छत्तीसगढ़ी व्यंग्य
बिजली माता के महिमा
वीरेन्द्र ‘सरल‘
गजब दिन बाद मय ममा घर गयेंव। ममादाई मोहाटी म बइठ के चउर निमारत रहय। मय पावं-पल्लगी करेंव। ममा दाई आशीष देवत किहिस- "खुशी रह बेटा तोर घर के सब्बो लट्टू बने बग-बग ले बरय। तोर घर के लाइन कभु गोल झन होवय अउ बिजली बिल निचट कमती आवय। "
आशीष सुनके मोर दिमाग घूमगे। मन म गुनेंव, ममादाई कइसे अनर-बनर कहत हावे , बही भूतही होगे हे तइसे लागथे। फेर सोचेव, अरे! सियान मनखे हे। सियान मन कथे , साठ बुद्धि नाश। तिही पाय के अइसन कहत होही।
घर भीतरी पहुंचेव तब घर ह निचट सुनसुनहा लागिस। बारी-बखरी डहर ले काखरो गारी-बखाना दे के गोहार सुनावत रिहिस , मैं सोझे बखरी डहर चल देंवं। मामी ह अपन पड़ोसी संग झगड़ा होवत मनमाने बखानत रहय। " जा रे बैरी, तोर घर के सबो लट्टू चरचर ले बुझा जाय। तोर घर के लाइन सबर दिन बर गोल हो जाय। सबो लट्टू फ्यूज हो जाय। बिजली बिल मनमाने आ जाय। " ये सब ला सुनके मय दंग रहिगेव, पहली बेर अइसन शरापा-बखाना सुने बर मिलत रिहिस। मोर दिमाग घूमगे फेर मामला कुछु समझ में नइ आइस।
तभे मोर उप्पर मामी के नजर पड़िस। वोहा तुरते अपन दुर्वचन ला अइसे बंद करिस जइसे टी वी वाला मन ब्रेक ले बर कार्यक्रम ला बंद करथे। मामी मोर तीर में आके मोर पांव पड़िस अउ घर भीतरी जाके एक लोटा पानी लान के किहिस- " कतेक बेरा के आय हस भांचा? चल भीतरी मे बइठ ददा। " मैहा भीतरी म आके बइठगेंव। मैंहा ममा कहां हे कहिके पूछेव तब मामी ह अछरा म अपन मुंहु के पछीना ला पोछ के भांचा आय हावे कहिके गोहार लगाइस।
मामी के आवाज ला सुनके कुरिया भीतरी ले ममा निकल के अइस अउ पांव पड़के हाल-चाल पूछत कहिस- " अउ भांचा! सब बने-बने? घर के लट्टू मन सब बने बरत हे? तोर घर के लाइन ह तो गोल नइ होवत होही? बिजली बिल घला कमती आवत होही?"
