Saturday 8 January 2022

अलहन - कहानी

 अलहन


                                  चन्द्रहास साहू

                                 मो  8120578897



"झटकुन खाना परोस ओ !"

गोसाइयां किहिस बाथरूम ले निकलत। दु बेरा अऊ आरो करिस तेल फुल चुपरके।

’’हाव’’

"थोकिन दम धर। न जुड़ ला खावस नही न तात ला अगोरस नही। अभिनेच पानी डारे हावव साग मा। डबकत हावय।"

जतका साग डबकत हावय ओतका गोसाइया घला डबकत रिहिस। दस बजे ड्यूटी जाना हावय अऊ अभिन पौने दस बजइयां हे। गोसाइया घड़ी पहिरत देखिस।

"मोला तियारी करके ड्यूटी पठो देये कर ओ ताहन तेहां सुतस कि बइठस तेहां जान .. फेर  रोज बिहनियां के खिबिड़ - खाबड़। बिहनियां के झगरा अऊ भिनसरहा के पानी, अब्बड़ घोर मताथे । जम्मो ला रोहन- बोहन कर देथे।" 

गोसइया समझाए लागिस । .. फेर गोसाइन तो बिकराल होगे हावय।

गोसाइन धनेसरी हा लोटा गिलास  मा पानी लान के पटकिस अऊ जेवन ला घला। 

’’अतका डबकत ताते-तात ला कइसे खावव।’’

गोसाइयां के गोठ ला सुनके गोसाइन मुंहु मा हवा  भरके फुके लागिस। पंखा चालू करिस। गोसाइयां दुलरवा जेवन करे लागिस। दुलरवा रोज बरोबर टी.वी. चालू करके चैनल बदलिस। समाचार देखे लागिस।

 गोसाइन के नाव धनेसरी अऊ गोसइया के नाव दुलरवा आवय।

"बिग्यापन के मारे कही ठिकाना नइ परे। " गुनमुनावत किहिस दुलरवा हा अऊ चैनल बदले लागिस। अब देखिस ते आंखी उघरा रहिगे .. भिलाई स्टील प्लांट मा भीषण हादसा नौ लोगो की दर्दनाक मौत। दुलरवा ला थरथरासी लागिस। अऊ अब्बड़ देखे के उदिम करिस फेर नइ दिखिस। 

                           का होगे भगवान ? नौ - नौ झन मइनखे ला लील डारिस प्लांट हा । छत्तीसगढ़ के शान बढ़हइयां प्लांट ला महिना दिन आगू श्रेष्ठ  इस्पात बनइयां के राष्ट्रीय  अवार्ड देये रिहिस भारत के माननीय प्रधानमंत्री हा। देश मा सुघ्घर रेल के पटरी बनइयां एकलौता कारखाना आवय। जिहां बत्तीस लाख टन लोहा के उत्पादन होथे बच्छर भर मा। इनाम झोके के उछाह कमती नइ होय हावय.... अऊ अइसन अलहन... ? सब ला बने कर तिरलोकी नाथ....। दुलरवा अरझे लागिस गुनत-गुनत। पानी पीयिस। 

चार कौरा पेट मा गिस ताहन उलियासी लागिस। अरझे लागिस। मन अनमनहा होगे। अऊ खाये के सामरथ नइ हावय। रूआं ठाढ़ होगे। जी कांपें लागिस। मन मा अब्बड़ गरेरा उमड़त रिहिस जम्मो ला जाने बर। 

" ऐ ओ धनेसरी !'' 

खांसत-खांसत आरो करिस।

 "नइ खावव ओ !''  

"का होगे ? काबर नइ खावस ? कइसे लागत हावय ? अभीन तो अब्बड़ पोटा अइठत रिहिस। भूख मा मर जाहू काहत रेहेस। अऊ अभिनेच का होगे ?''

गोसाइन तरतर - तरतर तुतारी चलावत रिहिस।

"प्लांट मा अलहन होगे नौ झन भाई मन मरगे अऊ कतको झन भाई मन घायल हाबे तेखर.... ?"

