सुरता भाई दुइज के
*********
सबो सुरता मीठ मीठ नइ होवय जी ...इही देखव न मोला आज ओमप्रकाश शर्मा के सुरता आवत हे ...ओकर गोरिया माथा ले बोहावत लाल लहू , नवा कुरता ल भिंजोवत रहिस फेर वो हर रोवई छोंड़ के बड़े बड़े आँखी ले बटर बटर हमन ल देखत रहिस ।
ओ दिन घलाय भाई दुइज रहिस ..दिवाली छुट्टी सिराये के दिन ...त स्कूल जाए के तियारी ...। नरोत्तम राठौर सर अब्बड़ अकन अंक गणित , बीजगणित के सवाल बनाये बर देहे रहिन मोर पिरोहिल संगवारी गौरी ...मोटल्ली , अलाल ..नकल मार के मोर कॉपी ल लहुटाये आइस ।
सुशीला , गंगोत्री मिल गिन फेर का चारों झन भीमा पार के ऊंच विष्णु मंदिर के अंगना मं अंकरी दुकरी खेले लागेन ।
हमन संग पढ़इया ओमप्रकाश , गजेंद्र अउ शंकर आइन कॉपी मांगिन ...नइ देवन कहें त कॉपी ले के भागे के उदिम करिन ....हरके बरजे ल कोन सुनय ? पथरा के बिल्लस मोर जेंवनी गोड़ मेरन रहिस उही ल उठा के फेंके देहेवँ ...गजेंद्र अउ शंकर तो बांच गिन फेर ओमप्रकाश के माथा मं बिल्लस परिस माथा ले तर तर तर तर लहू बोहाये लगिस ।
ओमप्रकाश रोवत नइ रहिस ...डर के मारे मैं रोये लागेंव ..। ओमप्रकाश के बाबूजी जनपद अस्पताल जांजगीर के डॉक्टर रहिन ...उहां पंहुचते साथ मरहम पट्टी कर दिन ...छिन भर मोर कती देखत रहिन ...फेर बलाइन ..मोर जीव सुखा गे ..मारहीं त मार खा लेहौं फेर कका , भैया मन ल बता देहीं त ..नहीं त छोटकी दाई ल बता देहीं त हाई स्कूल के डेहरी लांघे नइ पाहौ ...काल ले स्कूल जवाई बंद ..।
मोर रोनहुत मुंह ल देख के डॉक्टर साहब मोर मूड़ मं हाथ राखिन ...हांस के कहिन " लइकाई के झगड़ा , लड़ाई होवत रहिथे फेर आज के भाईदुइज तुम दुनों झन ल जियत भर सुरता रहिही ..। "
आज ओमप्रकाश कहां हे , नइ जानवं ...। मेट्रिक के बाद ओहर एम . बी .बी .एस करे भोपाल चल देहे रहिस ...रिटायर हो के डॉक्टर साहब जांजगीर छोड़ दिहिन ..। आज के भाई दुइज मीठ नहीं चिटिक करू सुरता ले के आए हे फेर सुरता कइसनो होवय समय पा के मीठ हो जाथे ।
सरला शर्मा
No comments:
Post a Comment