Friday, 3 October 2025

लघु कथा -"बरदी के भोला "

 लघु कथा -"बरदी के भोला "

      -मुरारी लाल साव

जेन गाँव म जानवर रहिथे उहें बरदी होथे l बरदी माने चौपाया  समाज  l  बरदी दुटंगिया मन के गुलामी म रहिथे l 

      गाँव के दैहान म गाय गरु, गोल्लर छेरी पठरु  भैस भैंसा सकलाथे बरदी कहाथे l पहटिया के बिना बरदी नई चलय l फिरतू पहटिया जेखर मुड़ी म खुमरी के ताज फुलेती लाठी हाथ म चांदी के रुपया कनिहा म कौड़ी के करधन माला गर म पहिने चिल्लाथे -"अरे,खोरी हुत हुत l" खोरी गाय जान डरथे सुन डरथे  बरदी ले बाहिर नई जाना हे l पहटिया के लाठी म गोड़ टूटे रहिथे तभे खोरी हो जथे l जेन जेन पहटिया के लाठी खाये रहिथे उही फिरतू के बोली ठोली ला सुन के इसारा म रहिथे l उही बरदी म सिंग टूटे करिया गोल्लर  पहटिया ला दउड़ा दउड़ा के हुमेलय l बिजार रहीस l बिन बिजार के बरदी के पहचान नई बनय l फिरतू डर के मारे भोला नाँव धरे रहिस l "भोला भले भले कहय तहाँ भोला गोल्लर घलो अल्लर हो जावय l " 

मान सम्मान के भूखे रहिथे बिजार गोल्लर मन l धनऊ बड़ शान से कहय मोर ढीले गोल्लर ए l एक दिन

  बरदी म सन्नाटा पसरे देखे ला मिलिस l फिरतू बतावत रहिस -" आज भोला गोल्लर ला बरदी के चार पाँच सांड कुदा कुदा के भोला के गोड़ ला कुचर डरे हे l उठ नई सकत हे परे हे l तेखर सेती बरदी म शान्ति हे l धनऊ के मुड़ी घलो खालहे होगे हे l धनऊ फिरतू पहटिया ला पूछत रहिस -" भोला के दुर्गति होवत का करत रहेस? फिरतू बताइस -" जइसन करनी ओइसन फल मिलथे l जउन बरदी भर ला भय दिखा के रहीं l बरदी ले सांड घलो पैदा हो जथे l ओइसने होइस भोला के l "

मरखंडा मैनखे के घलो इही दुर्गति ले अन्त होथे l " 

बरदी के आघू  ककरो राज जादा दिन चलय l धनऊ के मुड़ी अउ तरी डहर होगे काबर उहू चार दिन आतंक मचाये रहीस l ओ दिन के सुरता देवाके फिरतू  ओकर घमंड ला तरी डहर बोज दिस l


मुरारीलाल साव

No comments:

Post a Comment