नक्सलवाद के भटकाव ल उजागर करत उपन्यास
अंधियारी रात म अंजोर के आस हे "
उवत सुरुज के अगोरा "
उपन्यास - उवत सुरुज के अगोरा
उपन्यासकार - डा. विनोद कुमार वर्मा
समीक्षक - ओमप्रकाश साहू "अंकुर"
नक्सलवाद एक राष्ट्रीय समस्या हरे। निरंकुश शासन ले मुक्ति अउ शोषित, पीड़ित मन ल उंकर हक दिलाय खातिर नक्सलवाद आंदोलन के जनम होइस। रूस म लेनिन ह ये आंदोलन के जनमदाता हरे। पर रूस म येकर बाद गृह युद्ध चालू होगे मतलब रूस म नक्सलवाद फेल होगे। कारण जउन भी रिहिस होही। हमर भारत के बात करथन त आज ले 58 बछर पहिली चारू मजूमदार अउ कानू सान्याल ह ये आंदोलन ल चालू करिन। ये नक्सलवाद विचारधारा धीरे ले पं. बंगाल के संगे संग बिहार,झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना ,महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ सहित आने राज्य म अपन पांव पसार लिस। हिंसक रसदा ल अपनाके शोषित, पीड़ित मन के हक बर लड़े के उद्देश्य ले चालू होय ये आंदोलन के अब दसा अउ दिसा ह बदल गे हावय। इही बात ल लेके एक बढ़िया उपन्यास के सृजन करे हावय व्याकरणविद्, संपादक, कहानीकार डा. विनोद कुमार वर्मा जी ह जेकर शीर्षक हावय-" उवत सुरूज के अगोरा।"
हमर छत्तीसगढ ह अपन कृषि अउ ऋषि संस्कृति बर जाने जाथे। छत्तीसगढ के सोर शांति अउ भाईचारा के सेति हावय। छत्तीसगढ़ म सद्भाव अउ सुमता के दीया जलथे। पर छत्तीसगढ़ म नक्सलवाद के कारन राष्ट्रीय स्तर म येकर पहचान नक्सली राज्य के रूप म होथे। बस्तर इलाका जिहां घोर जंगल हे अउ भोला- भाला आदिवासी मन निवासरत हे उहां ये समस्या ह सुरसा सहिक अपन मुंहू फइला के हजारों मन के जिनगी ल लीलत हे। नक्सलवाद के कारण वो क्षेत्र के चहुंमुखी विकास घलो नइ
हो पाथे। सड़क, स्वास्थ्य,शिक्षा, बिजली जइसे जरूरी चीज खातिर तरसत हे आदिवासी मन। ये सबो समस्या के जड़ हरे नक्सलवाद। ये मन विकास बर रोड़ा अटकाथे। त इही बात ल उजागर करथे उपन्यास "उवत सुरूज के अगोरा।" येहा कहानी "अग्नि संस्कार'" के विस्तारित रूप हरे।
उपन्यासकार ह नारी पात्र डा. निर्मला चौधरी के माध्यम ले उपन्यास ल आगू बढ़ाथे जउन ह वो पत्रकार मन ले मिले खातिर बस म सफर करत जगदलपुर जावत हावय जउन मन अपहृत पुलिस मन ल छोड़ाय बर नक्सली अउ सरकार के बीच समझौता गोठबात करे के पेशकश करे रिहिन। बिलासपुर के रहवइया 23 बरस के मोटियारी डा.निर्मला के पोस्टिंग डीकेएस हास्पिटल रायपुर म हावय जेन ह रामकृष्ण केयर हास्पिटल म अटैच हावय। वोहा नक्सली घटना म घायल जवान मन के देख रेख करथे अउ हर रोज के रिपोर्ट सासन ल भेजथे। वोकर महतारी ह गृहिणी हे अउ बाबूजी ह किसानी करथे। निर्मला अपन दाई -ददा के एक्केझन बेटी आय।वोहा नानपन ले पढ़ई म हुसियार रिहिन। नवोदय स्कूल म पढ़ें के बाद रायपुर मेडिकल कॉलेज ले एमबीबीएस के पढ़ाई करिस।
