Thursday 13 January 2022

छत्तीसगढ़ी लोक कला के साक्षात मूर्ति ,चंदैनी गोंदा के संस्थापक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी*


 

*छत्तीसगढ़ी लोक कला के साक्षात मूर्ति ,चंदैनी गोंदा के संस्थापक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी*

-------------------------

ये संसार म ,हर युग म कुछ मनखे  अपन उज्जर कर्म के बलबूता म अइसे अमर हो जथे के वोला कोनो आमने-देखे राहय के झन देखे राहय, कभू मिले राहय के झन मिले राहय ,चाहे फोटू भर म देखे राहय-- वोकर नाम लेतेच या फेर वोकर काम के जिकर करतेच ----वोकर चेहरा नजरे नजर मा झूले ल धर लेथे।हमर जतका महामानव हें सब इही दर्जा म आथें।

        छत्तीसगढ़ी लोक कला अउ संस्कृति के क्षेत्र म अइसने एक नाम कलामूर्ति, लोक कला मंच 'चंदैनी गोंदा ' के संस्थापक स्व०दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के आथे। छत्तीसगढ़ बस म नहीं,पूरा भारत देश म अइसे कोन कला प्रेमी अउ लोक साहित्यकार नइ होही जेन दाऊ जी ल नइ जानत होही ? काबर के उन जेन 'चंदैनी गोंदा' सिरजाये रहिन वो तो सँउहे छत्तीसगढ़ी लोक कला के जियत-जागत रूप रहिस। 'चँदैनी गोंदा' ल जेन-देखय तेन वोकर दैवीय रूप मा मोहा जय, वोकर सुगंध म मदहोश जय। 36गढ़ के  खाँटी 63 कलाकार मन के अदभुत प्रस्तुति जब डा० सुदेश देशमुख के  उद्घोषणा के शब्द अउ खुमान संगीत म बँधाये गिरजा शंकर सिंह जी के बेंजो,महेश ठाकुर जी के तबला अउ संतोष टांक जी के बँसुरी ले उठे स्वर लहरी के संग चालू होवय त मंच के सामने  दू-चार घंटा ले जादा समे ले जगा पोगराये हजारों दर्शक सरी रात जमें राहयँ।

      स्व० दाऊ रामचंद्र जी के चँदैनी गोंदा के महिमा के जतका बखान करे जाय वो कमेच होही ।काबर के जेन आँखी ह-- नयनाभिराम नृत्य मन ला , गउरा-गउरी ,सुवा नृत्य, करमा नृत्य, राउत नृत्य,पंथी नृत्य के झाँकी मन ल  , दाऊ जी के संग शिवकुमार दीपक जी, भैय्या लाल हेड़ऊ जी, सुमन जी, दीदी शैलजा ठाकुर जी के अभिनय ल ---देखे हे, वो गोठिया नइ सकय। जेन कान ह छत्तीसगढ़िया रस ले सराबोर देशभक्ति, प्रेम, विरह,करुणा,दुख ,उत्साह-उमंग,हाँसी ,क्रांति, अपन भाखा, अपन जन्मभूमि बर त्याग-समर्पण प्रेम जइसे नाना भाव के--जम्मों रस के, माटी म गुँथाये लक्ष्मण मस्तुरिया जी, रविशंकर शुक्ल जी, हेड़ऊ जी, केदार यादव जी,अनुराग ठाकुर जी,संगीता चौबे जी, कविता हिरकने (वासनिक) जी, साधना यादव जी, लीना जी, किस्मत बाई जी आदि के गाये गुत्तुर गीत मन ल--जेला सुनके हिरदे झूम जय--तेला बता नइ सकय काबर के जेन बता सकथे वो मुख तको ह आनंदविभोर होके मौन हो जथे।

     चँदैनी गोंदा के संबंध म निर्विवाद रूप ले कहे जा सकथे के लोक कला अउ साहित्य के अइसन मेल अउ कहूँ देखे म नइ आये हे। साहित्य के कद्रदान स्व० दाऊ जी ह जेन खुदे सुलझे साहित्यकार रहिन हें--वो समे के सुप्रसिद्ध कवि साहित्यकार --जनकवि कोदूराम 'दलित' जी, संत कवि पवन दीवान जी, रामेश्वर वैष्णव जी, रविशंकर शुक्ल जी, नारायण लाल परमार जी, रामरतन सारथी जी, भगवती सेन जी, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र जी, हेमनाथ यदु जी, लक्ष्मण मस्तुरिया जी आदि मन के लिखे गीत मन ल चंदैनी गोंदा म स्थान दिस। अमर गायक स्व० लक्ष्मण मस्तुरिया जी ल तो चंदैनी गोंदा के मुख्य गीतकार माने जाथे।

