Tuesday, 28 October 2025

छत्तीसगढ़ी व्यंग्य छत मा जल सग्रंहण -वीरेन्द्र सरल

 छत्तीसगढ़ी व्यंग्य 

 छत मा जल सग्रंहण

-वीरेन्द्र सरल


एकेच दो साल पहिली बने नवा सरकारी भवन के छत उपर गर्मी भर मनमाने बोरझरी और बमरी कांटा ला बगरा के राखे गे रिहिस हावे । रद्दा म रेगंइया ओती ले रेंगें तब छत उपर कांटा ला देख के अचरज मे पड़ जाय।कारण जाने के उदिम करे फेर कारण समझ मा आबे नई करे। फेर जइसे बरसात लगिस तइसे वो कांटा ला टार के छत ऊपर खपरा चढ़ाय जात रिहिस। अब तो देखइया मन के अचरज के ठिकाना नई रिहिस ।सब के दिमाग घूमगे ।सबे सोचे -अरे! अहा काय चरितर आय ददा । बाप पूरखा छत के उपर म खपरा लगे नई देखे रहेन । ये सरकारी भवन वाले साहेब ला काय होगे हावे ।नवा नवा चरित्तर अपनाय हावे। आखिर मोर जीव नई सहाइस । एक दिन मेहा उही रद्दा म रेंगत रहेंव।तब वो भवन तीर म चल देव ।तीर मा जाय के बाद म पूछ झन । मोर दिमाग फ्यूज होगे।

भवन के कालम के तीर म लकड़ी लगा के छत ला टेकाय गे रिहिस हावे ।तभे उहां मोला एक झन साहब दिखिस ।मेहा पुछेव- "काय बात आय साहब आप मन के ये काम काखरो समझ म नई आवत हे।आपके कोन्हो तबियत खराब होही ते इलाज पानी करा लेव। फेर अइसन उटपुटांग काम झन करव कि देखइया के दिमाग घुम जाय।"


साहब खलखला के हांसिस अउ किहिस -"अच्छा ये बात आय। बइठ ,समझबे तहन कहीं अचरज नई लागे । अच्छा ये बता तुमन अपन छानी वाले घर मे कांटा बगरा के काबर राखथव।"

 मैहा कहेव-" जान दे साहब गरमी भर बेंदरा मन छानी म कूदथे। सबो खपरा फूट जाथे अउ बरसात भर पानी टपकथे।"

 साहब किहिस -"उहीच बात तो आय।बेंदरा मन ले छत ला बचाय बर कांटा बगराय रहेंव अउ अब पानी टपके ले बचाय बर छत म खपरा लगवात हवं।ये मे अचरज के काय बात हे बता?" 

मेहा बकबकागेंव अउ कहेंव- "साहब! छानी के खपरा फूटे के बात तो समझ म आथे फेर बेंदरा कुदई म छत के टूटे फूटे के बात समझ म नई आय। मोला लागथे ,छत के ढलाई बने नई होय होही ,तिही पाय के बरसात म छत मा पानी भरत होही अउ छत टपकत होही । निसेनी मंगातेव तब मैहा चढ के देख देतेव।"


सहब हा तुरते पड़ोसी घर ले निसेनी मंगा दिस । मैहा निसेनी टेका के छत म चढे लगेव। 

साहब किहिस -"थोड़कुन देख के चढ़बे भई। "

मैहा पूछेंव-"कइसे निसेनी कमजोर हावे काय साहब"?वोहा किहिस -"निसेनी नही ददा ,छतेच ह कमजोर हावे। देखत नई हस छत हा कालम नही बल्कि लकड़ी के सहार म टेके हावे,डर लागथे तोर वजन के मारे कहूं छत भसक झन जाय।"

 येला सुनके महूं ला हांसी लागिस ।धीरे धीरे मैहा छत म चढ गेंव । छत ह सिरतोन म डिपरा डबरा ढलाय रहय। अउ उहां बरसात के पानी ह भरे रहय।

 मेहां कहेंव -"देखे साहब मैहा जउन बात ला कहत रहेंव उही बात आय ।छत म पानी भरे हावे उही ह टपकथे ।छत ह बेंदरा कुदई म टूटे फूटे नही हे ददा।जब ये भवन बनत रिहिस तब कहूं ठेकादार ला कहे रहितेंव अउ बने देख रेख करे रहितेंव तब अइसन बात नई हो रतिस जाने।"


सहब मुड धर के बइठ गे अउ किहिस- "अरे कहेंव भई, घेरी बेरी कहेव फेर ठेकादार माने तब ना।वोहा तो उल्टा मोला समझावत कहि दिस – देख साहब,हमन जब सरकारी भवन बनाय के ठेका लेथन तब एक  शर्त रहिथे कि भवन के संगे संग रेन वाटर हार्वेटिंग सिस्टम घला बनाना हे ।आप मन जानथव गरमी म पानी के कतेक किल्लत होथे। एक एक बूंद पानी बर लोगन ला तरसे ला पड़ जाथे। पानी बर महाभारत कस लड़ई मच जाथे।मारपीट झगड़ा झंझट काय नई होयव पानी बर ।तिही पाय के सरकार ह जल सग्रंहण करे बर किसम किसम के उपाय करथे। ठौर ठौर मे तरिया ,बांधा बनाथे। सरकार के जल सग्रंहण के अभियान म हमु मन जी पराण देके भिड़े हावन।अउ छत ला अइसे बनाथन कि छत के एक बूंद पानी खाल्हे मे गिर के बिरथा झन बोहावय। अरे!फेर कोन भुंइया ला खन के रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाय के झंझट पाले । हम तो धरती माता ला घलो अपने असन समझथन।हमर भावना हे जइसे खेत के पानी खेत म ,तरिया के पानी तरिया म वइसने छत के पानी छतेच म रहय।एखर ले आप मन दू फायदा होही पहिली बात पीये के पानी बर अलग से बोर कराय बर नई लागे अउ दूसर फायदा हे पानी भरे बर छत म अलग से टंकी बनाय बर या ले बर घला नई लागे।बस सोझ बाय पाइप भर लगा अउ पी पानी साल भर ले छत के ।छत के उही पानी ला चिरई चिरगुण मन घला पिही और उही ला आपो मन पियो ।भई संत मन कहिथे ,संसार के सबो जीव जन्तु ह भगवान बर बरोबर होथे ।एके किसम ले खाय पिये ले मया परेम बाढ़थे,समानता के भाव बनथे।"


अतका बता के साहब किहिस –" ले अब बता ,मैहा ठेकादार ला अउ काय कहितेंव। जेखर भावना अतेक पावन हे ।छत उपर जलसंग्रहण करे के नवा तकनीक विकसित कर डारे हावे।तउन महान मनखें संग अउ काय बात करतेव।मैहा कलेचुप रहिगेव भईं।आजकाल के सरकारी भवन मन अतेक नवा तकनीक म बनत जावत हे कि एकेच दू साल मन सफा भवन ला नवा बनय बर लाग जावत हे।"


साहब के पीरा ला समझ के मोरो मुहूं बंद होगे ,गोठबात के अउ कही जगच नई बाचिस। मैहा कलेचुप उहां ले लहुट गेंव।

वीरेन्द्र सरल

बोड़रा

पोस्ट -भोथीडीह

व्हाय-मगरलोड़

जिला-धमतरी।

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