Sunday 16 January 2022

छेरछेरा विशेष- दू रुपया


 

दु रुपिया 


                                 चन्द्रहास साहू

                           मो  8120578897


             बस ठेसन के ठेला मा  पेपर पढ़त- पढ़त असकट लाग गे आज । कोनो ढंग के एको खबर नइ हावय । मरनी- हरनी  के खबर ले शुरू होथे अऊ उही मा खतम । आज एक परिवार हा रेलवे ठेसन मा....? कोन जन का खबर आये ते  ? आगू पढ़े ला नइ भाइस। सरकार गरीबी हटाये बर अपन विकास मॉडल के विज्ञापन देये रिहिस। ससन भर देखेव अब्बड़ सुघ्घर रिहिस मॉडल हा। अऊ सुघ्घर नारा घला लिखाये रिहिस।

"अब सब उछाह मा रही ..! भगा जाही गरीबी हा ।'' 

मेहां केहेव पानवाला ला।

"गरीब करा कुछु राहय कि नही ..फेर नारा सबरदिन रही साहब गरीबी हटाओ के । ये नारा हा आजादी के सत्तर बच्छर पहिली ले आवत हावय अऊ मोला लागथे अवइया बेरा..... ? नारा भलुक बदल जाथे फेर गरीबी...? गरीबी तो अंगद के पांव आवय।''

पान वाला किहिस।

 "फेर हमर जागरूक सरकार के ये मॉडल मा गरीबी पल्ला भाग जाही अइसे लागथे।''

मेहां केहेव। अब तिवारी जी घला आ गे रिहिस। हमर गोठ मा ओखर गोठ मिंझरगे ।

"ओखरे सेती तो भइया ! शहर के सुघराई बढ़ाना हावय तब जम्मो गरीब मन ला हटा देना चाहिए...।''

"हटा देना..? ये का गोठ आय जकहा बरोबर ?''

 तिवारी जी के गोठ सुनके अकचका के केहेव।

"हव भई मारे मा का पाप..? धरती के बोझ तो आवय गरीब मन।''

"गलत गोठ आय येहा तिवारी जी! मानवता अऊ संवेदना नाव के घला कोनो जिनिस होथे। चिरई - चिरगुन,कुकुर - माकर, किरा -मकोरा जम्मो ला जिये के अधिकार हावय तब गरीब मन ला काबर नइ रही..?''

तिवारी जी के आंखी ललियागे अऊ सिकल लाल होगे मोर गोठ सुनके। पानवाला घला बिरोध करिस तिवारी के गोठ के।

" हाव जम्मो कोई ला जीये के अधिकार हाबे भई । फेर कभु - कभु अइसने लागथे तेला केहेव ।''

 तिवारी किहिस मुरझावत ।

"अइसन बिचार घला पबित्तर नइ हे तिवारी जी। कभु झन कहिबे ।''

समझायेव ।

हमन दुनो कोई बस ठेसन मा ठाड़े होके गोठियावत हावन। एक झन माइलोगिन आइस कोन जन के दिन के नइ नहाए हावय ते .? संग मा तीन झन तारा - सिरा  लइका । घोंघटाहा ओन्हा, हाथ मा कटोरा धरे। दु चार ठन सिक्का ला उछाल के खनखनावत हावय खुनर - खुनर।

"दु चार रुपिया दे दे साहेब ! लइका मन लांघन हावय।'' 

भिखारिन के गोठ ला अनसुना कर दिस तिवारी जी हा। लइका मन मोर करा झुम गे अब। 

जतका खाहु तुमन, खवाहु ।... फेर पइसा नइ देवव। मेहा किरिया खा डारे हव । पाछु दरी  बड़का मंदिर मा मंगइया मन ला जइसे पइसा देयेव वइसने झोकिस अऊ मंदिर के पाछु कोती जाके दारू अऊ गांजा पीयत रिहिस। 

"हे भगवान...? ''

भिखारिन अऊ जम्मो लइका ला बरा अऊ समोसा के पुड़िया देयेव। झटकुन खा डारिस। पुड़िया ला डस्टबिन मा डारिस अऊ अब चाहा पीयत हावय। तिवारी जी घला ठेसन के फर्श मा पान पीक ला पूरक के विश्व के छप्पा छाप डारे रिहिस। 

"कहा जावत हस तिवारी जी ?''