"मरइयां के किस्मत मा वइसना मरही कहिके लिखाये रिहिस। रेंग दिस। फेर जियइयां हा तो लांघन झन रेंग। ओतका बेरा ले घोरन मतावत रेहेस। भूख लागत हावय काहत रेहेस... अब बने टोटा के आवत ले खावस नही... ?''

धनेसरी हा फेर गुर्रावत हावय। 

दुलरवा गोसाइन के संवेदनहीन सिकल ला देखते रहिगे। करू थूक ला गटके लागिस। अभिन कहि कहितिस ते झगरा मात जाही। शर्ट पेंट मा खुसरिस अऊ फटफटी निकाले लागिस। टिफिन ला डिक्की मा गोंजिस। पीयर रंग के हेलमेट ला नंगाइस धनेसरी के हाथ ले अऊ पहिरके गाड़ी चालू करिस। गाड़ी गुर्राये लागिस। हलु - हलु कलच ला छोडि़स अऊ रेंगे लागिस। 

"सुन !  लहुटती मा जीरा शक्कर चायपत्ती अऊ नहाये के साबून ले आनबे। जम्मो सिरागे हावय। ...  बाय झटकुन आबे।''

धनेसरी मुचकावत हाथ हलावत किहिस।सबरदिन रेंगेच के बेरा  कहिथे  मंगाये के कुछु जिनिस ला लाने बर। घर मा रहिथव तब बताये कर ओ का जिनिस ला बिसा के लाना हे तौन ला । लिस्ट बना के दे दिये कर...। दुलरवा कतको बेरा बरज डारे हाबे तभो ले धनेसरी तो धनेसरी आय। करही ते अपन मन के। 

’’हु...।’’

दुलरवा नख ले गोड़ तक देखिस धनेसरी ला अऊ गाड़ी दउड़े लागिस। 

                      भिलाई केम्प एरिया ले चन्द्रा मौर्या टाकिज नाहकत प्रगति पथ मा गिस अऊ सेक्टर टू होवत प्लांट मा अमरगे दुलरवा हा। ये आधा घंटा के रस्दा अइसे लागे जइसे जुग होगे रस्दा मा रेंगत।

              कारखाना के मेन गेट मा भीड़ सकेलाय रिहिस। प्रबंधन अऊ प्रशासन के बिरोध मा हाय - हाय  मुर्दाबाद के नारा लगावत रिहिस। मजदुर करमचारी के लाश ओरी - पारी माड़हे हावय। जम्मो लाश के का दुरगति होगे हावय । ... भुंजाके के कोइला होगे हे । मुड़ी के आधा चुन्दी बरगे हावय। कपड़ा लत्ता घला चिपक गे हे काया मा। पांच छे फीट के काया लेसा के दु चार फीट के होगे हे। पुरा बदन उघरा होगे हावय पनही बेल्ट घड़ी जम्मो टघलगे, ..भुंजागे ...लेसागे...। काया के नांव मा किलो भर राख घला माढ़े हे अऊ करिया के झिल्ली मा जम्मो हा लपेटाय हे। जम्मो काया छिही- बिहि होगे हावय। एकोझन नइ चिन्हावत हाबे। अतका विभत्स होगे हावय कि पथरा के छाती फाट जाही। पानी ओगर जाही। कोंटा मा शव वाहन घला ठाढ़े हावय फेर तीर मा ओधन नइ देवत हे।

      गजपति, अशोक झा , राजू सतवीर सिंग कर्मचारी संघ के मुखिया आवय। प्रबंधन के खामियां गिना के हाय - हाय अऊ मुर्दाबाद के नारा लगावत हावय। रायपुर ले दिल्ली तक हाहाकार माचगे।  मंत्री नेतामन ठऊर मा आइस अऊ घोषणा करिस मरइयां मन ला तीन लाख ले बढ़ाके पांच लाख दिही सरकार हा अऊ एक झन परिजन ला सरकारी नोकरी घला। मंत्री जी घोषणा के रामबाण चलादे रिहिस। ...अऊ भीड़ ? भीड़ हा तो कोलिहा आवय । जइसन बेरा तइसन बरन ।  कभु बघवा के खाल ला ओढ़ लेथे तब कभु गाय के। भीड़ के सिकल के रंग अनचिन्हार होगे अब  जौन हा तमतमावत रिहिस, खिसियावत रिहिस हाय -  हाय अऊ मुर्दाबाद के नारा लगावत रिहिस तौन हा मंत्री जी के आरो लगाये लागिस। मंत्री जी जिंदाबाद .... जिंदाबाद जिंदाबाद............। 

जम्मो कोई झरिस तब लाश ला  शवगाड़ी मा भरके घर पठोइस। दुलरवा देखते रहिगे जम्मो ला।

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"का तीर मार डारेस दुलरवा ! मिठई बाटत हावस ?"

