नान्हें कहिनी
वो कुरिया
"दाई दिखत नइये कोनो डहर गे हवे का?गांव गवतरी?" रमलू के मितान ह मंगलू ला पूछिस।
"हव गा मितान, वो का हे कि हमर घर -कुरिया मन ह छोटकन परत रहिस।दाई बर घर म जघा नई पुरत रहिस त घरवाली अउ लईका मन कहिन त दाई ल हमन वृद्धा आश्रम म भेज देहन।"रमलू कहिस।
"अरे!फेर तुंहर घर म तो तीन ठीन कुरिया हे। एक ठी कुरिया म तुमन दुनों गोसाईं-गोसईन रहिथो।एक ठी म लईका मन अउ एक ठी म तो दाई ह रहत रहिस।त अब का होगे जी?ये कइसन कर डरेव तुमन?" मंगलू ह गुस्साए कस कहिस।
हां मितान, का करबे।अब तीसर कुरिया म हमर घर के कुकुर झबरा ह रहत हे।वो का हे कि झबरा कुकुर बिन हमर लईका मन नी रह सके।त दाई ल वृद्धा आश्रम मजबूरी म भेजना पर गे।" रमलू ह झेंपत कहिस।
डॉ. शैल चन्द्रा
रावण भाठा, नगरी
जिला-धमतरी
छत्तीसगढ़
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