Saturday 23 January 2021

सोशल मीडिया अउ साहित्य लेखन* महेंद्र बघेल

 *सोशल मीडिया अउ साहित्य लेखन* महेंद्र बघेल


बड़का होय छोटका होय, कलमकार होय चाहे कोनो कलाकार होय सबो मन बर अभिव्यक्ति के आजादी तो बरोबर हवय।लिखइया बर लिखइ हर महत्वपूर्ण हे , पढ़इया बर पढ़ई हर महत्वपूर्ण हे।लिखइया हा कोनो बात ला काबर अउ काकर बर लिखना चाहत हे येला सोचे के जरवत हे।

प्रतिष्ठित बुधियार साहित्यकार मन ला तो नइ कह सकन फेर नवा रचनाकार मन बर ये सोशल मीडिया बहुत बढ़िया प्लेटफार्म आय।

अपन मन के बात ला लिख के कहना अउ ओला बहुत दूर तक प्रसारित करना छोटे मोटे काम नोहे।

प्रजातांत्रिक देश मा सबला अपन बात कहे के अधिकार हे।पहली प्रिंट मीडिया के शिखर काल मा घलव बड़ भारी संख्या मा गद्य पद्य ला लिखे जात रहिस वइसने आजो लिखे जात हे । भला येमा का बात के हाय तौबा, जेकर विषय आधारित प्रस्तुतिकरण मा वजन रही उही हर लेखन क्षेत्र के कठिन परीक्षा मा छनके निकल पाही अउ आगे अपन आप ला स्थापित कर पाही। नइते साहित्यकार अउ समीक्षक मन तो बाद मा पहिली तो एक आम पाठक ओला खुदे अस्वीकार कर देही।

मोर हिसाब ले कोन हा का लिखत हे तेमा कपोल-कल्पित  डाक्युमेंट्री फिलिम बनाय के जरवत बिल्कुल नइहे।

लिखइया ला खुदे मालूम हे सही अउ गलत लिखे मा का लाभ अउ का हानि हावय।

देश काल अउ परिस्थिति के अनुसार  मान्यता अउ आवश्यकता मा परिवर्तन होना सहज बात आय। इही विषय ला लेके यदि कोनो आलेख लिखे हे त ओला मान्यता अउ आस्था के हवाला देके उनला एक सिरा से खारिज कर देना निहायत ही सतही सोच के परिचायक कहे जाही।

जबकि अइसन आलेख मा विज्ञान सम्मत समीक्षा के दरकार रहिथे। जेकर ले हमर मान्यता हर विज्ञान सम्मत तार्किक  पैमाना मा खरा उतर के अउ पोठ होय।

आज सोशल मीडिया हर वर्तमान के जरुरत आय। आज जेकर हाथ मा  मोबाइल अउ नेट हे वोहा दुनिया मा दिन प्रतिदिन घटइया जानकारी ले दूर नइहे।साथ ही ये हर कोनों घटना के संदर्भ में अपन मौलिक विचार ला लिखके साझा करे के उचित अउ सर्वोत्तम जघा आय।

कोन हा कोन वाद के पोषक हरे कोन हा कते वाद के प्रखर सॅंवाहक हरे ये विषय हर इतना महत्वपूर्ण नइहे जतना एक वो आम आदमी जेला कभू प्रिंट मीडिया हर अपन डस्टबिन के वस्तु समझत रहिन आज उही आम आदमी अपन सरल सहज अउ सुगम ढंग ले ये प्लेटफार्म मा अपन बात रखत हे ये सबले महत्वपूर्ण बात आय।

समाज मा अलग-अलग जाति धर्म के मनखे मनके रहन-सहन,खान-पान, आचार-विचार , पहनावा- ओढ़ावा, गोठ-बात , बोली-भाखा ,नेंग-जोख सब अलग अलग हवय। ठीक वइसने उकर मन के विचार धारा मा भी विविधता हवय। इही वैचारिक विविधता के दर्शन हम सब ला सोशल मीडिया मा देखे बर मिलथे जेकर ले एक आम पाठक के पढ़ाई के आनंद हर कई गुना बाढ़ जथे।

आज सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य के क्षेत्र मा बहुत बढ़िया काम होवत हे, निबंध, कहानी, नाटक, एकांकी, लघुकथा, डायरी, रिपोर्ताज जइसे विधा मा गुणवत्ता पूर्ण लेखन कार्य हर बड़ तेजी के साथ होवत जात हे। जेकर ले साहित्य हर समृद्ध होवत हे चाहे भाषा कोई भी होय।

स्वतंत्र भारत के इतिहास मा

ये हर युग परिवर्तन के बेला आय जिहां साहित्यिक पुरस्कार विजेता मन ला अउ  चटनी बासी ला विषयवस्तु बनाके पद रचइया कलमकार मन समान भाव से पढ़े जात हे।


जन सरोकार के समस्या ला 

अपन विषय वस्तु बनाके जेन रचनाकार मन अपन दायित्व निभावत हे आज उही साहित्यकार मन के ही सोशल मीडिया मा पूछ परख हे। सोशल मीडिया मा साहित्य के क्षेत्र मा जो काम होवत हे निसंदेह ओकर सकारात्मक दूरगामी परिणाम देखें बर मिलही।


महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला राजनांदगांव

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