Saturday 29 April 2023

भाव पल्लवन-- गाय चरावै राउत,दूध पियै बिलइया

 भाव पल्लवन--



गाय चरावै राउत,दूध पियै बिलइया

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ककरो गाय ल पहाटिया(राउत) ह जंगल-झाड़ी,खेत-खार म भटक-भटक के घाम-पियास,बरसत पानी ,कड़कड़ावत जाड़-शीत ल सहिके चराथे। गाय के मन लगाके सेवा-जतन करथे फेर वोला  मिहनत के अनुसार उचित मजदूरी नइ मिलय।गाय के दूध ल दुह के मालिक ल राउते ह देथे फेर मालिक ह वोला एक खोंची दूध ल तको नइ देवय ,भले अपन पोंसवा बिलई ल कटोरी भर दूध पियावत रहिथे।एकर मतलब ये हे के जाँगर टोर मिहनत करइया मजदूर के हक मारे जाथे।वोकर जमके शोषण होथे। वोकर हली-भली के चेत नइ रखे जावय।

    पूरा दुनिया म बनिहार-भुतिहार , गरीब  दिहाड़ी मजदूर मन के एही हाल हावय।मजदूर ह सबले मजबूर हे।कतकोन फेक्ट्री मालिक,ठेकेदार मन श्रमिक ले बारा-चउदा घंटा रगड़के काम लेथें।श्रमिक के बलबूता म कसके रुपिया कमाथें। अमीर मन अउ अमीर होवत जाथें फेर श्रमिक ल अतका कम रोजी  देथें के बने ढंग ले वोकर पेट तको नइ भरय--ढंग ले परिवार के पालन-पोषण तको नइ हो सकय।गरीब ह अउ गरीब होवत जाथे।

    एही हाल किसान के तको दिखथे। वोला लागत अउ मिहनत के अनुसार फसल के सहीं दाम नइ मिलय।फायदा बिचौलिया अउ बड़े व्यापारी मन उठा लेथें।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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