Saturday 29 January 2022

नान्हें कहिनी वो कुरिया

 नान्हें कहिनी

           वो कुरिया

           

            "दाई दिखत नइये कोनो डहर गे हवे का?गांव गवतरी?" रमलू के मितान ह मंगलू ला पूछिस।

          "हव गा मितान, वो का हे कि हमर घर -कुरिया मन ह छोटकन परत रहिस।दाई बर घर म जघा नई पुरत रहिस त घरवाली अउ लईका मन  कहिन त दाई ल  हमन वृद्धा आश्रम म भेज देहन।"रमलू कहिस।

         "अरे!फेर तुंहर घर म तो तीन ठीन कुरिया हे। एक ठी कुरिया म तुमन दुनों गोसाईं-गोसईन रहिथो।एक ठी म लईका मन अउ एक ठी म तो दाई ह रहत रहिस।त अब का होगे जी?ये कइसन कर डरेव तुमन?" मंगलू ह गुस्साए कस कहिस।

         हां मितान, का करबे।अब तीसर कुरिया म हमर घर के कुकुर झबरा ह रहत हे।वो का हे कि झबरा कुकुर बिन हमर लईका मन नी रह सके।त दाई ल वृद्धा आश्रम मजबूरी म भेजना  पर गे।" रमलू ह  झेंपत  कहिस।

             डॉ. शैल चन्द्रा

            रावण भाठा, नगरी

            जिला-धमतरी

            छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment