्रक, ट्रेक्टर जावत हे | तव तिर के लईकन पूछैं कहां बे ? तव ओकर अंगरी ल धर के इशारा करके बतावत रहेन-वोह दे बे, नइ देखाऊ पावत हस का ? तव वो कहै-हां देख डारेंव बे, वोहादे एक ठक बस जावत हे ! कभू कोनो ल बुलेट गाड़ी म आवत देखन, तव कहत रहेन-दरोगा आए हे बे ! कभू एको ठक खटारा जीप ल आवत देख डारत रहेन,तव पुलिस गाड़ी आए हवय कहिके डर्रा जावत रहेन,पता नही पुलिस दरोगा काला पकड़ के ले जाही ? कोनो तो अपन घर के गली के दरवाजा म बेड़ी लगा देवत रहिन आजकल हवाई जहाज के आवाज सुन के देखे के  मन नइ होवय !*

   *वो समय बरात जाए बर सिरिफ बैला गाड़ी रहत रहिस | तव सुसील गौटिया के बरात जाए बर आठ-दस ठन बैला-गाड़ी तैयार करे रहिन | तभो ले बरात जाए बर लटपट एक गाड़ी के पीछू डाड़ी(पछेला) म बैईठे बर मिलीस |कुछ दूर रेंगत फेर कुछ दूर बैला गाड़ी के पछेला डांड़ी म आधा बैठे,आधा ओरमे-ओरमे बड़े झुलझुलहे (भीनसरहा) बरात पहुंच गे कईना के गांव म | 

     *रात भर के थके पस्त हो गए रहेन | उहां बड़े भीनसरहा बरात पहुंचे के बाद तीन-चार घंटा तक पानी नसीब नहीं ! होंठ सूखा गए रहिस ! कंठ सूखा गए रहिस | थकावट के मारे जो नींद सताईस-तव लोहा करे टीप-टाप पेंट-शर्ट के क्रीज ल नजर अंदाज करके  बिना दरी बिछाए भुईयां म सुत गएन | सूरूज नारायण के घाम ह माथा  म जनाईस तव नींद खुलीस | 

     चार बजे झुलझुलहे के बारात पहुंचे रहिस तो ले दस बजे परघौनी होईस | तेमा किसम-किसम के शौर्य प्रदर्शन जैसे :- लाठी चालन,तलवार चालन,गोला फेंक,भाला फेंक, एक कलाबाज ह गाड़ा के एक चक्का ल रस्सी म बांध के दांत म चीप के ए मुड़ा ले ओ मुड़ा पहुंचा देहिस, बदला म  कईना पक्ष के कलाबाज ह राजदूत ल एक रस्सी म बांध के मुंह म चीप के वर पक्ष के कलाबाज तिर मढ़ा देहिस  !  एक कलाबाज ह लोहा के चैन म चेंदरा लपेट के माटी तेल म बोर के आगी लगा के लौठी असन खूब चलाईस ! महू एक से एक हूनर देखायेंव, कराटे बाज रहेंव, हथेली के पांचों  ऊंगली ल एक सीध म करके एक ही वार म ईंटा के टुकड़ा-टुकड़ा कर देहेंव |  शौर्य प्रदर्शन करते तक मंझनिया लगभग बारह बज गईस | तब जो भूख सताईस,फेर परगहनी परछन, द्वार पूजा के बाद जनवास म बईठार के शरबत पानी अउ कुछ नास्ता देहिन | कुछ समय बाद "दूरभत्ता" खाए बर देहिन |

     *", दूरभत्ता खावत बेरा सुवासिन मन जो भड़ौनी गारी गावत रहिन- भात -भात कहिथा बरतिया, भात कहां ले पाहा जी ? भात वाले ल ददा कहिहा,तभे भात पाहा जी ...........| दार-दार कहिथा बरतिया, दार कहां ले पाहा जी ? दार वाले ल ददा कहिहा,तभे दार पाहा जी ........., साग-साग कहिथा बरतिया, साग कहां ले पाहा जी ?साग वाले ल ददा कहिहा,तभे साग पाहा जी ..........| रात को बुलायेन बरतिया,दिन काबर आया हो ? अपन बहिनी के खटिया म सुत भुलाया हो ! नदिया तिर के पटुवा भाजी, पटपट-पटपट करत हे, आए में बरतिया साले मटमट-मटमट करत हें ! ओ सुवासिन मन जतके भड़ौनी गीत गावैं, ततके बरतिया मन मस्ती बाजी करत-करत दू-,तीन घंटा तक "दूरभत्ता खाएन, तव घरतिया मन खाना परोसत-परोसत गुस्सा गईन, गाली-गलौज सुरू हो गे, फेर मारपीट सुरू हो गे ,! तब कतको झन बरतिया मन अपन जीव ल बचाय बर जेती पाईन, तेती भागत  जीव बंचा के अपन घर आ गईन*

      संझा चार बजे नहडोरी ले के सुवासा ह कईना घर गईस,तव ओ ला रंग म नहवा डारिन | सुवासा के नवा कुरथा  रंग गईस,तव सुवासा ह गुस्सा गईस, फेर लड़ाई-झगड़ा सुरू हो गे ! फेर लटपट झगड़ा शांत होईस ! 

     *बिहाव संपन्न हो गे, बेटी बिदा करे के बाद जब वर-कईना ल ऊंकर छकड़ा गाड़ी तिर लानेन, तब का देखेन -छकड़ा गाड़ी के दुनो चक्का ही गायब हो गए रहिस ! बड़का आफत खड़ा हो गे ! अब दुल्हा-दुल्हन  ल गाड़ी म बैठारन कैसे ?*

     *बहुंत पूछताछ करे म एक लईका ह बताईस-ये गाड़ी के चक्का ल फलाना-फलाना मन मिल के तलाव के पानी म डुबाय हवंय !*

     *ओकर बताए अनुसार जघा ल खोझेन,तब छकड़ा गाड़ी के चक्का ह मिलीस !*

    *बहुंत तकलीफ झेलत बरात वापस आवत रहिस, तब रस्ता म कई झन बरतिया मन ला उल्टी-टट्टी हो गे ! बराबोरे पा के अउ सुवासिन मन के भड़ौनी गारी सुन-सुन के मस्तीबाजी करत दू-तीन घंटा तक "दूरभत्ता" जो खाए रहिन,तऊन बड़ा आफत हो गे !*

     *एक झन बरतिया ह दुल्हिन के "सीग झांपी" के लड़ुवा, बतासा ल चोरा के खाए लगिस, तव ओ ला खूब मार परीस, तव ओ ह हाय दाई-ददा मर गयेंव कहिके सड़क ऊपर सूत गईस ! अब्बड़ेच मुश्किल म ओ चोर ल बंचाय गईस!*

    *लहुटती बेरा कई झन बरतिया के बईठे बर गाड़ी म जघा नइ मिलीस, काबर के दुल्हिन के संग दू-चार झन सहेली अउ लोकड़िन आए रहिन | तव कुछ बरतिया मन ला पांच छह कोस तक रेंगते -रेंगत अपन घर आना पड़ीस !*

     *ये किसम से बरात जाए म हजार प्रकार के तकलीफ होथे ! तभे ओ सियनहा के गोठ ह सिरतोन म सोला आना सहीं लगिस-"छाती फटवाय तेन बराते जाय,तेकर ले कई पूरूत के कोदो दरना सुहाय" !*



(सर्वाधिकार सुरक्षित)

दि. १५.०५.१९९५



*गया प्रसाद साहू*

    "रतनपुरिहा"

मुकाम व पोस्ट-करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग)


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