Sunday 3 January 2021

बछर दू हजार बीस के अनुभव'

 'बछर दू हजार बीस के अनुभव'


               हर बछर कुछु पाथन त कुछु खोथन घलो। औ पाना- खोना इही तो जिनगी के सार आय। वइसे तो हर बछर हमर जिनगी म कुछ न कुछ सुख- दुख, करु- मीठ औ उतार- चढ़ाव आथे। जेखर ले हमर अनुभव बढ़थे। 

              अक्सर ये कहे- सुने बर मिलथे के फलाना के सेती मोर काम बिगड़गे।  बहुत जल्दी हमन कखरो उपर दोष मढ़ देथन जबकि हम ल चिंतन, मनन करना चाही कहाँ मेर गलती होय हे। औ वो गलती ल सुधार करत अपन पाँव आगू धरना चाही। हम अपन दुख- सुख के खुदे कारण होथन। कोनो ल दोष देके बजाय खुद के अंदर झाँक लेना चाही।  

           सबले बड़े बात मोला लगथे सिरतों म समय अबड़ बलवान होथे। तिल ल ताड़ औ ताड़ ल तिल बना देथे। दू हजार बीस म बहुत मुसीबत आके टोरे के अथक प्रयास करिस फेर नइ टोर सकिस। बल्कि औ मजबूत बनाइस कुछ न कुछ सीख देके गिस। 

         सबले बड़े बात कोरोना बइरी के करथन। जेखर आए ले गाँव- शहर का देश- दुनिया म तबाही मचगे। मनखे मन डरे- सहमें घर म दुबक के रहिगे। तीज- तिहार के रंग फीका होगे। स्कूल- काँलेज,  मील- कारखाना का नान्हे- बड़े उद्योग सब बंद होगे।  मनखे मन के काम- धँधा छुटे ले सब हलाकान होगे। सरकार लाँकडाउन उपर लाँकडाउन करिस। तभो कोरोना ल अपन पाँव पसारे बर नइ रोक सकिस। 

           गाड़ी- मोटर सब बंद होगे इहाँ तक के रेलगाड़ी के चक्का घलो थमगे। हे भगवान ये कइसन दिन आगे कोनो मनखे के दिमाग काम नइ करत रिहिस। सरकार घलो सब ल भुलागे सिरिफ कोरोना के ही चर्चा करय। मनखे मन के कहूँ आना- जाना सब बंद होगे।  

         खाए- कमाए ल बाहिर गे मजदूर भाई मन तनानना होगे।  कतको 1500 - 2000 किलोमीटर रेंगत अपन घर भूखे- प्यासे आइन। जगह- जगह म पुलिस जवान मन के पहरा। लुकाछिपी करत कइसनो होय घर पहुँचिन। कतको मजदूर भाई मन काल के गाल म घलो समागे। गाँव पहुँच के 15-20 दिन ले गाँव के स्कूल म क्वारेंटाइन रहई। हाय रे तकलीफ।

        सरकार के नियम के तहत बर- बिहाव, छट्टी- बरही अउ मरनी- हरनी के कार्यक्रम सिरिफ औपचारिकता होगे रिहिस। नाममात्र के गिने- चुने मनखे रहय। ओ भी सोशियल- डिस्टेंस के पालन करना अनिवार्य। मनखे सिरतो म कठपुतली होगे रिहिस।

           महँगाई दिनोदिन सुरसा सही अपन मुँह बढ़ाइस। कतको अइसनो जेन 2 के समान ला 20 म बेचय। जमाखोर अउ मुनाफाखोर मन अपन कमई ल ही देखिन। मनखे आर्थिक तंगी ले बहुत जुझिन अउ जूझते हे।

              कलाकार बपुरा मन बिन काम के ठोठक गे। लइकामन के पढ़ई- लिखई छुटगे। घरे म धूम मचई होगे।  दाई- ददा मन हलाकान होगे। बस एक सहारा मनोरंजन के टी वी अउ मोबाइल रिहिस। मोबाइल कंपनी वाले मन के बल्ले- बल्ले रिहिस। कतको दयालु मनखे अउ एनजीओ वाले मन मदद करे बर घलो आगू आइन। 

            धीरे-धीरे कोरोना के डर कम होइस त मनखे मन सामान्य जिनगी जिये बर लगिन। तभो मन म दहशत बने रहय। सरकार बार- बार  चेतावनी देवय मुँह म माँस्क बाँधना अउ हाथ ल धोना-  सेनेटाइज करते रहना हे। पुलिस वाले, सफाईकर्मी अउ स्वास्थ्यकर्मी मन ड्यूटी करई हलाकान रिहिन। हा फेर हार नइ मानिन अपन ड्यूटी ल घर- परिवार ल छोड़के पूरा करिन।

             एक बात अउ कोरोना हम ल बहुत कुछ सिखाइस घलो। प्रकृति के साथ खिलवाड़ के दुष्प्रभाव, रिश्ता- नता के अहमियत। सिरतोन 2020 म कतको नामी मनखे इहाँ ले विदा होइन जेखर पूर्ति असंभव हे। सरकार द्वारा ठोस निर्णय घलो ले गिस जेन सराहे लाइक हे। सबके मंगल सबके भला होवय इही आशा करत अब तो बस 2021 के शुभआगमन के अगोरा हे।

               

     ज्ञानुदास मानिकपुरी 

चंदेनी- कवर्धा (छ्त्तीसगढ़)

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