’’दुलरवा तो तीर मारते रहिथे अऊ मिठई घला खवाथे तोर असन तो कंजूस  नइ हावय। माखूर घला नइ खवावस तेहां ।’’ 

सिन्हा जी के गोठ ला सुनके नेताम जी इतराइस अऊ मुचमुचाये लागिस। 

’’दुलरवा के लइका इंजिनियरिंग पास होगे सुघ्घर नम्बर ले। मोर बड़का भाई के साध पूरा होगे।’’ 

साहूजी किहिस दुलरवा के खांध मा हाथ मड़हावत। 

"हाव भाई लइका के जनम आइस तब ले गुन डारे रेहेव लइका ला इंजिनियर बनाहू अइसे। अब्बड़ तीरथ बरत घला करेव। कौढ़ी - कौढ़ी जमा करेव, पढ़ायेव लिखायेव .... लोन घला लेये ला परिस इंजिनियरिंग के पढ़ाये बर .. फेर जम्मो हा छुटा जाही ..........छुट डारही मोर होनहार लइका हा । होनहार तो हावय न तभे तो कालेज मा टाप करे हावय। ओ तो दु अंक कमती होगे नही ते युनिवर्सिटी मा घला टाप करतिस। मोर लइका इंजिनियर बनगे.......... इंजिनियर ।" 

दुलरवा मुचकावत किहिस। सिकल मा उछाह के अंजोर रिहिस अऊ छाती गरब मा फुलत रिहिस। 

’’ जादा झन फुल दुलरवा थोकिन ओसक जावो नही ते भड़ांग ले फुट जाओगे। इंजिनियरिंग पढ़ के कोनो तीर नइ मार डारे ....। हजारो हज्जार लइका  डिग्री धर के घुमत हावय। गोल्ड मेडलिस्ट मन घला किंजरत हावय बछवा कस।’’ 

दुबे जी आवय हेड टेक्निसियन मिठई झोंकत किहिस। एक बेरा चालू हो जाथे ते नइ अतरे। पान खाइस अऊ ओरियाये लागिस । कभू काखरो बर सुघ्घर नइ गोठियाये जब गोठियाही तब निगेटिव गोठियाथे।  

"फुलत नइ हे भईया उछाह के बेरा ला बाटत हावय दुलरवा हा । सुख- दुख के संगवारी मन संग । ....अऊ सुनाओ दुबे भईया !" 

कलिहारी  जी किहिस अऊ मिठई ल खाके उछाह मनाइस ।

"काला - काला  बतावव सुनोगे ते बइहां  हो जाओगे। सेक्टर टू वाला साहू जी के लइका पुणे ले इंजिनियरिंग करके आइस।  अऊ अभिन सरकारी इस्कूल मा बाबूगिरी करत हावय। तिवारी के इंजिनियर टूरा हा शिक्षाकर्मी हावय। वर्मा के टूरी हा बैंक मा केसियर हावय। येमन तो सरकारी नोकरी वाला होगे जेमन ला काही नइ मिलिस तेमन धंधा करत हावय सुघ्घर धंधा .... बनिया टूरा हा चना मुर्रा बेचत हावय, पांडे के लइका हा पान मा कत्था चूना लगावत हावय अऊ यादव के लइका हा भजिया पकोड़ा बेचत हावय यहू हा तो रोजगार आवय ना।"

" फेर जौन इंजीनियरिंग के पढ़ाई करथे तौन हा अपन इंजीनियरिंग के बुता ला काबर नइ करे। अपन पइसा, अपन बेरा सब ला गवावत हावय येमन ।''