निर्मला के सहपाठी झिंटूराम जउन ह हवलदार हे वोला नक्सली मन सुकमा के बजार ले उठा के ले गे हावय। झिंटू राम के कंधा म गोली लगे हावय।निर्मला अपन नवोदय विद्यालय के संगवारी झिंटू राम ल नक्सली मन ले छुड़ाय के उदिम खातिर घोर अंधियारी रतिहा म बस म
केसकाल घाटी डहर ले गुजरत हावय। ये जगह कहानीकार ह केसकाल घाटी के हबहू वर्णन करे हावय। इहां निर्मला ल नारी सशक्तिकरण के प्रतीक के रुप म दिखाय गे हावय। । अपन नानपन के संगवारी झिंटराम ल बचाय खातिर कत्तिक खतरा मोल लेके एक्के झन घोर नक्सलाइड क्षेत्र म सफर करत हावय जउन ह वोकर अब्बड़ साहस ल दरसाथे। वोकर निश्छल प्रेम के दरसन होथे। निर्मला कहिथे -" हे भगवान! नक्सली मन ले झिंटू राम के रक्षा करबे।भले मोर जान ले!तोर घर म देर हे फेर अंधेर तो नइ हे! इहां उपन्यासकार ह एक नारी के प्रेम, त्याग अउ संघर्ष के सुघ्घर चित्रण करे हावय।
बस म सफर करत समय निर्मला के भेंट उपन्यास के मुख्य पात्र कामरेड बालेन्द्रु से होथे। निर्मला ह कामरेड बालेन्द्रु अउ सरकार के माध्यम ले हवलदार झिंटूराम अउ वोकर एक संगवारी ल नक्सली मन ले छोड़वाय म सफल होथे।
उपन्यास के नायक कामरेड बालेन्द्रु कम्युनिस्ट विचारधारा के रस्दा म चलत हावय। येहा आदिवासी मन म अब्बड़ लोकप्रिय हावय काबर कि गरीब मनखे मन के सुघ्घर मदद करथे। ये वो मनखे हरे जेन ल सरकार ह नक्सली मन के समर्थक मान के घेरी बेरी कुछु कांही केस म जबरदस्ती फंसा के जेल म डार देथे। उपन्यासकार ह कामरेड बालेन्द्रु के गोसइन के माध्यम ले ओकर चरित्र चित्रण करथे। डा. निर्मला संग फार्म हाउस म गोठियात वोकर गोसइन कहिथे कि -" कामरेड हिंसा के बिल्कुल खिलाफ रहिथे। निरदोस आदिवासी मन के पुलिस द्वारा हत्या के विरोध म जन आंदोलन करे खातिर कतको घांव जेल जाय ल पड़े हे। त दूसर कोति नक्सली मन ह मुखबिरी के शक म जन अदालत लगाके कोनो आदिवासी मन ल मार डालथे त अइसन पीड़ित परिवार मन मदद करथे। आर्थिक मदद घलो करथे। कामरेड ले मिले बर देश के बड़का कम्युनिस्ट नेता मिले बर घेरी -बेरी आवत रहिथे। कामरेड ल नक्सली मन ले घलो धमकी मिलत रहिथे। "।कामरेड के फार्म हाउस हे जेहा केशकाल घाटी ले उन्नीस किलोमीटर दूर विश्रामपुरी के तीर बिरान जगह म हे। उपन्यासकार कहिथे कि-" कामरेड के गोठबात अउ चरचा अक्सर होवत रहिथे। आम मनखे मन के नजर म कामरेड बालेन्द्रु नक्सली मन के सबले बड़का लीडर हे। सफेदपोश लीडर!जेन मन बिना हथियार के थामे नक्सली ल कंट्रोल करथे। कामरेड ह सादा जीवन उच्च विचार के मनखे हरे। वोकर गोसइन ह डा. निर्मला ल बताथे कि -" बेटा तोर अंकल ये जुग के मनखे नोहे।