ऊँट के नाव चिट्ठी
प्रिय ऊँट ,
लकर लकर बिगन कन्हो परेशानी ले रेंगे बर ... मेंहा अपन क्षेत्र ल मरूस्थल बना देहूँ । तूमन भरपेट चर सकव तेकर बर ... अपन क्षेत्र म बोईर अऊ बम्भरी के रुख रई लगवा देहूँ । रेंगत रेंगत तुमला लगइया पियास ल बुझाय बर अऊ अपन पेट के टाँकी ल भरके राखे बर ... तुँहर बर जगा जगा म आस्वासन के बांध हमेशा कस छलकत रइहि तेकर घला गारंटी देवत हँव ।
फेर मोरो एक ठन अर्जी है । तहूँ मन मान लेतेव ... करवट ल मोरे कोति लेके बइठ जतेव । हमर मन के राहत के मंगल बेला आय येहा । चारों मुड़ा म तुमला टकटकी लगा के अबड़ झन देखत हें .. तुम दूसर कोति झन पलटहू । तुँहर करवट हमर भविष्य अऊ तुँहर अतीत आय ।
मोर परम आदरणीय ऊँट ... मोला विश्वास हे आप मन सोच समझ के करवट बदलहू । जिनगी भर तुँहर उपकार के आभारी रहिबोन ।
काकरो भी निही ... शायद तुँहर भी निही –
फलाना राम
प्रत्याशी , सार्वजनिक चारागाह क्षेत्र क्रमांक 420
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