Saturday 23 January 2021

सोशल मिडिया अउ साहित्य लेखन*- चोवाराम वर्मा बादल

 *सोशल मिडिया अउ साहित्य लेखन*- चोवाराम वर्मा बादल


हे घर-घर वासी , जन-जन के ह्दय-हार --सर्व व्यापी सोशल मिडिया जी तोर जय हो। हे आधुनिक युग के प्राणाधार तोर महिमा अपरम्पार हे।  आजकल तोर बिना-- लइका-छउवा, जवान-सियान,  गुरुजी, मजदूर, गृहणी,व्यापारी, संत्री-मंत्री ,साधु-सन्यासी ,चेला-चपाटी,कवि ,लेखक,साहित्यकार आदि ककरो काम नइ चलय। सब तोर कृपा प्रसाद ले यश के रथ म सवार होके नाना प्रकार के महाभारत ल जीत के विजय शंख फूँकना चाहथें। सब के सब तोर चौखट म नाक रगड़त रहिथें ---काबर कि जेती दम तेती हम वाला जमाना हे।

 लिखई- पढ़ई के बात करन त तोर आगू म जतका मिडिया हे सब फीका परगे हाबयँ।तोर दिव्य रूप मोबाइल जेकर ले फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर--के हाहाकारी छटा बगरत रहिथे  --चारों मूड़ा जगमग जगमग करत रथे। कोनो भी अपन लिखे दू -चार लाइन ल सजा के तोर आगू म मढ़ा देथे ---वोला कहूँ साहित्य के नाम दे दिस त अउ का कहना--- वोमा तोर अंधभक्त मन के नजर परथे त वो ह हीरा असन चमके ल धर लेथे । ये अलग बात हे कि वो भले घिसाये काँच होथे।

   अइसे बात नइये कि  हीरा मन तोर आगू म नइ रखे जावत होही। भेंड़िया धसान तो सुनेच होबे-- यश रूपी आशिर्वाद ल तोर माध्यम ले पाये बर असली साहित्यकार मन तको अपन खाँटी हीरा सहीं रचना मन ल रखत हें।रखना सहीं हे-- काबर कि कहे गे हे-- जैसी बही बयार ,पीठ  तैसी दीजिए। जेती गुड़-शक्कर तेती चाँटी-चाँटा तो रहिबे करथे। सियान मन कहे हे कि  मनखे ल समय के साथ चलना चाही। समय ह अभी तोर मूठा म हे त जम्मों तथाकथित कवि, लेखक ,साहित्य कार मन तोरे साथ रेंगत हें ।जेन मन नइ रेंगत हें तेन मन सिरतो म पिछवा जहीं। अब तो मँहगी मँहगी किताब ल लेके कोनो पढ़इया नइयें अउ दू-चार होहीं भी त मन वाँछित पुस्तक खोजे नइ मिलय । अउ तोर मेर आवत देरी हे नाम मात्र के दान दक्षिणा म जेला डाटा खरचा करना कहे जाथे ---कहे जाय त फोकट म तको महान से महान साहित्यकार मन के उही दिन लिखे रचना ले लेके हजारों- हजार साल पुराना कालजयी कृति मन ल तको पढ़े जा सकथे।

  लिखई के बात करे जाय त तोर अँगना म बइठ के सब उत्ता धुर्रा लिखत हें। जेन ल पूछबे तेन साहित्य गढ़त हन कहिथें। बहुते खुश खबरी अउ गौरव के बात हे। अच्छा हे --एक घड़ी आधो घड़ी---या कोनो चोबीसों घंटा साहित्य लेखन कर--करके तोर कोठी ल भरत हें।

 हे सोशल मिडिया जी फेर एक बात तोला बताना जरूरी हे कि एमा के एके दू आना मन निंद्धा साहित्य होही बाँकी मन चोरी हारी कर के ,जोड़-तोड़ के बनाये असाहित्य आयँ जेन मन म साहित्य के पेंट चढ़े रहिथे। तैं ह थोकुन सावधान रइबे नहीं ते इँकर वजन म तुँहर कोठी भोसक जही।

   तोर सो एक बिनती हे ,चिटिक धियान दे देहू-- कई झन साहित्य के नाम लेके संकीर्ण मानसिकता ले या अफवाह फैलाय बर या कोनो राजनैतिक वाद के पक्ष लेके या ककरो चाटुकारिता म कुछु भी लिख देथें तेला रोंके करव भई।

   हे सोशल मिडिया जी मैं ह लोभ मोह म फँसे घोर संसारिक मनखे आँव। कभू दू -चार लाइन लिख परहूँ त ओला सरी जगत म फइलाय के कृपा कर देहू। तोर बारम्बार जय हो।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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