कलिहारी के गोठ ला सुन के नेताम जी किहिस संसो करत।

दुलरवा  के सिकल के रंग उड़ागे रिहिस दुबे के गोठ सुनके। 

पुचकारत फेर किहिस । 

"आफिस - आफिस किंजरे ले सुघ्घर राजनीति मा पठो दुलरवा अपन बेटा तिहारु ला। बड़का बड़का नेता मंत्रीमन पढ़ई मा जीरो  हावय फेर राजनीति मा हीरो। तिवारी के टुरा इंजिनियरिंग मा फेल होगे फेर राजनीति मा पास। युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनिस अऊ अब तो विधायक बर टिकट घला मिलइयां हावय।''

पान के पीक ला थूकत किहिस दुबे जी हा। दुलरवा के सिकल मुरझाये लागिस।   

    " मेहां मानथो मोर गोठ करू लागिस तौन ला, फेर इही हा सांच आवय। अऊ सांच हा सिरतोन करू होथे। हायर एजुकेशन मानिटरिंग कमेटी के रिपोर्ट हावय कि देश मा पच्यासी प्रतिशत इंजिनियरिंग के डिग्री झोकइयां  ला सुघ्घर बुता नइ मिले । अऊ मिलथे तौन मन निपुनता ले बुता नइ कर सके । येहां सरकारी आंकड़ा आवय कोनो ल भरमाय बर नइ काहत हावव।" 

दुबे अपन गोठ के परमान देवत किहिस । 

"   .......अऊ प्लांट मा नोकरी मिले के सपना झन देख दुलरवा ! आने राज ले जादा गदहा तो छत्तीसगढि़या मन हावय। इहां सेन्टरल ले भरती होथे ।  इहां दक्षिण भारतीय तमिल कन्न्ड़ आंघ्रा वाला मन गोदगिद ले आ जाथे अऊ बांचे खोचे मा ओडि़या अऊ पंजाबी मन झपा जाथे । हिन्दी भाषी मन चुचवावत ले हो जाथन। ये जनम मा तो प्लांट मा नोकरी नइ मिल सके, आने जनम धरे ला लागही नोकरी पाये बर छत्तीसगढ़िया मन ला।''

 दुबे जी किहिस अऊ माखुर गठत कठल - कठल के हासे लागिस। 

 " एक शार्ट कट हावय दुलरवा नोकरी पाये बर .... पुछबे ते बताहू ? माखूर चफलावत किहिस अब। 

दुलरवां देखे लागिस ओखर सिकल ला। अब्बड़ रंग दिखत रहिस।

 "... शार्ट कट ये आवय दुलरवा अनुकम्पा मिले ले तोर लइका हा प्लांट मा खुसर सकथे।अऊ ...... तै तो जानथस अनुकम्पा नोकरी कइसे मिलथे तौन ला ........। दुबे अब दहाड़ मार के हासे लागिस हा: हा:,.....। भो.........भो... प्लांट के भोपू बाजिस। अऊ लंच के बेरा सिरागे। 

                    नेताम मरकाम देवांगन जी अऊ दुलरवा जम्मो कोई कारखाना मा मेन्टेनेंस डिपार्टमेंट मा हावय। दुलरवा तो कन्वेयर बेल्ट के स्पेशलिष्ट होगे हावय। जब बुता नइ बने काखरो ले  तब दुलरवा ठाढ़े होथे अऊ बना डारथे बनौती ला। लोहा वाला पथरा हा इही कन्वेयर बेल्ट मा आथे अऊ बड़का - बड़का चक्की मा दरा जाथे। कोक ओवन मा डालके गरम करके पिघला के साफ करथे, लोहा ला अलग करथें। गोठ मा ये जम्मो हा नानकुन लागथे फेर मिहनत पहार कस। मशीन अऊ मइनखे के ताल मेल बनाके चले ला परथे ............।

