Saturday 1 January 2022

निबन्ध* *"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर*

 निबन्ध*


*"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर*


छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ला पोठ करे के उद्देश्य ले डॉ. सुधीर शर्मा जी "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" नाम के एक वाट्सएप समूह बनाइन। "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के स्थापना 15 जून 2020 के होइस। ये समूह ला सुचारू ढंग ले चलाये बर "छन्द के छ" के संस्थापक अरुण कुमार निगम ला एडमिन के दायित्व सौंपे गिस। 


"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के शुरुआत मा छत्तीसगढ़ के गद्य-विदुषी सरला शर्मा जी गद्य के विविध विधा जइसे लेख, आलेख, निबन्ध, पत्र लेखन, डायरी लेखन, संस्मरण, लघुकथा, कहानी, हास्य, व्यंग्य, रेखाचित्र, उपन्यास आदि के बारीक जानकारी विषय-प्रवेश के रूप मा नवा लेखक मन ला बताइन अउ समझाइन। 


डेढ़ बछर ले आगर होगे, "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" अपन उद्देश्य मा केन्द्रित होके सरलग चलत हे। नवा रचनाकार मन सरलग छत्तीसगढ़ी भाषा मा गद्य के सृजन करत हें। नवा रचनाकार के संगेसंग इहाँ सरला शर्मा जी, सुधा वर्मा जी, दुर्गाप्रसाद पारकर जी, सुशील भोले जी, रामनाथ साहू जी, गयाप्रसाद साहू जी आदि स्थापित गद्यकार मन घलो इहाँ अपन अनमोल साहित्यिक अवदान देवत रहिथें। इन रचना मन के समीक्षा सरला शर्मा, सुधा वर्मा, विनोदकुमार वर्मा, गयाप्रसाद साहू, पोखन लाल जायसवाल जइसन अनेक बुधियार द्वारा होवत रहिथे। नवा गद्य हस्ताक्षर मन मा चोवाराम "बादल" जी, जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया" जी, हरिशंकर देवांगन जी, हेमलाल सहारे जी, चन्द्रहास साहू जी, पोखनलाल जायसवाल जी, मोहनकुमार निषाद जी, अश्वनी कोसरे जी आदि मन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हवँय। 


वर्तमान समय मा "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के सदस्य संख्या 180 ले ज्यादा हवय। ये समूह मा असम के छत्तीसगढ़िया मन तको जुड़े हें। शिक्षा, संस्कृति, साहित्य, पत्रकारिता, नौकरी पेशा, विद्यार्थी, गृहिणी, किसान, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, उद्घोषक, कलाकार जइसे अनेक क्षेत्र के स्थापित अउ नवोदित मनखे मन ये समूह के शोभा बढ़ावत हें। इन सबके रुचि ला ध्यान मा रखके हफ्ता भर के विषय ला तय करे जाथे। सोमवार ले गुरुवार तक पूर्व निर्धारित विषय मा गद्य लेखन, शुक्रवार के स्वतंत्र गद्य लेखन, शनिवार के पद्य लेखन बर सुनिश्चित करे जाथे। इतवार के दिन गीत, ऑडियो, वीडियो, उपलब्धि आदि विषय बर स्वतन्त्र रखे जाथे। 


सबके भावना के ध्यान रखे के बावजूद बहुत दुःख के बात आय कि कुछ सदस्य मन ए समूह के उद्देश्य ला ध्यान मा नइ रखके ये गरिमामय समूह के प्रयोग केवल आत्म-प्रचार बर कर देथें। न कभू कोनो लेख, न कभू ककरो लेख उपर प्रतिक्रिया, कहूँ कोनो सम्मान मिलगे या कहूँ कुछ छप-छपा गे, तुरन्त इहाँ अपन उपलब्धि ला पोस्ट कर देथें। कई झन ला एडमिन हर चेताइस, कुछ झन ला रिमूव्ह तको करके बुराई मोल लिस तब जाके अइसन आत्मप्रशंसा के पोस्ट मा काफी कमी आइस हे। अगर कोनो उद्देश्य ला पूरा करना हे तब अनुशासन अनिवार्य हो जाथे। 


छत्तीसगढ़ी के हर साहित्यिक मंच मा एक बात जरूर कहे जाथे कि छत्तीसगढ़ी मा गद्य लेखन के कमी हे फेर ये कमी ला दूर करे बर ककरो प्रयास नइ दीखे। डॉ. सुधीर शर्मा जी "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के स्थापना करके ये दिशा मा अपन डहर ले शुरुआत करिन। डेढ़ बछर मा साढ़े छै सौ ले आगर छत्तीसगढ़ी भाषा मा गद्य रचना हो चुके हे। ये जम्मो रचना मन के संकलन "छत्तीसगढ़ी गद्य खजाना" नाम के ब्लॉग मा सरलग होवत हे जेमा विश्व के 20 ले आगर देश के पाठक मन आके छत्तीसगढ़ी गद्य रचना ला पढ़त हवँय। 


"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर", छत्तीसगढ़ी साहित्य बर कोनो नवा नाम नोहय। बिलासपुर के आदरणीय नंदकिशोर तिवारी जी के सम्पादन मा "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" नाम के साहित्यिक पत्रिका कई बछर पहिली ले छपत हे। ये पत्रिका हर छत्तीसगढ़ी भाषा के संगेसंग अनेक साहित्यकार मन ला स्थापित तको करे हे। प्रिंट मीडिया मा "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के कोनो विकल्प नइये, वइसने वाट्सएप समूह "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के मात्र डेढ़ बछर के उपलब्धि ला देख के ये भरोसा होवत हे कि यहू ह न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा ला पोठ करे मा सफल होही भलुक अनेक नवा गद्य लेखक मन ला घलो स्थापित करके रही। 


*अरुण कुमार निगम*

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