Saturday 29 January 2022

वर्चुअल केनवासिंग*

 *वर्चुअल केनवासिंग*


लोकतंत्र में चुनाव खास करके हमर ये देश म विधानसभा और लोकसभा के निर्वाचन ला सबसे बड़े तिहार माने जाथे।ये लोकतंत्र के चुनावी तिहार ह बहुतेच खर्चीला होगे हावय। देश के खजाना ल दूनों हाथ ले जम के लुटे अउ लुटाए जाथे। प्रत्याशी मन तकों अनाप-शनाप खर्च करथें, तहाँ ले जेन जीत जथे वो ह जनतेच ल लूटके वोकर भरपाई करथे। चढ़े सरकारी करजा ल उतारे बर जनता उपर नाना प्रकार के टैक्स लगाए जाथे। कालाबाजारी अउ घूसखोरी दिन दूना रात चौगुना बाढ़े लागथे,काबर के राजनीतिक दल मन ल चंदा देवइया व्यापारी अउ  जनता के खून ल चुहक- चुहक के जोंक असन घोसघोस ले मोटाये अफसर मन के जुगाड़   घलो मढ़ाये ल परथे। मँहगाई ह बादर ल अमरे ल धर लेथे।

 ये चुनाव रूपी तिहार के खराबी ल गिनाबे त  गिनती सिरा जही फेर वो खतम नइ होही। समे-समे म निर्वाचन आयोग हा जतका वोकर टाँग पूर  सकथे ,बेचारा ह सुधारे के वोतका भरपूर कोशिश करे हे। ई वी एम के उपयोग, प्रत्याशी बर खर्च के लिमिट,  भड़काऊ भाषण म प्रतिबंध आदि ये कोशिश म शामिल हें। ये निर्वाचन आयोग ह जादा टांँग फइलाये के कोशिश करथे त दलदल म धँसे जम्मों दल मन केकरा सहीं जुरियाकें वोकर टाँग ल इँच के मुँड़भरसा गिरा देथें। 

       ये चुनाव हा संख्या बल जेला बहुमत कहे जाथे के अटपटा खेल आय जेमा सरकार बनथे अउ बिगड़थे। राजनीति में जतका छल- प्रपंच देखे म आथे वोकर कारण इही खेल हर आय। ये छल-छंदी खेल ले निपटे बर दल बदल कानून बने हे ओहू म छेद हे कतको दल बदलू मन बाँबी सहीं छलंड के बुलक देथें। कुल मिलाके स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव बर जतका कानून बने हे वो ह ऊँट के मुँह म जीरा बरोबर हे।

       अभी के समे म कोरोना महामारी के सेती अउ वोकर अलावा रोज-रोज के मनमाँड़े सभा-रैली, रोड जाम, चिल्ल-पों, झगरा-लड़ई ल देखके आयोग ह बड़े-बड़े सभा-रैली म रोंक लगाके , वर्चुअल केनवासिंग के रसता निकाले हे।एक प्रकार ले सोचे जाय त ये ह मतदाता अउ प्रत्याशी दूनों बर सुभिता अउ फायदा के सौदा हे। काबर के प्रत्याशी ह बेतहाशा खर्च ले बाँच  सकथे, त मतदाता ह रात दिन के हलकानी ले निजात पा सकथे। मतदाता ल जेने पाथे तेने वोट बर हला -हला के अधमरा कर डरथें। वोला झूठ बोलके  सबझन ल हव कहे ल परथे।  नैतिक पतन के श्री गणेश अइसने म होथे जेन दारु -मुर्गा ,रुपिया- पइसा के लालच रूपी गहिर गड्ढा म ढकेल देथे। मतदाता ह जात-पात, धरम के चक्कर म पड़के  भ्रमित हो जथे अउ सही निर्णय ले म असमर्थ हो जथे। 

        वर्चुअल केनवासिंग ह मतदाता ल अइसन बुराई ले बँचा सकथे ,काबर के प्रत्याशी अउ वोकर गुर्गा मन के सीधा संपर्क मतदाता ले नइ हो पाही। लालच देके वोट खरीदे म रोक लगही।ये वर्चुअल केनवासिंग के कहूँ सिरतो म फायदा होही त हमेशा बर खच्चित लागू कर देना चाही।

फेर कतको झन के कहना हे के चाहे कान ल एती ले  पकड़ चाहे वोती ले पकड़ बात एके हे। वर्चुअल केनवान सिंग के नाम म एक कोती मोबाइल म मैसेज भेज-भेज के राजनीतिक दल मन, प्रत्याशी अउ वोकर आदमी मन मतदाता के  भेजा ल खाबे करहीं ,वोकर जीना हराम करबे करहीं। दूसर कोती जिंकर करा मोबाइल नइ हेअउ मोबाइल हे त टावर नइहे, टावर हे त बिजली के पावर नइये, वो मन कइसे करहीं।ऊँकर तक  प्रत्याशी मन के अपील ह पहुँचबे नइ करही।

    जहाँ तक मतदाता ले प्रत्यक्ष सम्पर्क नइ होये के बात हे त, अइसे भी वर्चुअल केनवासिंग म मतदाता सो पाँच -दस झन ल मिले के छूट हाबयच न ? ये मन पाँच के पँदरा करके रइहीं। पाँचे झन मन पिचकाट करे बर नइ छोड़यँ। ये मन लफंदर करके रइहीं। कुकुर के टेड़गा पूछी कभू सोझ हो सकथे का ?कभू नइ हो सकय।

   बहुत झन मन ये वर्चुअल केनवासिंग  जल्दी से जल्दी खतम हो जावय कहिके बिनती बिनोवत हें। काबर के रैली म झंडा उठाके नारा लगाये के कतको गरीब मन ल मजदूरी मिलय तेनो बंद होगे। झंडा, पोस्टर, बैनर बनइया मन के धंधा ठप्प होगे हे। रेहड़ी वाला मन रेड़हाय ल धर ले हें। छुटभइया नेता मन के खर्चा-पानी चलना मुश्किल होगे हे। संझाकुन के ठंडा चाय के जुगाड़ तको नइ हो पावत हे।

 सोचे ल परत हे के कोनो बीच के रसता निकल सकथे का?


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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