Saturday 8 January 2022

आत्महत्या

 आत्महत्या 

                    किसान मन करजा म बुड़ के आत्महत्या करे बर मजबूर रहय । बनिहार मन काम के अभाव म आर्थिक तंगी झेलत भूख म तड़फ के मरे के पहिली आत्महत्या कर लेवत रहय । सरकारी कर्मचारी मन सरकारी काम के दबाव म असमय अपन इहलीला समाप्त कर देवत रहय । चारों डहर शोक के माहोल व्याप्त होगे । हरेक दू घर चार घर के आड़ म शोक करइया के जमघट लगगे । येला देखके कलम के मन म अबड़ दुख हमागे । ओहा बात उचइस । ओकर बात म दम रिहीस । ओकर संग बहुत अकन नान नान पेंसिल मन संघरगे । इंकर एकमई ताकत म सरकारी अव्यवस्था के पेड़ के जर हालगे । 

                    कुछ दिन पाछू इही कलम हा सरकार म संघरके आत्महत्या कर डरिस । ओकर घर के आघू म लालबत्ती जुगुर जुगुर करे लगिस । ओकर आत्महत्या म ..... नान नान पेंसिल मन सुख के आस म रेम लगा दिन ..... ।  

हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा.

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