Sunday 3 January 2021

नवा बछर-पूरन लाल जायसवाल

नवा बछर-पूरन लाल जायसवाल


 बछर दू हजार इक्कीस अवइया हे यानी दू हजार बीस साल भर पहिली जेकर स्वागत हम बड़ खुशी खुशी करे रहेन एक दू दिन मा जवइया हे।

समय वो चाहे पल हो घड़ी हो सेकंड, मिनट, घंटा, दिन, हप्ता, महिना हो चाहे साल हो गुजरेच खातिर बर आथे। कहे बर तो कहे गे हे- "बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेय।" फेर का ये अतका सरल होथे। अवइया दिन मन सही बीते बेरा मन भी अउ खासकर वो बेरा ले जुड़े सुरता अउ भावना मन भी हमर जिनगी के अइसे हिस्सा बन जाथे कि नइ चाहत हुए भी बेरा-कुबेरा हमर दिल दिमाग के अगास मा बादर कस घुमड़े लग जाथे।


थोकन व्यक्तिगत होवत कहँव तव मँय बहुत ही नीरस व्यक्ति अँव। सब दिन ला एके बरोबर जानके कोनो परब, कार्यक्रम मा उत्साह ले कम भागीदार रहिथौं, व्यवहार निभा मा कमी भी नइ करँव, हाँ, कखरो उत्साह ला कम नइ करँव। फेर कहूँ बछर दू हजार बीस के बात करँव तव। ये बछर हर मोर जिनगी भर के अनुभव ऊपर भारी, बिल्कुल अलग अउ झकझोर देने वाला हे। कहिथे समय अउ विपत्ति सबले बड़े गुरू होथे। बछर दू हजार बीस बर ये सिरतो लागू हावय। अउ सब ला आत्म-अवलोकन कराइस।


साल शुरू भर तो होय रहिस कि लॉकडाउन ... स्कूल, कॉलेज, दुकान, संस्थान सब बंद। सब मनखे घर मा धँधाय बर मजबूर होगेन। गाँव-गली, शहर, प्रदेश, देश नहीं पूरा दुनिया रुकगे। जी, मँय कोरोना (बीमारी, अजार, महामारी, आपदा, संकट काय ये अब तक अस्पष्ट हे) के बारे मा गोठियात हँव। जेकर कारण से पूरा देश दुनिया मा जिनगी के गाड़ी हा रुके भर नइहे बल्कि पटरी ले उतर गेहे।


 ये बछर हर कतको राष्ट्रीय उपलब्धि बर भी सुरता करे जाही, संगे संग कतको अपन प्रियजन ला भी हमन खोय हन, वोहू मन के सुरता सताही। तब ले अवइया बछरो-बछर तक ये बछर हर कोरोना बर ही सुरता करे जाही। कोरोना ले कहन तव सबले जादा नुकसान गरीब, मजदूर मन के रोजीरोटी छिना जाना अउ हमर देश के भविष्य नौनिहाल मन के बछरभर के पढ़ाई ठप्प हो जाना आय। ये बछर के आखिरी बेला मा वैक्सीन के बनना हर राहत तो देवत हे, फेर कोरोना वाइरस के देये घाव ला भरे मा अउ वोकर निशान ला मिटे मा कतको बछर खप जाही।


तब ले दुख ला बिसार के सुख अउ आनंद के संभावना खोजना, निराशा ला भुलाके आशा के दीया बारना, रद्दा के काँटाखूटी अउ ढेला पथरा ला टारत आगू बढ़ना, असफलता ला पीछू छोड़के सफलता के नवा आयाम गढ़ना जिनगी आय। ये सब ला समझत अउ धियान मा रखत नवा बछर ले हर बार बरोबर हमर आशा जुड़े हे, हमर सपना के गोंदा फूल फेर फुलही, महमहाही। हम जुन्ना सब हताशा ला भुलाके अवइया नवा बछर के हर बार बरोबर नवा बहुरिया कस पूरा ऊर्जा, आनंद अउ उछाह ले स्वागत करबो।


पूरन जायसवाल

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