लघु कथा -"बरदी के भोला "
-मुरारी लाल साव
जेन गाँव म जानवर रहिथे उहें बरदी होथे l बरदी माने चौपाया समाज l बरदी दुटंगिया मन के गुलामी म रहिथे l
गाँव के दैहान म गाय गरु, गोल्लर छेरी पठरु भैस भैंसा सकलाथे बरदी कहाथे l पहटिया के बिना बरदी नई चलय l फिरतू पहटिया जेखर मुड़ी म खुमरी के ताज फुलेती लाठी हाथ म चांदी के रुपया कनिहा म कौड़ी के करधन माला गर म पहिने चिल्लाथे -"अरे,खोरी हुत हुत l" खोरी गाय जान डरथे सुन डरथे बरदी ले बाहिर नई जाना हे l पहटिया के लाठी म गोड़ टूटे रहिथे तभे खोरी हो जथे l जेन जेन पहटिया के लाठी खाये रहिथे उही फिरतू के बोली ठोली ला सुन के इसारा म रहिथे l उही बरदी म सिंग टूटे करिया गोल्लर पहटिया ला दउड़ा दउड़ा के हुमेलय l बिजार रहीस l बिन बिजार के बरदी के पहचान नई बनय l फिरतू डर के मारे भोला नाँव धरे रहिस l "भोला भले भले कहय तहाँ भोला गोल्लर घलो अल्लर हो जावय l "
मान सम्मान के भूखे रहिथे बिजार गोल्लर मन l धनऊ बड़ शान से कहय मोर ढीले गोल्लर ए l एक दिन
बरदी म सन्नाटा पसरे देखे ला मिलिस l फिरतू बतावत रहिस -" आज भोला गोल्लर ला बरदी के चार पाँच सांड कुदा कुदा के भोला के गोड़ ला कुचर डरे हे l उठ नई सकत हे परे हे l तेखर सेती बरदी म शान्ति हे l धनऊ के मुड़ी घलो खालहे होगे हे l धनऊ फिरतू पहटिया ला पूछत रहिस -" भोला के दुर्गति होवत का करत रहेस? फिरतू बताइस -" जइसन करनी ओइसन फल मिलथे l जउन बरदी भर ला भय दिखा के रहीं l बरदी ले सांड घलो पैदा हो जथे l ओइसने होइस भोला के l "
मरखंडा मैनखे के घलो इही दुर्गति ले अन्त होथे l "
बरदी के आघू ककरो राज जादा दिन चलय l धनऊ के मुड़ी अउ तरी डहर होगे काबर उहू चार दिन आतंक मचाये रहीस l ओ दिन के सुरता देवाके फिरतू ओकर घमंड ला तरी डहर बोज दिस l
मुरारीलाल साव
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