सादा जीवन उच्च विचार वोकर जिनगी के मूलमंत्र हे। विलासिता के कुछु सामान घर म रखना पसंद नइ करय।" कामरेड ह नक्सली अउ सरकार के बीच समझौता कराय के काम करथे। झिंटू राम अपहरण कांड के समय वोहा निर्मला के सुघ्घर मदद करथे।वोकर माध्यम ले हवलदार झिंटूराम अउ वोकर संगवारी ल नक्सली मन ले छुटकारा मिल पाथे। त समझौता के तहत जेल म बंद नक्सली मन ल पुलिस ले छोड़वाथे।
उपन्यास के खलनायक हावय-" शुभगन "जेन हा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के कमांडर हे।येहा खुंखार नक्सली लीडर हरे। शराब अउ शबाब के येला लत हे। अपन पद अउ ताकत के खूब फायदा उठाथे अउ जवान लड़की मन के अपहरन करके उंकर इज्जत ले खेलथे। ये आदत ल वोहा अपन शान समझथे। ये दृश्य अउ संवाद के माध्यम ले कहानीकार ह आज के नक्सलवाद आंदोलन के दसा अउ दिसा ल उजागर करथे कि कइसे शोषित, पीड़ित मन बर लड़े ल छोड़ के उल्टा खुदे पद अउ ताकत के दुरूपयोग करत हे। निरंकुश शासन मन जउन बेवहार आम आदमी मन ले करथे उही रसदा ल खुदे अपना डरे हावय त का मतलब अइसन नक्सलवाद आंदोलन के।
उपन्यास के नायक कामरेड बालेन्द्रु वर्तमान म नक्सलवाद आंदोलन के भटकाव ले अब्बड़ दुखी हावय। एक बुजुर्ग कम्युनिस्ट ले गोठबात के माध्यम ले ये बात ल पाठक वर्ग ल बताय गे हावय कि कइसे शुभगन जइसे नक्सली लीडर मन भोली भाली लड़की मन के हीनमान करथे अउ भोला - भाला आदिवासी मन ल ढाल बना के अपन सुवारथ ल साधत हावय। लूटपाट अउ लाखो- करोड़ों के वसूली करके गुलछर्रा उड़ात हे। निर्दोष आदिवासी अउ पुलिस वाले मन के हत्या करत हे।
सच म आज बस्तर के आदिवासी मन नक्सली अउ फ़ोर्स के बीच म पिसावत हावय।जइसे दू गोल्लर के लड़ई म घास ह रौंदा जाथे वइसने दसा आदिवासी मन के हो गे हावय। दूनों डहर ले आदिवासी मन ल मरना हे।
उपन्यास के प्रमुख पात्र कामरेड बालेन्दु
के बेटा अंकुश जउन ह 10 साल के हे। वोला उपन्यासकार ह शांति के संदेश देवइया अउ एक वीर बालक के रूप म चित्रित करे हावय। अंकुश ह अपन कामरेड पिता बालेन्द्रु ल एक बात कहिथे " एकर ले अच्छा गांधी जी के अहिंसक आंदोलन रहिस जेमा जन जागरण के संगे -संग स्वतंत्रता के आंदोलन ल जोड़े गे रहिस।" ये संवाद के माध्यम ले उपन्यासकार ह ये संदेश देवत हावय कि हिंसा ह कोनो समस्या के हल नोहे।अपन समस्या ल गांधी जी द्वारा बताय गे सत्य अउ अहिंसा के रसदा म चलके हल करवाना हे। फेर हिंसा ले हिंसा उपजथे। नक्सली मन खुदे एक दूसर ल मारत हे मुखबिरी के शक म। उपन्यास के मुख्य पात्र बालेन्दु खुद हिंसा के शिकार हो जाथे जब खुंखार नक्सली लीडर शुभगन अउ उंकर पांच संगवारी उंकरे घर आके गोली म दनादन भून डालथे।