*लरबक्की बजार*
कबीरधाम जिला, बोड़ला विकासखंड, मैकल परबत के गोदी मा, चरनतीरथ के तीर बसे लरबक्की गाँव मा आज बजार हे। जिहाँ के बजार ह निमगा बैगा आदिवासी मन ले भराथे। अउ रोजगरिहा मन दुरिहा-दुरिहा ले मैदान अउ शहर कोती के।
हमन दूनोंझन (डॉ. पीसी लाल अउ देवचरण 'धुरी') चरनतीरथ धाम देखे बर गे रहेंन। लहुटती बेरा म लरबक्की बजार चमाचम भराए रहय। बैगा आदिवासी मन आनीबानी के पहिनावा पहिरे अउ सिंगार करे रहँय। जेकर ले अइसे लगय के उँकरे ले बजार ह सजे हे। उँकर "बैगानी भाखा के गुरतुर गोठ ह हमर मन ल मोहे लगिस।
जिंहा आनीबानी के मिठई साग-भाजी अउ रंग-बिरंगी कपड़ा-लत्ता सँग किसम-किसम के उपयोगी जिनिस बेचत बैपारी मन अपन गिराहक मन ल बलाय-बलाय के बेंचत रहँय।
ये देख के हमूँ मन ल जंगल छेत्र के बजार घूमे के सउँख लगिस।
सबले पहिली हमन ल लरबक्की बजार के पान खाये बर मन करिस। अउ पान वाले ठिहा म जा के पान बनवा के खाएँन। अउ पाँच के जघा दस रूपिया लेइस। आगर भाव बर कहेन त दूरिहा ले आए हँव भइया! कम मा परता नइ परय कहि दिस। हमूँ मन पान वाले भइया ल दूसरइया कुछू नइ कहेंन, अउ मूँह ल रँगा के बजार घूमे लगेन।
बजार घूमत-घूमत देखेंन के आधुनिक सुविधा के जम्मों जिनिस बजार म मिलत रहय।फरक अतके रहय के भाव म डेड़हा-दूना रहय।तभो ले जादा नइ त थोरके, अपन जरूरत के जिनिस मन ल बिसावँय।
लरबक्की बजार मा मनिहारी दुकान, ओनहा दुकान, भँदई / दुकान, भँड़वा दुकान, बिजली वाले जिनिस के दुकान से रहय। गल्ला दुकान मा कोदो, कुटकी, चाउँर, दार, महुआ ल बैपारी मन बेंचय-बिसाय।
बजरहा खानपान म हरियर-हरियर साग-भाजी के संग सुकसी मछरी, फारम वाले कुकरी अउ बरहा मास घलो बेवस्था म रहय। लोगन मन के मनपसंद सेवाद के नासता बर होटल के भजिया अउ ... मिठई ह रहय।
लरबक्की के सप्ताहिक बजार चारोमूड़ा ले जंगल-पहार के बीच म लगथे। इँहा जंगल छेत्र के आदिवासी लोगन मन के गरीबी अउ शोषन सँग खुशी घलो देखे बर मिलथे। कहूँ कोनो ल इँहा के बजार अउ जिनिस ह लुभवाही त आप मन के अगोरा म हे 'लरबक्की बजार।'
देवचरण 'धुरी'
कबीरधाम।
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