Tuesday, 28 October 2025

लघु -व्यंग -सरकार


लघु -व्यंग -सरकार


गाय मन अड़बड़ बोंबियावत राहय में योकिन

उखर भाखा ल ओरखे (परखे) के परियास (कोशिश) करत कहेंव का होगेरे तुमन ल आज बड़ बोंबियावत हो। आज बड़ उछाह के दिन आए मालिक, सुने में आए है अब हमरो गोबर ल सरकार बिसाही। सरकार मन के बड़ चोचला ताए मालिक। न्या-नवा सरकार के नता-नवा ढर्रा (योजना) । कोनो काहत हे सुवच्छ भारत बनाना हे। कहिके घुरवा गांगर ल पाटत हे, त कोनो गौठान ल पाठ‌शाला कस बनावत हे। पैरा इहे । पानी इहे, मध्यान भोजन कस होगे। ये सरकार घला बड़ विचित परानी आए मालिक ऐला बुझना समझना बड़ दिक्कत के काम भए ।कोन जनी तुमन (पतानहीं) कईसे झेलथव ।फेर आज मन गद‌गद होगे मालिक । काश सरकार पहिली ले ऐसन ढर्रा (योजना) निकालतिस त का गोसईया मन हमनल कटनी म देतिस का जंगल में छोइतिस?


तहू मनखे मन गुन के न जस के हमरे गोबर खातू म कईसे ठसठस  ले धान उपजावत रेहेव अब जादा के चक्कर म दवई-बुटई (रसायनिक खातू)  म मोहागव अऊ धरती माता ल हलाकान कर डारेव। कभू देखे रेहव, तना छेदक , महु, ब्लास्ट ल। हमरे दूध ले तुहर लाईका मन ठस-ठसले फुन्नाय राहय । अब तो जनम देते साठ डेटाल के साबुन, आनी बानी के मालिस तेल सिरप । अऊ का कहिबे मालिक, अब उबरों मन के पता चल ही मालिक जेकर देहरी  म गाय गरबा नइ हे। जेन देवारी म अंगना लिपे बर, पुजा के गौरी-गणेश बनाए बर हमर गोबर ल बिसाही । कहिथे न नवा बईला के नवा सिंग चल रे बईला टिंगे  टिंग ।देखभन अहु "सरकार "ल हमर गोबर कतिक दिन संग दिही।


फकीर  प्रसाद साहू

    सुरगी

26-6-2020

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