ये सब ला सुनके मोर जी बगियागे। मैहा गुसिया के कहेंव- " तुंहर सब झन के दिमाग खराब होगे हावे का ? जेला देखबे तिही बिजली के गोठ गोठियाथव। एखर छोड़ अउ कहि गोठ नइ हे का तुहर तीर? "
तब तक मामी चहा बना के लान डारे रहिस हावे। पहिली मैहा गटा-गट एक गिलास पानी पियेंव अउ गरम चहा ला सुड़के लगेंव। मोर गुस्सा ला देख के ममा ह तो कले चुप रहिगे फेर मामी ह किहिस- " जान दे भांचा ! ये बिजली के चक्कर म तोर ममा ह लटपट बांचे हे। "
मैहा ममा कोती ला देख के कहेवं- " मै तो येला पहिली ले समझाय रहेंव कि तोर पड़ोसिन बिजली के चाल-चलन मोला ठीक नइ लागे ममा! एखर चक्कर म झन फंसबे ना ,फेर मोर बात ला येहा माने तब ना? "
मामी ममा डहर ला गुर्रा के देखिस ते ममा सकपकागे। मामी किहिस- " नही भांचा! मैहा वो बिजली के बात नइ करत हवं। लाइन वाला बिजली के बात करत हवं। "
मैहा डर्रा के कहेव- " ममा बिजली म चटक गे रिहिस का मामी? "
मामी किहिस- " अरे नही ददा! बिजली वाले मन एखर थोथना म चटक गे रिहिन। चालीस हजार के मनमाने बिल भेजे रिहिन तउन ला देख के येला हार्ट-अटैक आगे रिहिस। महीना दिन ले अस्पताल म भरती रिहिस। अभीच-अभी अस्पताल ले छुट्टी मिले हावे। देखत नइ हस भांचा तोर ममा कतेक कमजोर होगे हावे। अभी घला बिजली बिल के नाव सुनके अलकरहा झझक जथे अउ डर के मारे भीतरी म खुसर जाथें।"
मैहा कहेव- " बाप-रे-बाप! मामी अतेक जब्बर घटना होगे अउ तुमन मोला शोर-संदेश कहीं नइ देव। "
ये घटना ला सुनके मोरो जीव धुकधुकाय बर धर लिस। तब ले मैहा हिम्मत करके कहेंव- " मामी भारी बिजली बिल ला धर के आफिस म जाय रहितेव , हो सकत हे बिल ह धोखा म आगे रिहिस होही। साहब ला पूछे रहितेव ते बिल कमती हो जाय रहितिस। "
बिजली ऑफिस के नाव सुनके ममा के ब्लडप्रेयार फेर बाढ़गे। वोहा हफरत किहिस- " नाव झन ले भांचा आफिस के , मोला बिल ला देख के अटैक थोड़े आय रहिस ददा! आफिस वाले मन के गोठ ला सुनके आय रहिस। बिजली ले जादा आफिस वाले मन झटका मारथे मोर बाप। मैहा आफिस में जाके साहब ला कहेंव, कस साहब मोर घर में तो एकल बत्ती कनेक्शन लगे हावे एकेच ठन लटटु बरथे फेर एकेच महीना में अहा चालिस हजार के बिल कइसे आगे हावे? "
तब साहब ह आंखी ला मूंद के थोड़किन धियान लगा के देखिस अउ किहिस- " तोर पुरखा मन जउन मन मरके स्वर्गवासी होगे हे ओमन जुन्ना बिजली बिल ला नइ पटाय रिहन। उही सबो ह एक संघरा जुड़ के आय हे अउ कुछु पूछना हे? "
मैं बक खाके कहेंव-" साहब! हमर पुरखा मन तो चिमनी- कंडिल में गुजारा करत सरग सिधार गे हावे, ओमन कहा ले बिजली खपत करिन होही। मैहा तो अभिच-अभिच नवा घर बना के कनेक्शन ले हावों। मीटर घला मोरच नाव में हे तब मनमाने बिल में मोर पुरखा मन के काय गलती हे? "
तब साहब ह फेर आंखी ला मूंद के धियान लगाके देखिस, कुछ समें बाद ओखर समाधी ह टूटिस तब किहिस- " अरे! तोर पुरखा मन तो अभी घला सरग में रात-दिन मनमाने कुलर-पंखा चलात हावें। रात-दिन लटटु ला बारत हावे। सरग के बिल ला तोर बिल में जोड़े गे हावे। अब तिही बता , तोर पुरखा मन के बिल ला तै नइ पटाबे तब का मेहा पटाहूं? अब जादा दिमाग झन खा, सोझ बाय बिल ला पटा नही ते लाइन ला कटा, समझे? तोला कोन्हों मोर बात में विश्वास नइ हे तब मैहा अपन करमचारी मन ला तोर घर भेजत हवं। ओमन तोर घर ला खन-कोड़ के देखही। खनई में कोन्हो जुन्ना वायर, फूटहा लटटु के कांच , होल्डर अउ बटन मिलगे तब समझ जा तोर पुरखा मन बिजली के उपयोग करे रिहिन होही।
अब काय बतावंव भांचा ,मैहा समझेव मैहा घर ला तो अभी-अभी बियारा म बनाय हवं ,उहां ले कइसे ये सब समान निकलही । महु जोशिया के कही पारेव ,भेज देना भेजबे ते हो जाना चाही दूध के दुध अउ पानी के पानी। "
मोर गोठ ला सुनके साहब घला ताव खागे अउ तुरते अपन करमचारी मन ला मोर संगे-संग भेज दिस। करमचारी मन आके मोर घर के मोहाटी ला खने के शुरू करिन, बस थोड़कुन खनइ होय रिहस अउ फूटहा होल्डर अउ वायर निकलगे। मै बक खागेव , " मन म गुणेव सिरतोन साहब ह अन्तर्यामी आय ददा। तीनो लोक ला संघरा देख डारथे। करमचारी मन ओ समान ला जप्ती बना दिन । पंचनामा करवा के लेगगे। अउ मोला चालिस हजार के बिल ला पटाय बर लागिस। बाद में मोला सुरता आइस ,ये जगह म पहिली घुरवा रिहिस ,मैहा घुरवा ला पटवाके मकान बनवाय रहेंव । पहिली घुरवा में कोन्हो फेक दे रिहिन होही ये समान मन ला । मैहा साहब ला घेरी-बेरी गोहरा के ये बात ला बतायेंव फेर वोहा मोर बात ला मानबे नइ करिस । तभे मोला अटैक अइस भांचा। मोर नव ले दस नइ पूरे रहिस त बांचगेव ददा। "
अतका बता के ममा ह फफक-फफक के रोय लगसि। थोड़किन बाद वोला चक्कर आगे अउ वोहा बेहोश होगे। मामी अउ मै ममा ला चिंगिंर-चांगर घर के पूजा खोली में लानेन। पूजा खोली में आके मोर दिमाग चकरागे। महू बेहोश होत-होत लटपट म बाचेंव। काबर कि उहां दिवार म लिखाय रहय बिजली माता के भंडार सदा भरपूर रहय अउ बिजली माता जी सदा सहाय रहय। लकड़ी के पीढ़ा मे होल्डर फिट करके ओमें लटटु लगाय गे रिहिस। फुलकसिया लोटा म आमा के पान , तेखर उपर में नांदी तेखर उपर में जीरो वोल्ट के बल्ब बरत रहय । तीर में हुम देवाय रहय , अगरबत्ती बरे रहय। गुलाल-बंदन बुकाय रहय। नरिहर घला फूटे रहय। जुन्ना बिजली बिल ला धारमिक किताब सही ओरी-पारी राख के लाल कपड़ा में लपेट के माढ़य गे रहय। मेहा कई बेर घुम-घुम के कुरिया ला देखेवं, एखर छोड़ कोन्हो देवी-देवता के फोटो नइ रहय।
मैहा मामी ला पूछेव- " कस मामी! तुमन ये कोन देवी के पूजा-पाठ करथव?"
मामी बताइस- " येहा बिजली देवी आय भांचा। काय करबे ददा बिजली बिल के डर के मारे जम्मो परिवार बिहिनया, मझंनिया अउ संझा तीन बेर बिजली माता के पूजा करथन। तोर ममा ह ये बिजली बिल मन के पाठ करथे । येला हमन बिजली चालिसा कहिथन। बिजली विभाग के एक झन भगत जी ह बिजली देवी के परकोप ले बांचे बर इही उपाय बताय हे। इहां जतका पइसा चढ़ाथन ओला उही भगत जी महीना में एक दिन आके सकेल के लेगथे। वोहा एक ठिन आरती घला लिख के दे हावे जउन ला पूजा करे के बाद हमन गाथन।"
मैहा आरती ला पढ़ के देखेंव, ओमें लिखाय रिहिस-
" श्री बिजली जी की आरती जो नर-नारी गावै।
दिन भर बिजली पावय, बिल कमती आवय।। "
वीरेन्द्र‘सरल‘
बोड़रा ,मगरलोड़
जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़
मो 7828243377
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