Sunday 4 December 2022

छंद गीत बहार - समीक्षा



 छंद गीत बहार  - समीक्षा


गीत- कविता ,साहित्य मन हमर परिवेश के, रीति रिवाज, परब- तिहार, रहन सहन, खेती किसानी अउ एमन मासंयोजित संसाधन, श्रम के उपयोगिता, अभाव , अउ  उपलब्धता मा रचे -बसे, या कहन जुड़े होथे| 

                      गीत कविता मन 

हमर संस्कृति- परंपरा के संवाहक तो होबे करथे संगे मा हमर मानवीय संवेदना के संवाहक घलव होथे, जउन हर विचार, परिस्थिति ले उपजे, उदगरे शब्द ध्वनि मन, इंद्री ल रोमांचित अउ आनंदित करथे|वइसने आदरणीय श्री द्वारिका प्रसाद लहरे 'मौज' जी के कृति मा समाए गीत मन पाठक के अंदर एक सुखद अहसास कराहीं|


छंद गीत बहार मा जिंनगी के विविध रंग मन के शुद्ध भावनात्मक चित्रण करें हवँय |अउ  हमर अंचल के साहित्य बर एक नवा रसदा तय करही, स्वस्थ परंपरा मा गीत के सृजन के एक नवा परिवेश पोषित होही | ए गीत मन के गायन करे जावत हे|

 गीत के रचना करत समय छंद आ जाना एक संयोग आए, पर छंद बद्ध गीत के रचना करना कठिन काम हें, ए विशेष बात होथे | गीत के ढाँचा मा स्थायी अउ दुहराव पद होथे गीत दू तीन पद ले बने होथे,जब कि छंद मा मात्रा होथे और कोनो छंद हर रिपिट नइ होय छंद के पद घलो बनेच रहिथे | छंद गीत हर,छंद के गहन ज्ञान अउ काव्य कौशल के बिना सृजन संभव नइ हे| 

      मोर जानकारी मां छंद गीत बहार छत्तीसगढ़ी भाषा मा छंदगीत के पहली किताब के स्थान पावत हे|

ए संग्रह मा गुरु महिमा,माटी वंदन,महतारी महिमा,भक्ति भाव, प्रकृति चित्रण,घर परिवार ले जुड़े गीत,बेटी बीदा गीत,राष्ट्रीय भावना के गीत,माता के गीत, परब मन के गीत,सामाजिक समता खातिर विषय म सुग्घर अउ भावप्रद गीत हवँय|


 काव्य के शास्त्रीय 

मात्रिक छंद मन के अनुरुप पद मन गठित होय हे|

गेयता/ गायन -  विधान सम्मत होय के कारण विविध छंद राग,लय बद्ध हे, छत्तीसगढ़ी तर्ज (फोंक) म घलो गाय जा सकथे|


 *भाषा शैली*- सरल सहज बोधगम्य हे| छत्तीसगढ़िया पन के छाप लिए मौलिकता ले परिपूर्ण हे|


व्याकरण संबंधी- छंदगीत मन अलंकार, विविध रस मन के  अनुभूति देवत हे|

ए कृति मां अलंकारिक शब्द मन ला बहुत बढ़िया संजोय हें  -


अनुप्रास- 


पाँव परत हँव दाई मँय हा, निसदिन गुण ला गावँव|

सात जनम बर बेटा बनके, तोर कोंख ले आवँव||


महर -महर ममहाय




 *उपमा* -

उलहा पाना जइसन जोही, मन ला तँय डोलाये|

रूप गजब हे गोरी तोरे ,चंदा घलो लजाये||


सार छंद गीत


पान खाय कस होंठ रचे हे,छलके मँदरस सागर|

करिया चूँदी कनिहा लोरय, छाये जइसे बादर ||


 रूपक-

रूप लागे फूल गोंदा फूल गोंदॎ फूल|

कान मा लोरै दिवानी झूमका के झूल||


रात रानी कस गियाँ ओ, अंग हा ममहाय|

तोर ममहाई पिरोही, मोर मन ला भाय|| 


 के बहुत बढ़िया प्रयोग होय हे|


ध्वन्यात्मकता  बहुत सुग्घर अउ प्रभावी प्रयोग करे हें-


पातर-पातर कनिहा गोरी, अब्बड़ लिच लिच डोले ओ|

खनर खनर चुरी अउ कँगना, भेद मया के खोले ओ||



मटकत कुलकत हाँसत गावत, बरसा रानी आये हे|



आंचलिक भाषा के पुट मन निखालस हें,फबीत के,उबकत अउ जनावत हें,लचकदार, पटंतर शैली, सवाल जवॎब के लहजा समाहित हें,अउ आरूग प्रयोग हे|

