छत्तीसगढ़ी म 52 आखर
छत्तीसगढ़ी भाषा म बावन अक्षर ल बउरत हन , जब बउरते हन तो ओला ओकर मूल रूप म ही स्वीकारन , ओला जबरदस्ती छत्तीसगढ़ी के नाँव म तोड़ मरोड़ के लिखबो वहू सही नइये ,भलुक एकर ले हमर हिनता होही।
कोनो भी भाखा के महत्ता तभे हे जब ओकर बउरने वाला ल ओ भाखा आसानी ले समझ आये। शुरुच ले हमर पुरखा मन घलोक अपन रचना मन म आन-आन भाखा के प्रचलित शब्द मन ल बउरे हें।
ये बात बिल्कुल सही हे कि क्षेत्रीय , जातिगत , अउ अशिक्षा के सेतीन भी उच्चारण म गलती होवय ,अब ओ गलती ल यदि हम छत्तीसगढ़ी मान लेबो तो कइसे बनही।
हमन ल भाखा के बढ़वार खातिर उदार होएच परही। जेन ल तेन सही बोले अउ लिखे परही ,ओमा संकोच करे के जरूरते नइये।
जहाँ तक हो सके जुन्ना शब्द मन ल भी अधिक से अधिक उपयोग म लावन , संग म नवा-नवा शब्द मन खातिर भी मेहनत करन , एमा मोला कोई बुराई नइ दिखय।
धनराज साहू
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