        स्व दाऊ देशमुख जी ह कलापारखी ,कलाकार के संग दुर्ग जिला के गाँव बघेरा के किसान तको रहिंन।उन किसान के दुख -दर्द अभाव, शोषण, तिहार-बार, सुख , उमंग अउ आशा-विश्वास ल बहुत नजदीक ले जानत रहिन तेकर छाप चँदैनी गोंदा म साफ-साफ दिखथे। विद्वान मन तो चंदैनी गोंदा ल एक किसान के जन्म ले लेके मृत्यु तक के गाथा कहिथें। मोर खेती खार रुमझुम---, मोर गाँव के पनिहारिन मन---, छुनुर छुनुर पैरी बाजय---,फिटिक अँजोरी निर्मल छँइहा---,तोर धरती  तोर माटी रे भइया -- फागुन महराज पहुना ---जइसे कालजयी गीत मन में अनुभव होथे।

        स्व० दाऊ रामचंद्र देशमुख जी गाँधीवादी विचार धारा के कर्मठ मनखे रहिन।देशप्रेम उँकर रग रग म पोहे रहिस। उनकर ससुर जी प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वदृष्टा परमादरणीय स्व० खूबचंद बघेल जी के विचार धारा के गहरा प्रभाव रहिस। व्यक्ति के स्वभाव अउ विचार के प्रभाव वोकर सृजन म तको झलकथे। चंदैनी गोंदा के अमर गीत--धरती के अँगना म चँदैनी गोंदा फूलगे---, आगे सुराजी के दिन रे संगी----, मोर संग चलव रे----, मँय छत्तीसगढ़िया अँव गा-- आदि एकर प्रमाण हे।

             श्रृंगार रस ल रसराज कहे जाथे। चँदैनी गोंदा म प्रेम अउ विरह के जइसन श्रेष्ठ ,उज्जर रूप के दर्शन होथे वो अब खोजे म नइ मिलय। मँगनी म माँगे मया नइ मिलय रे----, तैं बिलासपुरहिन---,पता ले जा रे पता दे जा रे----, ले चल रे ले चल मोटर वाला---, धनी बिन जग लागे सुन्ना --- तोला देखे रहेंव न---अइसने सैंकड़ो गीत मन ल भला कोन भुला सकथे। 

      एक बात अउ हे --चँदैनी गोंदा के प्रदर्शन ल सफल बनाये म, गीत मन ल दर्शक मन तक बिना बाधा के पहुँचाये बर  बहादुर सिंह ठाकुर जी स्वर संगम सांउड सिस्टम दुर्ग वाले के अमिट योगदान रहिस।

      स्व० दाऊ जी ह बहुतेच भावुक अउ सरल हिरदे के मनखे रहिन। उनकर धर्मपत्नी श्रीमती राधाबाई (सुपुत्री स्व ० खूबचंद बघेल जी ) तको दाऊजी जइनेच ममता मयी अउ सेवाभावी रहिन। बघेरा म महिनों-महिनों ले ठहर के रिहर्सल करइयाँ जम्मों  कलाकार मन के खाना-पीना , रहना -बसना ,चहा-पानी के देख रेख, व्यवस्था उन खुदे करयँ। 

    चँदैनी गोंदा ल अपन बचपन ले बहुत नजदीक ले जानने वाला दुर्ग निवासी गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी(सेवा निवृत्त बैंक अधिकारी, संस्थापक छंद के छ छत्तीसगढ़) ह जिक्र करे हें कि कलाकार मन के संग म गेये लइका मन ल  अपन रसोई म बइठार के ममतामयी श्री मती राधाबाई ( स्व०दाऊ जी के धर्मपत्नी) ह सबले पहिली अपन हाथ ले भोजन परोस के खवावय। कलाकार मन बर समे समे म चाय पानी, नास्ता बनावय।

           मूल चंदैनी गोंदा के भले विसर्जन होगे हे फेर एकर सुंगध कोनो न कोनो रूप म सदा बगरत रइही।  छत्तीसगढ़ म छोटे-छोटे कला मंडली, रमायन मंडली, गम्मत, आजकल के सांस्कृतिक कार्यक्रम, कोनो भी लोक मंडली , लोकपर्व के आयोजन अइसे नइ दिखय जेमा चंदैनी गोंदा अउ खुमान संगीत के प्रभाव नइ दिखत होही। 

        चँदैनी गोंदा ह अद्भुत तो रहिबे करिस वोकर लाखों-लाख देखइया मन तकों जुनूनी रहिंन।ये संबंध म एक छोटकुन उदाहरण के रूप म हथबंद (बलौदाबाजार) निवासी स्व  गोपाल सिंह ठाकुर जी  अउ पूरन लाल ठाकुर (दूनों सगे भाई) के रखना चाहहूँ जे मन चँदैनी गोंदा के अधिकांश प्रस्तुति ल मंच के आगूच म जमीन म बइठके देखें हे। सन् 1978---80 के बीच कोनो साल आय महूँ ल जब मैं लइका रहेंव त मोर कलाप्रेमी ददा ह साइकिल म बइठा के चंदैनी गोंदा देखाये बर नेवरा तिल्दा लेगे रहिस।वो समे के जादा कुछ सुरता नइये फेर--मैं छत्तीसगढ़िया अँव ग गीत अउ नाँगर धरके निकले कलाकार आजो ले सुरता हे।

          चँदैनी गोंदा जइसे अमर लोककला मंच के सर्जक कलावंत स्व० दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल कोटि कोटि नमन हे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment