Sunday 4 December 2022

विकास के डोंगा➖➖ब्यंग (टेचरही)

 ➖➖विकास के डोंगा➖➖ब्यंग  (टेचरही)

         पाना पतेरा ला कनिहा मा लपेट के मरजाद ढँकइया मनखे आज अतका उन्नति कर डारे हे कि जतका ढाँकत हे ओतके उघरत हे। ये तो बने हे कि तन के ढाँके कपड़ा ला छेरी नइ चगलत हे नइते आजो हम उही आदि मानव ले कम नइ हन। पैडगरी अउ धरसा के जगा फोर लेन हाइवे के सँग मेट्रो ट्रेन दँउड़त हे। ठूठी बाहरी के खरीदी आन लाईन होवत हे। तब लाइन मा लग के राशन खरीदना ये सदी के अपमान ही आय। आज हम विकसित ले विकासशील राष्ट्र के नागरिक हवन। चहुंमुखी विकास के डोंगा बीच धारा मा लहरा के चलत हे। पीपर तरी बइठके गाँव ला आगू बढ़ाए अउ सुधारे के गोठ करे ते मन डिजिटल बैठक लेके मन के गोठ करत हे। एकर ले फायदा यहू हे कि सुन सकथस सुना नइ सकस। पसरा पसरा घूमके छाँटके बंगाला बिसाने वाला आन लाईन मँगाये बर एप लोड करत हे। आन लाईन पढ़ाई अउ अनुदान अंक ले पास के तालमेल बहुत बढ़िया हे। हर सवाल के जवाब बर गुरुजे के जगा गूगल काम करत हे। तब तो फेल होय के सवाले नइ उठे। विकास के डोंगा उथली धार मा घलो सरपट भागत हे। फेर कते डिलवा मा झपाही कहे नइ जाय। हमर हाथ मा सब कुछ हे। हम बजार ला जरूरत समझगे हवन। आत्मनिर्भर होयके शंखनाद होगे। स्वाभिमान अउ अभियान ले मनखे हम के जगा मँय मँय काहत मयखाना तक चल दिन। एक झन मितान के चिमनी उपर अतका श्रद्धा हे कि ओकर अस्तित्व ला बचाय बर जन जागरण के गीत बनाके गावत हे। ये तो उही गोठ होगे कि छत्तीसगढ़ी ला बचाय बर सब झन ला उकसाव अउ घर मा हिन्दी बोल के लइका मन ला अँगरेजी इसकुल मा पढाव। तभो ले हम नइ पूछन कि डोंगा मा छेदा विद्वान मन काबर करत हे। सहर हर गांव ला अतका लदक डारे हे कि भाषा के असर बोलचाल मा देखते बनथे।हम तेरे से कमती हैं क्या? अतके कथे तभे समझ जाथन कि ये हर खाँटी हे। 

        छै महिना मा नवा सड़क उखड़ जथे। एके बरसात मा नवा पूल बोहा जथे ये चिन्ता के विषय नोंहे। काबर कि येला हम उपलब्धि मान सकथन। हम सड़क मा रेंगत हावन ये बड़े बात आय। नँदावत जिनिस ला संग्रहालय मा सजा डारेन। जीव जिनावर ला बिदेश ले मँगावत हवन। तब पितर पाख बर भठत कँउवा के माँग सरकार ले तो करि सकथन। भठावत नँदानत प्रजाति ला इही बहाना संरक्षण करे के चेतना तो जागही। उवत सुरूज ला पैलगी करके सुखी जीवन जीने वाला मनखे आज भक्ति भावना मा अतका बूड़ गेहे कि डाक पोस्ट ले गंगा जल मँगाके नहाथे तब सीता हरण के चौपाई ला गाथे।  जेमन सबो सुख सुविधा मा जीयत हे उही मन चिचियावत हे कि डोंगा धारे धार जावत हे कहिके। हमर देश तकनीक अउ विज्ञान मा अतका आगू बढ़गे हे कि मशीन अउ मिसाईल खुद बनाथे। ये अलग बात हे कि बीड़ी सिपचाय बर लाईटर चीन ले मँगाथन।

           डोंगा मा सवारी दस के होलय कि सौ के जब तक ओकर खेवनहार कोनो राजनीतिक दल के नेता नइ रही पार नइ हो सके। समाज सेवा बर कोनो महात्मा गांधी मदर टेरेसा नइ आय। आही तो बिगड़े छबि ला राजनीति के चद्दर मा ढाके प्रतिभा सम्पन्न मनखे हर ही आही। राज्य केन्द्र ले केन्द्र हर विश्व बैंक ले करजा ले ले के विकास के डोंगा खेवत हे। जेकर ले देश आत्मनिर्भरता के मोहाटी मा तक आ गेहे। मोफत के चाँउर अउ मनरेगा के मजदूरी सब मा लाल बत्ती वाले मन के नजर हे। हमर देश सबके साथ सबके विकास के हाना उपर काम करत हे। एक झन सफेद दाढी चूँदी वाले भीष्म प्रतिज्ञा ले के बइठे हे कि खाववँ न खावन देंव। ओकरे नतीजा आय कि सी बी आई ईडी सीडी वाले मन वोकर दूध के धोवल सँगवारी मन ला छोड़ के परोसी मन घर छापामारी ले फुरसत नइये। ओती एक झन हर दाढी तो बढावत हे फेर प्रण लेय बर हाना जुमला नइ खोज पावत हे।

             विकास सरकार अउ नक्सली दूनो चाहत हे। अंतर के सँग डर ये हे कि नक्सलवाद के सिराय ले दुनो अपाहिज हो जही। राजनीति के दुकान चलाय बर नक्सलवाद के खँचवा ला खँचवा रखना ही जरूरी हे। अउ फेर चुनाव बर मुद्दा अपन होके पैदा करे जाथे। खोजे नइ जाय। विकास के डोंगा ला पार लगाय बर हर छोटे बड़े खादी टोपी वाले वचनबद्ध हे। फेर वचन तभे निभथे जब तकनीक तरीका ले कमीशन के आवा जाही होथे। अभी हाल अइसन हे कि नेंव कोनों दूसर धरथे अउ नाँव कोनों दूसर के होथे। तरक्की के हिमालय मा बैसाखी धर के चलइया मन झंडा गाड़त हे। नाक रेहे ले साख रथे। इँहा नकटा के नाक कटे ले सवा हाथ अउ बाढत हे। मंदिर जाव चाहे मदिरालय आखिर जाना तो मसानेघाट हे। जरुरी नइये कि मरे के नाँव दारू पी के होवय चाहे धरम संप्रदाय के दंगा फसाद के नाँव। चुनाव मत पत्र निंहीं मशीन जीतत हे। जनता जुमला हाना मा जीयत हे। ओकरे सेती मनखे धरती ला छोड़ के चंन्द्र मंगल ग्रह मा मरे बर अढ़ई ढीस मील या तो अढ़ई गज जगा पोगराय बर एजेंट दलाल खोजे मा लगे हे। गिर के उठना बड़ साहस अउ हिम्मत के काम होथे। फेर जेन स्तर ले रुपिया गिरत हे ओकर ले अतका तो तय हे कि आने वाला समय मा सौ रुपिया के धनिया पान सूँघे बर ही मिल सकथे। 


राजकुमार चौधरी  "रौना" 

टेड़ेसरा राजनांदगांव ।

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