Thursday 7 January 2021

कलम और गलवार-गया प्रसाद साहू*

 *// कलम अउ तलवार//*

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      जब मैं हा प्रायमरी,मिडिल स्कूल म पढ़त रहेंव,तब राष्ट्रीय कार्यक्रम, शिक्षक दिवस , सांस्कृतिक कार्यक्रम या खेलकूद म भाग लेहे से गुरूजी मन पुरस्कार स्वरूप कलम देवत रहिन,तब मारे खुशी के दौड़त घर आ के हमर बुढ़ी दाई ला बतावत रहेन-ए दे दाई,आज हमर गुरूजी मन मोला ये कलम ला पुरस्कार देहिन हवंय | 

     तब बुढ़ी दाई ह जादा खुश नइ होवत रहिस अउ कहै- तोर गुरूजी मन कत्तेक कंजूस हवंय बेटा ? दू-चार आना के कुछु समान ला पुरस्कार देतिन,तब निचट्ट एक आना के कलम देहे हवंय  |

    *हमर डोकरी दाई ह धन (लक्ष्मी जी) के पुजारी रहिस,तेकरे सेती ओहा धन के लालसा राखत रहिस कलम (सरस्वती माता) के नहीं !*

    *वैसे कहे गए हवय-"दान के बछिया के दांत नइ देखे जाय" | पुरस्कार में मिले जिनीस के मूल्य नही देखना चाही, मंच म सब के सामने बुला के कोनो ला एक कलम दिए जाथे, सब मनखे सम्मान म ताली बजाथें,तब ओकरो मूल्य अनमोल होथे !"*

     *कलम के पुजारी संत कबीर दास, सूरदास, तुलसीदास,मीराबाई अमर हो गईन | कलम के पुजारी भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त, रविन्द्र नाथ टैगोर, रामधारी सिंह दिनकर,अज्ञेय, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा आदि कवि लेखक मन सदा दिन बर अमर हो गईन !*

     *हमर छत्तीसगढ राज्य में घलो बड़े बड़े कवि लेखक  धनी धरमदास,लोचन प्रसाद पाण्डेय,मुकुटधर पाण्डेय,पं सुंदर लाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल,हरि ठाकुर, खूबचंद बघेल, केयूर भूषण,जनकवि मरहा,कोदूराम दलित, सुशील यदु आदि कलम के पुजारी मन अमर हो गईन* |

     *जबकि तलवार के पुजारी आतंकवादी, नक्सलवादी,मावोवादी मन छोटे-छोटे मासूम लईकन ला मदरसा म "कलम" के बदला", तलवार,भाला,बरछी,गोली बारूद के शिक्षा देथें, तब जईसन बीज बोंथे,वईसने फसल प्राप्त करेथैं ! आतंकवाद, नक्सलवाद,मावोवाद से शिक्षा ले के छोटे-छोटे लईकन आतंकवादी नक्सलवादी मावोवादी बन जाथैं !*

     *शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य मन प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ला आवेदन-पत्र लिखे हवंय-हमर भारत देश म संचालित"मदरसा" ला बंद कर देना चाही,कारन-मदरसा में आतंकवाद के शिक्षा दिए जाथे, छोटे छोटे नौनीहाल बच्चा मन ला आतंकवादी बनाए जाथे !*

     

    *भारत-पाकिस्तान के बीच लंबा समय से हो रहे खून-खराबा ह १० जनवरी/१९६६ के दिन भारत के प्रधानमंत्री माननीय लालबहादुर शास्त्री जी अउ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अयूब खान के बीच रूस के ताशकंद शहर म लिखित समझौता के बाद विराम होईस !*

    *सन् १९९९ म भारत-पाकिस्तान के बीच"कारगिल युद्ध" लगभग ६० दिन तक चलिस, ये युद्ध म लगभग ५५०सैनिक मारे गईस अउ लगभग १४०० सैनिक घायल होईन ! आखिर एहू युद्ध के अंत २६ जुलाई/१९९९ के दिन दुनो देश प्रधानमंत्री के आपस म लिखित समझौता के द्वारा ही समाप्त होईस !* 

    *ये प्रकार से तलवार बाजी,गोली बारूद के प्रहार से पश्त होए के बाद "एही कलम के ताकत से शांति स्थापित हो जाथे, एकर मतलब होथे-"तलवार से हजारों-लाखों गुना जादा ताकत अउ प्रभाव"कलम" के होथे !*

    *तभे कहे गए हवय- "हजारों-लाखों वक्ता, तब सिर्फ एक लिखा सबूत ह भारी होथे "*

     

