Thursday 7 January 2021

कलम अउ हथियार*-पूरन जायसवाल

 *कलम अउ हथियार*-पूरन जायसवाल


दुनिया मा हर चीज दू के पहलू देखेबर मिलथे। दुख-सुख, दिन रात, घाम छँइहा आना जाना आदि आदि। अइसे ही जब ले दुनिया बने हे दू ताकत सत अउ झूठ हर बराबर अपन आप ला बढ़ाय मा लगे हे। सत-असत नियाव-अनियाव मा लड़ाई सरलग चले आत हे। अइसे ही दुनिया के शुरुआत अउ जब ले समाज जइसे चीज के प्रादुर्भाव होय हे, दो वर्ग विशेष रूप ले प्रभावी हें एक शोषक, दूसर शोषित।


अउ जिहाँ शोषण हे उहाँ विरोध अउ प्रतिकार होबे करही अउ वो प्रतिकार शब्द ले हो सकत हे, मौन ले हो सकत हे या फेर हथियार ले हो सकत हे। अब हथियार के बात करन तव हथियार कई तरह के हो सकत हे कलम भी हथियार आय।

कलम अउ हथियार के जब बात करन तव दू तरह ले स्थिति अउ संदर्भ निकलथे। एक जब दूनों ला अलग अलग लेथन, दूसर जब दूनों मा संबंध बताथन।

कलम अकेला मा शिक्षा, जागरूकता, शांति, विवेक, आत्मज्ञान, धीरज, संयम आदि गुण ला समोय हमन ला जीवन बोध कराथे। हथियार भी अकेला मा दू रूप मा मिलथे, एक औजार के रूप मा जे हमर दिनचर्या के काम मा हमर सुविधा बर अपन उपयोग मा लाथन। दूसर शस्त्र जे प्रतिकार अउ आत्मरक्षा बर हमर जरूरी चीज आय।

अउ जब दूनों के बात सँघरा करन तव ये हर क्रांति अउ विरोध के पर्याय बन जाथे।

बात आथे कि दूनों मा कोन प्रभावी हे बिना संकोच के कहि सकत हन कलम।

बीते समय मा कतको उदाहरण हे जब कलम के ताकत ले हथियार हारे हे।

जब हथियार थक जाथे, वोला कलम के सहारा लेये ला पड़थे। कहे जाथे ये दुनिया मा राज करे बर कोनो सब ले बढ़िया जगह हे तो वो  हरे मनखे के दिल। ए मेरन चाबी अउ हथौड़ा के किस्सा भी प्रासंगिक हे।अब तक कतको आइन गइन कतको के नाम मेटागे, फेर जउन मन दिल मा राज करिन वोमन आज तक ज़िंदा हें अउ इतिहास डहर देखन तो एमा कलम के सिपाही मन आगू हें।

आजादी के पहिली अउ आजादी के बाद भी समाज मा सुधार अउ उत्थान के जतका आंदोलन होय हे वोकर अगुवा कलम रहे हे हथियार हर नहीं।

एक प्रसंग तो अक्सर सुने बर मिलथे कि कोई महान नेता अउ कवि कोनो मंच ले उतरत रहिन तो नेता लड़खड़ागे, कवि वोला संभालिन। नेता कहिथे बने करे मोला सँभाल लिये नहीं तो मँय गिर जातेंव। कवि कहिन जब जब राजनीति लड़खड़ाही कविता वोला सँभालही।

*कलम के महानता ला ले के मँय कहँव तो कलम ला तो हथियार के उपमा दे सकथन फेर हथियार कभू कलम नइ कहा सकय। अउ हथियार ले कभू कुछ अच्छा हो भी गे तो वोकर इतिहास कलम हर ही लिखही।*

आज के स्थिति अउ संदर्भ मा सब ले बड़े हथियार हे कलम। आज मनखे हा अइसे अइसे हथियार बना डरे हे कि पूरा दुनिया देखते देखत राख मा बदल जाय, फेर वोमा लगाम लगे हे काबर कि कलम बलवान हे। आज पेपर, न्यूज चैनल, मीडिया सब ले बड़े शक्ति बनके उभरे हे। ये युग हर शब्द के युग आय कलम के युग आय।


अपन हिंदी ग़ज़ल के एक शेर ले अपन गोठ ला आखिरी करिहँव 


*मुल्क के हालात हमसे कह रहे समझें अगर*

*हम अदब वाले कलम से काम लें शमशीर का*


पूरन जायसवाल

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