Monday 24 April 2023

पल्लवन--- मातु-पिता बैरी भए ,जे ना पढ़ाए बाल

 पल्लवन---


मातु-पिता बैरी भए ,जे ना पढ़ाए बाल

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बैरी के काम होथे नुकसान पहुँचाना अउ हितवा के काम होथे भलाई करना--उपकार करना। कोनो ल शिक्षित करना ल बड़ परोपकारी ,पुण्य कर्म माने जाथे।

   एक बच्चा बर माता-पिता ले बढ़के हितवा भला कोन हो सकथे? माता-पिता ल प्रथम गुरु कहे गे हे जेन सिरतोन आय फेर कोनो-कोनो माता-पिता मन अपन संतान के चाहे वो बेटी होवय या बेटा के शिक्षा म ध्यान नइ देके --- औलाद के बने-बने लालन-पालन,भरन-पोसन नइ करके अपन कर्तव्य ल नइ निभावयँ अउ ऊँकर जिनगी भर बर भारी नुकसान कर देथें। अइसन माँ-बाप तो सँउहे दुश्मन के समान होथें।

 हरेक माँ-बाप ल चाही के वो ह अपन संतान ल समुचित शिक्षा दय ,पढ़ावय-लिखावय। इहाँ शिक्षा के मतलब स्कूली शिक्षा तो हाबयच ,संगे संग   व्यावहारिक-समाजिक ज्ञान देना तको हे। अनपढ़ होना बहुत बड़े श्राप आय। अक्षर ज्ञान बिना जिनगी चलना दूभर हो जथे।पग-पग म ठोकर खाये बर परथे। आचार-विचार,बोल-चाल बने नइ रहे ले,समाज म मान-सम्मान नइ मिलय,दुनिया हेय दृष्टि ले देखथे।

 माता-पिता मन ल चाही के उन अपन बच्चा म बचपना ले बढ़िया संस्कार डालयँ,बड़े-छोटे के लिहाज करे ल सिखावयँ,अच्छा-अच्छा आदत डालयँ ,मया-दुलार देवयँ फेर उद्दंडता म तको रोक लगावयँ। जादा सोग मरे म,  जायज-नजायज जम्मों माँग ल माने म,  गलती हे तभो ले वोकर पक्ष लेये म बच्चा सरतियाँ बिगड़ जथे जेन आगू जाके माँ-बाप के सिर दर्द के कारण होथे।

  माता-पिता ल अपन बच्चा के संगति ऊपर तको बारीकी ले चेत रखना चाही।बच्चा ललचाहा थोरे बनत हे वोकरो ध्यान रखना चाही। आजकल चलन जइसे होगे हे के--सगा आथे तेन मन बच्चा ल रुपिया-पइसा धरा देथें।जागरूक माता-पिता मन बच्चा ल नइ ले बर सिखोथें। नहीं ते का होथे--पइसा झोंकत-झोंकत बच्चा ल लालच हो जथे अउ कभू कोनो सगा नइ देवय त वोकर ले पइसा माँगे ल धर लेथे। वो समे बड़ उटपुटाँग लागथे।

      माता-पिता के शिक्षा-दीक्षा नइ देये ले बच्चा मूर्ख हो जथे। मूर्ख बच्चा,माता-पिता बर कट्टर दुश्मन के समान हो जथे अउ जिहाँ दू-चार दुश्मन हे त झगरा-लड़ाई, गिद्ध-मसानी तो होबे करही।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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