                            दुलरवा दुरूग जिला के भगवान जामगांव के रहवइयां आवय। सन् चौसठ के दुकाल अपन ननपन मा भिलाई गिस ते उहिन्चे के होगे। तीन भाई, तीन बहिनी जम्मो कोई रोजी मंजूरी करे। प्लांट के ठेकेदार हा दुलरवा के मिहनत अऊ इमान ला देख के अपन तीर मा राखिस अऊ दैनिक वेतन भोगी मा नांव जोड़वा दिस । अब नानकुन कुंदरा घला बना डारिस। बर बिहाव घला होगे अऊ लइका के किलकारी बाजिस तब दुलरवा परमानेन्ट घला होगे।  अब्बड़ जतन ले पढ़हाइस लइका ला अऊ आज लइका हा इंजिनियर के डिग्री झोकिस तब दुलरवा के आंखी भिजगे उछाह मा। चंदन - बंदन पीयर चाउर के टीका लगाके इंटरव्यू बर पठोवय दुलरवा के गोसाइन हा अपन लइका ला। 

एनटीपीसी,भेल, बीएसपी,छ.ग.रा.वि मं अऊ बड़का- बड़का कल कारखाना मा गिस फारम भर के इंटरव्यू देवाये बर दुलरवा के बेटा तिहारू हा फेर ... ओहा तो दु नम्बर बर पछवा जावय। कोन जन ये दु नम्बर हा गिरहा कस कइसे झपागे हावय ते।

                दुलरवा तो एक नम्बर के बुता करे हावय जिनगी भर। जांगर टोरत मिहनत करे हावय तभे ठाढ़े होये के लइक बनिस। गरीबी के बीख ला पीयत- पीयत नीलकंठ बनगे फेर बीख नइ सिराइस। करजा हा तो बीख आवय अऊ नत्ता -  गोत्ता के करजा सौहत डोमी आवय। 

"जब ले ससरार के डेरउठी ला खुंदे हावव तबले करजा छुटत हावव । महु ला तो महल अटारी ,गाहना- गुरिया, गाड़ी- घोड़ा, के साध लागथे। आजकाल तो गांव कें मइनखे मन घला फोर व्हीलर कुदावत हावय अऊ तोला देख रेटही फटफटी ला चलावत हावस। "

धनेसरी दंदरत किहिस।

गोसाइन के ये भाखा । दुलरवा तरमरा जाथे।  काया मा केवास चुपर देहे जइसे । अंग- अंग मा अगिन बरसे लागिस। 

   दुलरवा ला आज नंगतेहे झिमझिमासी लागिस। मोबाइल मा सुनिस 

" इंजिनियरिंग के डिग्री झोके ले कुछु नइ होवे समधी महराज ! लइका हा कमाही तब घर चलही। आज तीन बच्छर होगे तिहारू ला डिग्री झोके फेर ढेला भर के बुता नइ करत हावय। इंजिनियर साहब हे कहिके फलदान करेन फेर ढोल तरी पोल निकलगे...। ओखर ले सुघ्घर तो नवां सगा हावय।  सरकारी आफिस मा चपरासी हावय । साहब मन ला पानी पियाथे फेर तुहर मन बरोबर लबारी तो नइ मारे । लबरा हो.. । नत्ता ला टोरत हावव । मोर बेटी के जिनगी मा अब झन आहू। सुभाव मा सिधवा गाय आवव फेर बेरा बखत मा बघवा बन जाथो। बने सुन ले रहा... गुर्रावत किहिस दुलरवा के होवइया समधी हा नत्ता ला टोरत धमकावत - चमकावत अऊ टू...टू...फोन कटगे। 

आज के दिन अब्बड़ पहार कस लागिस। लइका के बिहाव बर जोरे नत्ता टुटगे । गोसाइन घला आने के तुलना करत गाड़ी नइ ले सकत हस कहिके दस ठन सुना दिस। आन दिन घला काहत रहिथे फेर आज तो बीख कस लागिस।

                                ठुड़गा रूख मा कतको पानी रिको डार हरियाये नही । वइसना दुलरवा के  बेटा के जिनगी होगे ...नइ हरियाइस। सरकारी नोकरी नइ लगिस...।  परावेट मा एक्सपीरियंस मांगथे...। कहा निपोर के एक्सपीरियंस आही...? बुता काम कोनो नइ देवय तब। थक हार के किराना दुकान खोलिस उधारी मा बोजागे। पान ठेला खोलिस उही ला चुना लगगे। 

