Thursday 7 January 2021

कलम अउ हथियार-खैरझिटिया


 कलम अउ हथियार-खैरझिटिया


            कलम ले निर्माण होथे, त हथियार ले विनास। कलम विचार के साधन आय, त हथियार युद्ध के। कहे के मतकब कलम विचार के म8दान म लड़थे त तलवार युद्ध के। कलम मनखे मनके आज के सबले बड़े जरूरत कलम हे, काबर की कलम ले ही मनखे-तनखे, जीव-जानवर, पेड़-प्रकृति सबके सिरजन सम्भव हे। येमा कोनो दू मत नइहे, कि हथियार ले कही जादा ताकतवर कलम हे।  कलम धरइया हाथ के तो उद्धार होबे करथे,ओखर संगे  संग वोमा दुसर के घलो उद्धार करे के ताकत होथे। कलम के डंका सिरिफ आज भर नइ बाजत हे, बल्कि कलम कई बछर पहली ले अपन ताकत ल देखावत हे, अउ आघू समय म घलो ताकतवर रही। कलम ताकतवर हे ,कलम म सिरजन के शक्ति हे तभे तो अनगढ़ लइका के हाथ म सबले पहली कलम धराये जाथे, ताकि वो लइका पढ़ लिख के अपन, अपन परिवार अउ देश राज म नाम कमाये। हथियार कतको चले, आखिर म ओखर फैसला कलम ले ही होथे। राजा पृथ्वीराज चौहान, के तलवार ल ओखर राजकवि चन्द्रबरदाई के कलम ह धार करत रिहिस, येला सबो जानथन। आजादी के लड़ाई म घलो लेखक कवि मनके कविता, लेख सबले बड़े हथियार रिहिस। अंगेज मन तलवार ले जादा कलम ले डरिन। कबीर, सुर, तुलसी, जायसी, केशव, बिहारी, रहीम के जमाना के हथियार भले जंग लगके, सड़ गे होही, फेर उँखर कलम आजो चमचम चमचम चमकत हे। माखनलाल चतुर्वेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत, जय शंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, मैथलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, शमशेर बहादुर सिंह, गजानन्द माधव मुक्तिबोध, मुंसी प्रेमचंद, भीष्म साहनी, फणीश्वर नाथ रेणु आदि अनेक कवि लेखन मनके कलम रूपी तलवार आजो वैचारिक मैदान म प्रभावशाली अउ उपयोगी हे, उँखर धार जस के तस बने हे। कलम हथियार के काम कर सकथे फेर हथियार कलम के काम नइ कर सके। जतका डरावना हथियार हे ओतके कलम घलो। भले राजतंत्र तलवार के फम म चलिस होही फेर लोकतंत्र कलम के दम म ही चलही। हथियार बाहरी ताकत अउ स्वयं के सुरक्षा बर उपयोगी हे ,वइसने कलम घलो सब के सुरक्षा के गूढ़ गोठ बताथे। कलम, हथियार ल कइसे बउरना हे तेखर बारे म घलो बताथे। फेर हथियार कलम ल नइ अपन कोती कर  सके। कलम सही ल सही अउ गलत ल गलत कहय, उही श्रेष्ठ हे। कलमकार के तीन रूप हे, जेमा पहला वो जेन पर उपकार के काम आथे ते उत्कृष्ट कलम या कलमकार 

कहिलाथे, मध्यम कलम या कलमकार म कलमकार के स्वयं के गुणगान या स्वयंसुख रहिथे, अउ अधम कलम या कलमकार म चाटुकारिता, द्वेष ,दंगा, पर निंदा जइसे बुराई दिखथे।

           हथियार जेखर हाथ म हे, वो फकत योद्धा होय,ये कोनो जरूरी नइहे, वो कायर, कपटी अउ दगाबाज घलो हो सकथे। जइसे तलवार, सच्चाई बर उठे, एक सच्चा योद्धा के हाथ म ही शोभा पाथे, वइसने कलम घलो, उही शोभायमान होथे, जेमा निर्माण के ताकत होथे। तलवार आसानी से खरीदे जा सकथे, फेर कलम ल खरीदना हे त करम ल बने बनाये बर पड़थे। तभे कलम ओखर गाथा गाथे। कलम म भूत, वर्तमान के साथ साथ भविष्य ल घलो झाँके अउ सँजोय के ताकत होथे, जबकि तलवार भूत म घलो लहू बोहाइस, वर्तमान म घलो बोहात हे अउ भविष्य म घलो बोहाही। आज मनखे कलम छोड़ तलवार ल थामत हे,जे दुखद हे, जेमा सिर्फ विनास ही हे। तलवार ल सामने खड़े मनखे भर डरथे, फेर कलम के डर म कतको के होश ठिकाना लग जथे। जइसे तलवार चलाये बर योद्धा म जिगर होना चाही, वइसने कलमकार के ह्रदय घलो निर्मल होना चाही। कलमकार ल लोभ, मोह म नइ आना चाही, चाटुकारिता, अउ अल्प ज्ञान घलो निर्माण म बाधक होथे। कलमकार म सबे बर समान भाव, निर्मल मन, अउ सृजनात्मक अउ समयक विचार होना चाही।

         तलवार उही श्रेष्ठ जे सच्चाई बर उठे, अउ कलम उही श्रेष्ठ जे सच्चाई लिखे। तलवार उठही त विरोधी के ही सही पर खून बोहाबे करही, फेर कलम थमइया हाथ म ये ताकत होना चाही कि, खून खराबा के स्थिति घलो टल जाये। समाज म सत, शांति अउ समभाव बने रहय। कलमकार के महत्व एक योद्धा ले कही जादा हे। *तलवार कोनो राज या कोनो राजा ल जीत सकथे, फेर कलम मनखे के मन ल जीते के ताकत रखथे।*


अंत म राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के प्रसिद्ध कविता कलम या तलवार प्रस्तुत हे--


दो में से क्या तुम्हें चाहिए कलम या कि तलवार 

मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपार


अंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान

या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान


कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली, 

दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली 


पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे, 

और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे 


एक भेद है और वहां निर्भय होते नर -नारी, 

कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी 


जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले, 

बादल में बिजली होती, होते दिमाग में गोले 


जहाँ पालते लोग लहू में हालाहल की धार, 

क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवार



जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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