लोकसंस्कृति के मया-धरमचुमा...
अभी बिहाव के सीजन चलत हे अउ सगा पहुना के रूप मा सउन्हे नता जुड़त हे...!
पहिली लोग- लइका नई नांदत रहीस त दाई-ददा मन, सरहा, सनीचरा, कचरा-बोदरा, जोजवा, कुसी, कोयली, बिरझा,ठुठी,
आनी बानी के नाव धरय, अउ मया दुलार करय, खेलाय पाय चुमय लइका मन बाढ़य त इही नाव के मजाक उड़ाके हांसय अउ अइसना नाव काबर धरिन तेन किसा बताय
अब कहा ओ समय के दिन ह नोहर होगे त कति बार ले देखे सुने ल मिलय हो
अउ फेर आज काल के मन तो बात बात मा ओ का निम्बा निम्बी के गोठ निकालके हांसथे संगी मन
कइसे बिसय ये *'धरमचुमा'* सुनके थोकुन सोचे धर लया का...? लेवव त आपमन के सोच के फेर ल ओहि मया दुलार डाहर लेगत हँव जेमा हमर छत्तीसगढ़ लोकसंस्कृति के एक ठन सुघ्घर दरपन छइँहा दिखथे जेला अलग- अलग बोली- भाखा मा अलग अलग कहे जाथे
चुमा के मातृभाषा हिंदी मा अर्थ होथे- चुम्बन, देखे मयारू डाहर सुध लम गे ना...!
अउ टपोरी लैंग्वेज म येला चुम्मा(उम्मा) घलो कहिथे
प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन जी के एक ठन गाना भारी फ़ेमस होय रहीस अउ आज भी ओ गाना ह धूम मचा देथे ओ गाना के बोल हरय- झुम्मा चुम्मा दे दे....! देखे मैं कहेंव न मन मा ये गाना के धुन बाजे लागिस न...!
अउ अलकरहा अंग्रेजी भाषा मा येला किस (Kiss) कहिथे वहहा फेर सुध लामा थे ग ओ फरवरी महीना के लव डे, पुतरी डे, पीपरमेंट डे अउ चुमा (किस) डे
अउ आनी बानी के जिनिस कथे
आजकल लइका होथे त कोनो सउन्हे ओला पा लिही, अउ ओला मुँह लगा कि चुम देही त इन्फ़ेक्शन हो जाहि हमर लइका ल कहिके ले लिही तइसे दिन आ गय हे गा
जेमा हमर छत्तीसगढ़ लोकसंस्कृति अउ सभ्यता ह हमर मान आय जेमा ये चुमा (चुम्बन) के रूप ह मया- ममता ले सुरु होथे,
जब कखरो इँहा नोनी बाबू (बच्चा) होथे ना त महतारी बाप,दाई-ददा,सियान-सियानिन, कका बड़ा, जमे झिन मन मोर बेटा मोर बेटी मोर दुलरुवा बेटा, हीरा बेटा, मोर रानी बेटी, मोर पुतरी बेटी कहिके चुमय अउ दुलारय
अउ उहि लइका मन बाढ़-उपज जाथे त उंकर बर-बिहाव करथे ओ समय मा,माऊंर सौंपे के बेरा,अउ टिकावन- भाँवर के बेरा पाँच बीजा चाँउर टिक के सब इहु गाल-उहू गाल ल बने बजा के उम्मा,उम्मा करके चुमा लेथे जेला *"धरम चुमा"* कहिथे अउ दाई अपन अँचरा मा अउ ददा अपन गमछा मा आँखी आँसू अउ न
नाक मुँह ल पोछत कथे - *जनम ल दय हन करम ल नई* सुघर रईहा अउ इही मया दुलार ल धरे रईहा...!✍🏻
*रचनाकार*
*सुनीता कुर्रे*
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