                    लइका हा अपन गोड़ मा ठाढ़े होके घर परवार ला चला सके । इंजिनियरिंग के पढ़ई करे हाबे तब प्लांट मा इंजिनियर बनके सेवा करे । अतकी तो साध अऊ सपना देखे रिहिस दुलरवा हा। फेर  शिक्षा के गुणवत्ता अइसना होगे हावय दुलरवा नइ जाने। बिमरहा बीजा ला बोबे तब बिमरहा पेड़ जागही  ? मोर लइका तो फोकला होगे , बोदरा होगे । जम्मो तो करेव बेटा ला सिरजाये बर। अपन उछाह के बली देयेव । मुचकासी ला बिसरागेव... अब का करव.. ? अपन परान ला दे देव साले ला ?  दुलरवा के अंतस मा अब्बड़ गरेरा उमड़त रिहिस.....। तरमरागे दुलरवा हा.... । आंखी लाल - पीयर, काया पसीना आये लागिस तरतर - तरतर ... । गोड़ हाथ कांपे लागिस हिरदय धड़कत रिहिस धड़धड़ - धड़धड़ जइसे कारखाना के मशीन के आर्मेचर घला बाजत रिहिस । बादर के गरजना कस बाड़गे मशीन के आरो धड़ -धड़ , धड़- धड़ ......... अऊ अब सब सुन होगे ... निचट सून ...। 

           लोहा वाला पथरा जेमा दराये तौन मा दुलरवा के लहू मिंझरगे। 

भीड़ जुरियाये लागिस । बनिहार मजदूर टेक्नीशियन अधिकारी जम्मो दउड़े लागिस। अलहन होगे अलहन ... आरो आये लागिस। कतको झन रोइस गायिस। कतको झन ढ़ाढस बंधाइस। फेर एक झन मइनखे कलेचुप रिहिस ओखर बक्का नइ फुटत रिहिस। अगास ला देख के किहिस 

"तोला ठट्ठा केहे रेहेव दुलरवा सिरतोन तेहा शार्टकट मा उतरगेस।''

छाती मा पथरा लदकीस । मन ला कठोर करिस अऊ दुलरवा के घर मा फोन करिस।

"भौजी  ! मेहा दुबे बोलत हावव आज प्लांट में अलहन होगे ....। दुलरवा ... बितगे......। हु हु हु....... ।''

दुबे आगू नइ गोठिया सकिस गोहार पार के रो डारिस। दुबे सुने रिहिस बेटा के जिनगी बनाये बर बाप अब्बड़ बेरा मरथे, अब्बड़ बेरा जिथे। फेर आज दुलरवा सबरदिन बर मरगे। मेहां ठट्ठा करे रेहेव मोर दुलरवा भाई...... कइसन अलहन होगे मोर दाऊ...! मोर भाई ...मोर संगवारी.. मोर दुलरवा... अऊ  तोर बेटा ....! तोर गोसाइन......?

दुबे अब कलप-कलप के रोवत हावय।


          

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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 पोखनलाल जायसवाल: 

दाई-ददा के कमई भरोसा जियत जिनगी हरहिंछा होथे। कोनो किसिम के संसो फिकर नइ व्यापय। जब चाहे, जिहाँ चाहे घुम फिर लेथे। फेर मनखे के जिनगी लोग लइका के आय ले अपन जिनगी नइ रहि जय। घुमई फिरई नून तेल लकड़ी के तिकड़ी म चुल्हा तरी चल देथे। संसो फिकर के गरहन लग जथे। कहानी अलहन के नायक दुलरवा के जिनगी घलव उतार चढ़ाव ले भरे हे। गाँव ले निकल के भेलई जाना अउ रोजी मँजूरी म ईमानदारी के परभूते प्लांट म नौकरी तक के यात्रा तय होथे। अउ शुरु होथे नवा यात्रा लइका बर अपन जिनगी ल होम दे के। जउन सरी दुनिया म सबो परानी बर लागू होथे। तभे तो चिरई चिरगुन मन फाँदा म फँस के मर जथे। मनखे घलव मया मोह ले कब बाँचे पाथे। माया के जंजाल म घानी के बइला कस पेराथे। सबो दाई ददा अपन लइका के जिनगी म सुख के बिरवा लगाय के उदिम करथे। इही तरा दुलरवा अपन लइका बर शिक्षा के बीज बोथे। जे सबो सुख के दुआरी म लटके तारा के चाबी होथे। फेर सबो तारा के चाबी के नंबर आने आने होथे। इही नंबर के फेर म दुलरवा ल अपन लइका के जिनगी अँधियार जनाथे।  कतको उदिम करथे कि बेटा के जिनगी म सुख के अँजोर बगरय। फेर कोन जनी का भाग आय के सबो अबिरथा हो जथे। चिरई मन सहीं दुलरवा घलव लइका के मुँह म चारा डारे के उदिम म अलहन कर डरथे। कहानी म जेन लगन अउ श्रम ले दुलरवा जिनगी के गाड़ी ल खींचत इहाँ लाय रहिस ओकर अंत अइसन करना बने नइ लागिस। हो सकत हे ए सोला आना सिरतोन घटना होही। मोर विचार ले साहित्यकार ल चाही कि समाज ल उत्थान के दिशा दे के उदिम करना चाही।