 वइसे तो द्वारिका जी हर श्रृंगार के कवि हें, इकर रचना संसार मा श्रृंगार के प्रधानता अउ बहुलता ए संग्रह मा देखे बर मिलत हे|

संयोग वियोग दुनो मा बढ़िया लिखे हे| 

 *संयोग श्रृंगार-*  आँखी हावय कजरारी ओ, मारे चोखी बान|

लाली लाली होंठ दिखत हे ,खायो बीरो पान||



संयोग सिंगार तो सबे लिख लेथे पर वियोग म कलम चलना सब के बस मा नइ राहय| पर ए म कवि के विशेष भाव देखे बर मिलथे|


 *वियोग श्रृंगार-* 


मोर संग तँय माया बढ़ा के, काबर नाता टोरे ओ|

कलपत हावय जिवँरा भारी, कइसे महूरा घोरे वो||


 *ए कृति मा जोराय जोरन कस छंद मन मा* 

दोहा छंद गीत ,सार छंद गीत सरसी छद गीत, आल्हा छंद गीत उल्लाला छंद गीत, ताटंक छंदगीत, बरवै छंद गीत, कुकुभ छंद गीत, लावणी छंद गीत, विष्णुपद छंद गीत, मानव छंद गीत, प्रदीप छद गीत, रास छंद गीत, रूपमाला छंद गीत ,गीतिका छंद गीत ले सृजित हें / रचित हें|


सरसी छद गीत बसंत ऋतु / *मौसम /प्रकृति के मनोहारी चित्रण हे* --


रितु बसंत दे बर आये हे, जन-जन ला उपहार|

हँसी-खुशी दिन कटही अब, सुख पाही संसार||

 देख कोइली कुहक कुहक के, गावय सुघ्घर गीत|

 मन हर्षावय गुत्तुर बोली, मन ला लेवल जीत ||

पिंवरा पिंवरा आमा मउरे, लहकय  झूमय डार||


 *माटी के महक, देश भक्ति सुगंध* देखे बर मिलथे|


इहाँ चीज हे चोक्खा- चोक्खा, सब हे बड़ उपयोगी जी|

अपन देश के गुण ला गावत,

बन जावव उपभोगी जी||


 भारत राहय सबले आगू ,दुनिया ला दिखलाना हे|

छोड़व जम्मो चीज विदेशी, देसी ला अपनाना हे||

     

 *किताब के उपयोगिता* - 


द्वारिका प्रसाद लहरें जी के गीत मन, छत्तीसगढ़ी साहित्य के युवा कवि -गीतकार मन ला, छत्तीसगढ़ के गायक -गायिका , नव कलमकार गीतकार मन ला मार्ग दिखाही |छत्तीसगढ़ी फिल्म संगीत बर बहुत उपयोगी होही|


छंद गीत बहार हा आदरणीय डी पी लहरें जी के पोगरी स्वामीत्व आबे करय ये मा कोनो दू मत के बाते नइ हे फेर ए कृति  हर छत्तीसगढ़ी भाषा ल हमर बोली ल ,छत्तीसगढ़ी साहित्य ल समृद्धि करही | छत्तीसगढ़ी साहित्य के कोठी ल भरत हे|

सुकवि ,गीतकार आदरणीय द्वारिका प्रसाद लहरे जी ला बहुत- बहुत शुभकामना अउ बधाई देवत हवँव उंकर कलम सतत चलय अउ बढ़िया -बढ़िया रचना पढ़े बर मिलय|


कृति -छंद गीत बहार

 द्वारिका प्रसाद लहरे 'मौज'


प्रकाशन - तनवी पब्लिकेशन जयपुर राजस्थान|


विशेष - समग्र शिक्षा वर्ष 2021-22 खातिर  छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक स्तर के विद्यालय मन के पुस्तकालय बर 500 नग क्रय कर के वितरित हो चुके हे|


समीक्षक-

अश्वनी कोसरे रहँगिया, कवर्धा कबीरधाम छत्तीसगढ़-491995


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