  *रहिमन देखि बड़ेन को,लघु न दीजिए डारि*

    *जहां काम आवै सुई,कहां करै तलवारि*

      *सुई के छिद्र म प्रेम के धागा समाहित होके दो अलग-अलग कपड़ा ला जोड़े के काम करथे, जबकि "तलवार" ह सिर्फ काट के खंड-खंड कर देथे, अलग-अलग कर देथे !*

     *ठीक सुई की भांति कलम ह आकार-प्रकार अउ स्वरूप से भले ही छोटे होथे, लेकिन कलम के स्याही से अंकित कथन ह अनेक दिलों ला जोड़े के काम करथे,तईसने कलम के लिखा समझौता वार्ता, संदेश ह बड़े-बड़े विनाशकारी हथियार, तलवार से शक्तिशाली होथे*|

     

      * *लाठी, तलवार,भाला बरछी के लड़ाई म उलझे लोगन के कोर्ट-कचहरी के मुकदमा ह कई बरस तक चलते रहिथे, लेकिन आखरी सुनवाई के बाद जब माननीय न्यायाधीश महोदय ह "एही कलम" म लिख के फैसला सुनाथे,तब विनाशकारी तलवारबाजी के झगड़ा ह सदा दिन बर समाप्त हो जाथे | "अर्थात "कलम" के ताकत ह "तलवार" से लाख गुना ज्यादा होथे*

     

     *बचपन म कोनो लईकन के शिक्षा  गलत ढंग से लड़ाई-झगड़ा ला सिखाए जाथे, ऊंकर गलत तालीम के कारण जिंनगी ह पग-पग म खतरनाक अउ खुद बर घातक हो जाथे ! लड़ाई-झगड़ा प्रवृत्ति वाला लोगन कभी भी उमर भर नइ जीए सकैं,कोनो कतको सुरवीर होय,लेकिन दूसर मनखे संग मार-पीट करथें,तब अईसन मनखे ला कई लोगन मिल के कुत्ता के मौत मार डारथैं !*

     

    *बचपन म जऊन लईकन ला प्रेम,दया,आदर,सम्मान, अपनापन सिखाए जाथे,ऊंकर जिंदगी सदैव सुख-शांति समृद्धि भरे होथे | स्कूल कालेज म खूब पढ़ाई करके  "कलम म लिखे "जऊन सर्टिफिकेट मिलथे,ओकरे आधार म कोनों कलेक्टर, कमिश्नर, डाक्टर, वैज्ञानिक बनथे, ऊंकर जिंदगी सफल,सुखद अउ यादगार हो जाथे, इंकर मतलब होथे-"गलत तालीम, तलवारबाज़ी के बजाय सुंदर शांतिपूर्ण ढंग से शिक्षा अउ "कलम के सर्टिफिकेट" ह तलवार के अपेक्षा लाख गुना सहीं, सकारात्मक अउ शक्तिशाली होथे*|

    *देश के बाहरी हिस्सा सीमा पर तैनात सैनिक मन अपन प्राण गंवाके देश के रक्षा करथैं,तब हम कलम सिपाही मन देश के अंदर सुंदर सकारात्मक विचार प्रतिपादित कर के, लेख,कविता के माध्यम से देश सेवा के काम करथन, देशवासी के मन में, परिवार,समाज के मन में सकारात्मक विचार लिख के पारिवारिक सामाजिक धार्मिक आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक उत्थान के काम करथन*|

   *हम हैं कलम वीर सिपाही*

     *व्यक्ति आम नहीं हैं*

    *हम हैं हरदम उगता सूरज*

      *ढलती शाम नहीं हैं*

     *हम पुष्प पुंज माला हैं*

      *चिंगारी और ज्वाला हैं*

     *हम सच्चे साहित्य सृजक*

      *राष्ट्र का रखवाला हैं*

     *कलम हमारी शक्ति है*

     *चिंतन हमारा धर्म है*

     *साहित्य ही ओढ़ना-बिछौना*

     *सृजन हमारा कर्म है*

    *चाहे दुनिया सोती रहे*

     *हम हरदम जागते रहते हैं*

     *लोग पाकर भी लुटाते हैं*

       *हम लुटाकर ही पाते हैं*


     *जब तक सांसें टूट न जाये*

     *तब तक हमें आराम नहीं है*

     *हम हैं कलम वीर सिपाही*

     *व्यक्ति आम नहीं हैं*

    *हम हैं सदा उगता सूरज*

      *ढलती शाम नहीं हैं*

    *सर्वाधिकार सुरक्षित* (दिनांक-०५.०१.२०२१)


     *गया प्रसाद साहू*

     "रतनपुरिहा"

मुकाम व पोस्ट-करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)


 

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