Saturday 23 January 2021

*सोसल मिडिया और साहित्य लेखन* अश्वनी कोशरे

 *सोसल मिडिया और साहित्य लेखन* 

अश्वनी कोशरे


सोसल मिडिया नाम ले अइसे लागथे कि सिरतोन म ए मिडिया हर मानव समाज के उद्धार बर ही बने होही| फेर एखर जादा उपयोग राजनीतिक मंच के रुप म करे जावत हे|  ए तो बहुत बड़का मंच हरे ! फेर एखर सही मं उपयोग अभी नइ हो पावत हे| साहित्य के असली मरम ल तो अभी समाज तक पहुँचे मं विलंब हे| फेर थोर - थोर शुरुआत होवत हे|अभी सोसल मिडिया के सही उपयोग  साहित्य जगत के सबो मनखे मन भी नइ कर पावत हें|

         कुछ दिन पहली सोसल मिडिया फेसबुक मं कविता भेजई चलत रहिस और अपन संगवारी के नाम लिख के ओमन ला भी रचना डारे बर कहत रहेन|हरेक दिन एक ले बढ़ के एक रचना पढ़े बर मिलत रहिस| गुमनाम कवि लेखक मनके कई - कई स्तरीय रचना सामने आइस, देखे - पढ़े बर मिलत हे| छोटे से गाँव - कस्बा के मनखे मन ल भी विचार अभिव्यक्त के मौका मिलिस| मिलत हे ,और मिलत रइही| ये ओमन बर बड़ उमंग और खुशी के बात हरे जेमन एकर माध्यम ले पहिचान बनाइन | अइसन हे कई- कई समूह मं कई बड़े उदिम करे जावत हे| जऊन हर सोसल मिडिया म साहित्यिक क्रांती आए |एखर परिणाम अच्छा होवत हे| हालांकि सोसल मिडिया कखरो नियंत्रण म नइ हे| तभे तो सोसल मीडिया हे| 

    सोसल मिडिया के साहित्य जगत बर संकुचित अर्थ ल लेबो त केवल छोटे- मोटे नवकुशहा लेखक ,कवि मन के हास्य, व्यंग्य ,चुटकुला, मुक्तक ,प्रेम के गीत,फुहड़पन वाले शेरों शायरी तक सिमित हो जही | बहस करत गलत तर्क , चेटिंग और राजनीतिक मसाला हर साहित्य के अंग नोहय| हाँ राजनीति कैसे , काबर और काखर बर ?लिखइया मन के भी कमी नइ हे|तव समसामयिक विषय ल चिंगारी देवइया मन के तको कमी नइ हे| फेर शिष्ट साहित्य और साहित्य के तत्व ल खोजिहव त सोसल मिडिया के नजरिया से देखे ल परही| केवल सोसल मिडिया मं साहित्यकार या लेखक ल कोसना कहाँ तक सही हे| ये पता नइ हे|

   लेकिन व्यापक सरुप में देखे जावय तव सोसल मिडिया साहित्यकार और ओखर प्रतिभा ल निखारे खातिर एक बड़का रणभूमि हरे | जिहाँ स्वस्थ प्रतियोगिता के संभावना जादा नजर आवत हे| बड़े - बड़े नामचिन साहित्यकार मन के विचार आलेख और प्रसिद्ध रचना, कृति मन तक आसानी ले पहुँच बन जाथे|नवा पीढ़ी ल जाने, सीखे, समझे के मौका बनत हे|

सोसल मिडिया के माध्यम ले ही हमन मुंशी जी के जमाना के साहित्य ल पढ़, जान सकत हवन| एक दिन" गोदान" पढ़े के मन होइस| एक झन विदुषी दीदी ल निवेदन करेंव |

     तव वो दीदी जी ह "गोदान" , "गबन" , "सेवासदन" ,"रंगभूमि", "कर्मभूमि"  जइसे कृति मनके सात ठन पी डी एफ भेज दिहिन| अब बताव कतेक अकन सुविधा सोसल मिडिया मं उपलब्ध हे| कई - कई सोसल मंच म साहित्य के बहुत से विधा के ज्ञान भी कराय जावत हे| सोसल मिडिया के फेसबुक और वाटसप के अलावा बहुत अकन साइट हे जिहाँ नवा पीढ़ी ल तैयार भी करे जावत हे| 

अपन- अपन सुविधानुसार गुनी मानी साहित्यकार मन के द्वारा छंद ,गज़ल ,सजल ,मुक्तक, नवा कविता, कहिनी, यात्रा वृतांत , जीवनीलेखन,  निबंध, रिपोट, नाट्य लेखन सिखोय जावत हें| ठीक हे हमन कहत हवन के एखर कोई प्रमाणित आधार नई हे फेर जुन्ना समे के साहित्य मन ल तको ई - लाइब्रेरी के माध्यम ले सोसल मिडिया म काबर  बगराये गे होही? महापुरुष मन के जीवनी, विचार और धार्मिक - पौराणिक, आध्यात्मिक दर्शन और वेद के ज्ञान आज सोसल मिडिया में छाये हे| सोसल मिडिया अउ साहित्य लेखन के व्याख्या करना बस के बात नइ हे| आज के वैज्ञानिक युग मं  ए केवल एक समाज से नइ जुड़के समूल विश्व मं फइले साहित्यिक मंच हरे|

              सोसल मिडिया अपन समे के सबले सफल मंच हरे इहाँ लिखे गए साहित्य के भरमार जरुर हे | फेर जादा भ्रमित न होके अपन काम के विषय ढूँढ़े जा सकत हे | ए सोसल मिडिया हर तरह के साहित्यकार मन बर वरदान ल कम नइ हे|  जउन समय कागद ,कपड़ा नइ रहिस वो समय मौखिक, वाचिक साहित्य रहिस |और कम मनखे मन तक सिमित रहिस| अभी तो कमसे कम आम मनखे तक विचार, आलेख पहुँचत हवय | जउन मनखे सही दिशा म बने लेखन करही तव माध्यम कहूँ अउ कउनो होवय ओकर विचार हर समाज के विकास बर मनखे ल सही दिशा अउ संदेश देवत रइही|


अश्वनी कोसरे

कवर्धा कबीरधाम

No comments:

Post a Comment