"रायपुर मंत्रालय जाए बर निकले रेहेव भइया फेर साहब मन फैमिली टूर मा हमरे कोती आवत हावय। अगोरत हावव ओमन ला। महराज मइनखे आवव भइया ! दु चार झन ला गंगा असनान्द करवाना हावय। ट्रांसफर के सीजन हावय अभी। एसी हाल के फ्रंट टेबल ला बुक कर दे हावव मेहा।''

तिवारी जी मुचकावत किहिस। 

"मोर गंगा हा माइके गे रिहिस उही ला अगोरत हव ।''

दुनो कोई ठठाके हास डारेन।

छेरीक छेरा छेर मरकनीन छेर छेरा ...।

माई कोठी के धान ला हेर हेरा... ।।

लइका जवनहा मनके टोली गली खोर मा किंजरत हावय । कतको झन मन  बाजा मोहरी बजावत छेरछेरा मांगत हाबे , तब कतको झन मन झोला टुकनी चुंगड़ी धरके । कोनो लइका बटकी गंजी ला धर के छेरछेरा मांगत हावय। रमायेन  वाला मन भक्ति गीत , राउत मन दोहा पार के ,पंथी दल मन बाबाजी ला सुमरत , लीला रामसत्ता वाला मन झांकी निकाल के , करमा दल गा के अऊ डंडा नाचा वाला मन नाचत हु..कु...हु..कुहहू  कुहकी मारत रिहिस। जम्मो , अब्बड़ सुघ्घर बरन गांव के। जम्मो के मन गमकत हावय अऊ गांव गदबदावत हावय। लइका मन रोवत हे , गावत हे । तब कोनो झगरा घला होवत हे। अन्न लछमी कोठी मा जतना गे हावय अऊ बाचल - खोचल हा ससुरार जाए के तियारी करत हावय मंडी के रस्दा मा। गांव मगन हे अऊ शहर घला माते हे उछाह मा ।

बड़का चमचमावत गाड़ी फाइव स्टार होटल के आगू मा ठाड़े होगे। तिवारी जी के सिकल मा उछाह हमागे।

 छेरिकछेरा छेर मरकनीन छेरछेरा..।

माई कोठी के धान ला हेरहेरा ...। 

लइका जवनहा डोकरा डोकरी छेरका मन अब गाड़ी वाला ला मांगत हावय छेरछेरा। 

"व्हाट आर यू डूइंग बेगर पीपल ? छत्तीसगढ़ में विश्व की बेहतरीन आयरन ओर मिलती है, सुना था। खनिज संपदा से सम्पन्न लेकिन यहां इतने भिखारी ...ओ माई गॉड ।''

आधुनिकता के चद्दर ओढ़े साहब के सारी किहिस। साहब घला पंदोली देवत रिहिस।

साहब अऊ परिवार वाला मन गाड़ी ले उतर गे रिहिस। तीर मा ठाड़े डोकरा किहिस।

    "भीख नइ मांगत हावन साहब ! छेरछेरा मांगत हावन। येहा हमर राज के पोठ लोकपरब आय।'' 

"कोई लोक परब वरब नही है। कटोरा लेकर हाथ फैलाकर  मांगना भीख ही है।'' 

"मांगना ही भीख आवय तब तोर दाई ददा हा कुछु जिनिस मांगही तहु भीख आय..? गोसाइन  स्नो पावडर बर पइसा मांगही तहु भीख आय ..? लइका मन खेल खेलउना कापी किताब बिसाये बर पइसा मांगही तहु हा भीख आय साहब.. ।  भिखारी तो .. तुमन सादा ओन्हा पहिरइया आवव साहब ! हमर खनिज संपदा बर हाथ लमात रहिथो।''

तिवारी जी देखते रहिगे ओखर ले आगू सियान हा ओखर साहेब ला जोहार दिस। 

साहब सुकुरदुम होगे।..मुक्का आरुग मुक्का।

" ये मंदहा - गंजहा संग झन उलझ सर जी ! दु कौड़ी के ...येमन । ''

तिवारी जी डंडासरन होवत किहिस।

फ्रेंच फ्राई, पोटेटो ट्विस्टर, पिज़्ज़ा,बर्गर  मन्चूरियन अऊ सलाद संग जीरा राइस। टेबल साज गे रिहिस। साहेब के सास ससुर गोसाइन सारी अऊ लइका पिचका जम्मो झड़कत हावय। तिवारी जी रिसेप्शन मा बइठ के ललचावत हावय। टीवी मा देखे तब ललचा जावय । ये तो लाइव टेलीकास्ट हावय । कइसे बिहनिया खपुर्री रोटी ला पानी पी पी के, अटेस के खाये रिहिस।

"ठीक है तिवारी जी ! बढ़िया स्वादिष्ट भोजन करवाये। हमलोग चलते है। आओ रायपुर कभी..।''

"जी सर!'' 