येमा वोकर पत्नी ह मर जाथे अउ तीन साल के बेटी पल्लवी ह घायल हो जाथे। त अइसन स्थिति म घर म छुपे वीर बालक अंकुश ह अब्बड़ सूझ बूझ ले काम लेथे। घायल अपन बहिनी पल्लवी के जिनगी के रक्षा करथे।त दूसर कोति अपन पिता, मां के हत्यारा मन ल मारे बर उदिम सोचथे।जिहां खुंखार नक्सली लीडर शुभगन अउ उंकर संगवारी मन शराब पीयत रहिथे वो कमरा के कपाट ल लगा देथे अउ चारों मुड़ा पेट्रोल छिड़क के आगी लगा देथे। अउ ये प्रकार ले हिंसा के रसदा ल अपनइया खूंखार नक्सली लीडर शुभगन अउ उंकर संगवारी मन हिंसक ढंग ले ही मारे जाथे। माने जइसन करनी वइसन भरनी। बंभूर बोबे त आमा थोड़े फरही। बंभूर करा जाबे त कांटा ह खबखब ले गड़ही।
22 फरवरी 1954 म छत्तीसगढ़ के गांव फगुरम म जनम धरइया डा. विनोद कुमार वर्मा ह गहन संवेदना के उपन्यासकार हरे। आप मन के कहानी "मछुआरे की लड़की" राष्ट्रीय स्तर म अब्बड़ सराहे गिस।ये कहानी ल बस्तर विश्वविद्यालय के एम.ए. के पाठ्यक्रम म सामिल करे गे हावय। आप मन के छत्तीसगढ़ी के संपूर्ण व्याकरण किताब छात्र मन के संगे संग साहित्यकार ,पाठक वर्ग मन बर अब्बड़ उपयोगी हावय। येमा नाना प्रकार के छंद के नियम के उदाहरण छत्तीसगढ़ी के सियान साहित्यकार के संगे संग छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर,छंद के छ परिवार ले जुड़े बुधियार छंदकार मन के छंदबद्ध रचना के माध्यम ले दे गे हावय।
त अइसने एक ठाहिल उपन्यास हे -" उवत सुरूज के अगोरा। ये उपन्यास ह पाठक वर्ग ल रोमांचित करथे। ये लघु उपन्यास ह पाठक वर्ग ल आखिरी तक
बांध के राखे म सक्षम हे। उपन्यास के भाषा छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी मिश्रित हे। भाषा शैली सरल,सहज अउ प्रवाहमयी हे।
ये उपन्यास ह आज के नक्सलवाद आंदोलन के पोल खोल के रख देथे त दूसर कोति नेतामन के दुहरा चरित्र ल घलो उजागर करथे कि अपन सुवारथ बर का नइ कर दिही। उपन्यासकार ह लिखथे कि कामरेड बालेन्द्रु के भाषण के संबंध म एक बड़े नेता ह कमेंट करिस -" कामरेड यदि लाल झंडा ल छोड़ के हमर पार्टी म सामिल हो जाय त बस्तर संभाग के सबो विधानसभा सीट ल हमर पार्टी ह आराम से जीत लेही "। येकर माध्यम ले उपन्यासकार ह नेतामन के दोगला चरित्र ल उजागर करथे कि जेला पहिली कोयला समझथे वोहा जब उंकर पार्टी म आ जाथे त उही मनखे कइसे सोना बन जाथे।
पोठ उपन्यास खातिर आदरणीय डा. विनोद कुमार वर्मा जी ल गाड़ा -गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना हे । ये उपन्यास ह छत्तीसगढ़ी साहित्य म एक मील के पथरा साबित होही।
- ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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