       कहानी म भिलाई स्टील प्लांट के भीषण हादसा के वर्णन बहुतेच सुग्घर हे। फेर कहानी हादसा ल बता भर देवत हे। एकर ले कहानी ल विस्तार दे के भर के बूता होय हे। हादसा के कारण खोजे के उदिम नइ हे अउ एकर आगू घलव एहर कहानी ले जुड़े हे अइसन म पाठक बर कहानी लमत भर हे। रहिस बबात दुलरवा के लइका के अनुकंपा के त रेगुलर कर्मचारी के संग अनहोनी होय ले आश्रित ल अनुकंपा मिलथे। सबो जानथे।

       ए कहानी ले एक ठन बात यहू निकल के आथे कि पढ़े लिखे ले नौकरी मिले के आस पाले बइठे नइ रहना चाही। सबो पढ़त हे सबो ल नौकरी मिलिच जही, यहू जरूरी नइ हे, अइसन म दूसर काम धंधा बर घलव तियार रहे के उदिम करे के चाही। तब कहूँ सफलता मिल पाही। छत्तीसगढ़ म स्थापित प्लांट म आने प्रदेश मन के पढ़े लिखे ल नौकरी मिलथे,... छत्तीसगढ़िया ल आने जनम धरे ल लागही। इहाँ भ्रस्टाचार के पोल खोले म कहानी सामर्थ नइ लगिस। या तो दुलरवा के लइका ल अतेक होशियार नइ बताना चाही जतेक बताय हे। दू नंबर बर पीछवाय लइका हरदम छूट कइसे जही थोकन विचारे के लगिस।

       कहानी के भाषा शैली अउ प्रवाह पाठक ल कोनो कोति भटकन नइ दय। पात्र मन के मुताबिक शब्द चयन अउ संवाद कहानी ल रोचक बनाथे। सबो पात्र मन ल सुग्घर ढंग ले गढ़े म चंद्रहास साहू जी सफल हें। शीर्षक के अनुरूप कहानी बड़ सुग्घर लिखाय हे। शीर्षक ल पढ़ के पाठक अनमान लगा सकत हे कि कोनो अलहन ल लेके कहानी लिखे गे होही, अउ उही अलहन ल जाने बर पढ़े बर ललचाही। कोनो रचना ल पढ़वाय म शीर्षक के बड़ भूमिका रहिथे। ए कहानी के शीर्षक सबो दृष्टि ले सही हे। कारुणिक/ दुःखांत  कहानी लिखत बेरा ए धियान रखे के रहिथे कि साधारण पाठक ऊप्पर कोनो निगेटिव संदेश हावी झन होवय। नइ तो कहानीकार के मिहनत ऊपर पानी फिर जथे। कोनो भी रचनाकार के मर्म तक पहुँच पाना पाठक बर आसान नइ राहय फेर एक बुधियार पाठक ले बड़का समीक्षक अउ कोनो नइ हो सकय। 

         अवइया बेरा म अउ बढ़िया कहानी पढ़े ल मिलय इही आशा के संग चंद्रहास साहूजी ल अलहन कहानी बर बहुत बहुत बधाई।


पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह पलारी

9977252202

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