पांच बेरा जी सर कहि डारिस।

"अच्छा ! रायपुर आओगे तब यहां का विश्व प्रसिद्ध नगरी दुबराज और कड़कनाथ मुर्गा लेकर आना बहुत नाम सुना हूं।''

"जी सर!

 जम्मो कोई सीढ़ी उतर गे अऊ गाड़ी कोती चल दिस। ससन भर देखिस आधा छोड़े पिज़्ज़ा बर्गर कोल्डड्रिंक जीरा राइस पनीर ला। जम्मो ला डस्टबीन मा डारत हावय बाई हा। देखे लागिस मुचकावत साहब ला , हासत गोसाइन, दांत खोटत सास- ससुर, खिलखिलावत लइका लोग  अऊ बाब कटिंग हेयर स्टाइल वाली  नान्हे ओन्हा पहिरे पीठ उघरा वाली सारी ला..। 

चार हजार चार सौ तिरालिस रुपिया मात्र।

"अई.... ''

तिवारी जी के मुहु उघरा होगे। 

"एक ठन टेबल के ...।''

हाव तिवारी जी होटल मैनेजर किहिस अऊ तिवारी हा पइसा पटाइस। अपन गोसाइन ला धन्यवाद दिस लइका के कापी किताब अऊ किराना बर लिस्ट संग पइसा देये रिहिस बिहनिया ।

तिवारी जी दउड़त खाल्हे आगे अब।आखरी दरी जोहार भेट करना चाहिस फेर गाड़ी आगू कोती रेंग दिस। ...अऊ थोकिन दुरिहा मा ठाड़े होइस तब तिवारी जी के सिकल दमके लागिस। अब धन्यवाद कहिके हाथ मिलाही साहब हा। मन गमकत रिहिस।

"अरे तिवारी जी ! हम सब को भर पेट खाना खिला दिए और इस टॉमी को..? इनके लिए भी बिस्किट लेकर आ जाओ।

"जी सर ।''

तिवारी दुकान ले बिसा के दिस।

"अच्छा ठीक है। अब चलते है ...ओ नगरी दुबराज और कड़कनाथ को याद रखना...जब भी आओगे तब.... ।''

 गाड़ी अब भुर्र  ...होगे। जम्मो कोई चल दिस। तिवारी जी कठवा बनगे रिहिस। फेर मने मन अब्बड़ होले पढ़ डारे रिहिस। 

छेरिकछेरा छेर मरकनीन छेरछेरा..।

माई कोठी के धान ला हेरहेरा ...। 

जवनहा के आरो सुनके सुध मा आइस। 

"चल भाग बे..! अतका बड़का सांगर-मोंगर होके लइका मन बरोबर छेरछेरा मांगत हावस।''

"का करबे महराज..? बारो महीना तुमन मांगथो। आज के दिन हमन बावहन महराज बन के  मांग लेथन।''

"बने ठोसरा मारथस रे नानजात ।'' 

तिवारी जी हांसत रिहिस बनावटी हांसी। डेरी खीसा ले सौ पांच सौ के गड्डी निकालिस। ससन भर देखिस अऊ फेर खीसा मा डार दिस। जेवनी खीसा ले सौ पचास के दु चार ठन नोट निकालिस अऊ..फेर धर लिस। अब पाछु खीसा ले सिक्का निकालत हावय।  हथेली मा मड़ाइस अऊ अंगरी ले निमारे लागिस- दस पांच दु एक..। ..अऊ अब दु के सिक्का ला अल्थी - कल्थी करके देखिस अऊ जवनहा ला दे दिस। 

"धर रे ये दु रुपिया ला। दु रुपिया के पुरती हावस तेहां।''

"जय होवय महराज तोर । लइका मन दुधे खाय दुधे अचोवय । तोर गोड़ मा कांटा झन गड़े।'' जवनहा असीस दिस।

छेरीक छेरा...। आरो आय लागिस।

जवनहा आने कोती रेंग दिस अब। मोरो गोसाइन के बस आ गे रिहिस। बेग मन ला कन्डेक्टर उतारत रिहिस। 

"झटकुन नइ आवस । बेग मन ला उतारे ला लाग..। आरुग दु रुपिया के पुरती घला नइ होवस कभू -कभू।''

गोसाइन के मीठ गोठ आवय।

 फटफटी मा बइठारेव अऊ घर कोती जावत हव गुनत - गुनत दु रुपिया के पुरती कोन आय...?

       -------//-------//--------//------



चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

No comments:

Post a Comment