Monday 24 April 2023

व्यंग्य- कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा

व्यंग्य- कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा 

                    तुलसीदास जी हा जब दुनिया ले बिदा होय बर धरिस तब ओखर तिर म अबड़ अकन मनखे मन सकला गिन । उँख़र बहुत अकन चेला मन ला पढ़े लिखे ला नइ आवय । ओमन तुलसीदास जी ला पूछे लागिन – तैं चल देबे त हमन ला रामायण कोन सुनाही ... अऊ रामायण नइ सुन पाबो त हम कइसे तरबो ... ‌। तुलसीदास जी बतइन – पूरा रामचरित मानस पढ़े सुने के बहुत अधिक आवश्यकता नइ हे । कलयुग म तरे बर केवल नाम लेना ही पर्याप्त हे । जे मन लगा के नाम लिहि तेहा अपने अपन तर जहि ।

                    गोस्वामी जी अपन बात रखिन अउ दुनिया ले बिदा हो गिन । ओ समे मनखे मन समझिन के नाम लेना हे तेकर मतलब भगवान के नाम लेना हे  । इही समझ मनखे मन ... भगवान के नाम ले लेके तरे लागिन । कुछ समे पाछू देश हा अंग्रेज मन के गुलामी के जंजीर म बंधागे । अब गुलामी के बंधन ले छूटे बर भगवान के जगा जगा नाम संकीर्तन चले लगिस । भगवान के नाम म मनखे जोड़े के जबरदस्त शक्ति रिहिस । लोगन जुड़िन .. एक हाथ म दूसर ... दूसर हाथ म तीसर ... करत करत ... हाथ के श्रृंखला बनत गिस तब अतेक हाथ देख अंग्रेज मन ला इहाँ ले भागे बर मजबूर होय ला परगे । अपन हाथ .. अपन राज आगे । अब भगवान के नाम के का काम ... भगवान के नाम म तरे के शक्ति कमतियाये लगिस । अब तरे बर केवल नाम के उपयोग होय लगिस । भगवान के नाम भुलागे । अब मनखे हा भगवान बनगे । जेकर नाम म पार करवाये के शक्ति रिहिस तिही मनखे के नाम के जपन घेरी बेरी होय लगिस । ओखर नाम हा नाव [डोंगा] बनगे अऊ लोगन ला बइठे बइठे सुख देवत पार करे लगिस । मनखे हा भगवान थोरेन आय तेमा ... ओहा दुनिया म  एके ठन रहि ... । भगवान हा मनखे नइ बन सकय ... बपरा ला मनखे के रूप धरे बर बहुत सोंचे लगिस तब राम रूप म जनम धरे रिहिस .. फेर मनखे के बात निराला हे .. ओहा भगवान ले कतको शक्तिशाली  हो चुके रिहिस .. ओला भगवान बने बर एक क्षण नइ लागे । अब कतको मनखे हा भगवान के रूप धर डरिस अऊ अलग अलग अपन अपन लइक हाथ देख .. अलग अलग हाथ के खेवनहार बने लागिस .. तहन देश के तरक्की अऊ खुशियाली बर जुड़े हाथ हा ... धीरे धीरे एक दूसर ला या तो छोंड़े लागिस या एक दूसर ला खींचे लगिस या ढपेले लगिस । 

                     समय बहुत परिवर्तनशील रिहिस । कुछ मन तिर सिर्फ मनखे हा भगवान रिहिस तब  .. उनला पार उतरे के ना तो जल्दी रिहिस न फिकर ... फेर कुछ अइसे भी रिहिन जेमन बिगन मनखे भगवान के रिहिन .. उँकर बीच बिचार मंथन चलिस । येमन ला भगवान के सुरता आगिस तब इही मन भगवान ला भगवान बनाके .. खड़ा करे के उदिम ल लग गिन । कुछ दशक म इँकर मेहनत हा रंग जमा दिस ... भगवान हा भगवान के रूप म स्थापित होय लागिस ... भगवान के नाम के डोंगा म सवार अइसन मनखे मन पार उतरे के सपना ला सउँहत पूरा होवत देखे लागिन । 

                    मनखे ला भगवान मनइया मन ... भगवान के अस्तित्व ला नकार चुके रिहिन अऊ ओखर नाव लेवई तो धूर ... ओला केवल काल्पनिक पात्र घोषित कर डरिन । ओकर बनाये सेतु ला महज कल्पना बताये लागिन अऊ रामचरित मानस ला केवल किताब के नाव दे दिन । को जनी भगवान हा का नाराज होगे ... या भगवान ला मनइया मन ... उँकर अशीष के हाथ हा इँकर मुड़ी ले धूर भगागे । अब इँकर तिर खाये बर लाला थापा के नौबत आगे । इँकरो कतको सलाहकार रिहिन ... उनला समझ आय ला धरिस ... लुका लुका के भगवान के नाम के नाव संकीर्तन करे लगिन ... कुछ महिना म भगवान हा लुका के नाम लेवइया ला ... एक जगा म ... पाँच बछर पार लगा दिस । अब पार होवत उही जगा के मनखे मन ... जगा जगा बेर उज्जर राम रमायन के नाव जपे लागिन । 

                    उपर के कहानी हा तो बने बड़े मनखे मन के आय अब मंझोलन किसिम के मनखे मन के तिर म पहुँचे के प्रयास करथन । मंझोलन किसिम के मनखे मन जादा पढ़े लिखे चालाक नइ रहय । न वेद पुराण के पूरा ज्ञान .. न कर्मकाण्ड के । अब पेट तो यहू मनला चलाना रहय अऊ भवसागर ला घला पार उतरना रहय ।  अकेल्ला जंगल म जाके भगवान के नाव लेके देख डरिन ... भूख के मारे पोट पोट करत लहुँट दिन ... बपरा मन तरे के जगा मरे लगिन । घर म बइठके भगवान के नाम जपन के सोंचिन ... फेर ध्यान कहाँ लगय । नाम के सहारे दूसर मनला खावत पियत खुश रहत देख ... मन म ईर्ष्या जलन द्वेष स्वाभाविक हे । तभे इनला बुद्धि आगे । अब येमन भले अपन मन ... भगवान के नाम नइ लेवय फेर दूसर ला भगवान के नाम लेहे बर ... फेरी लगा लगाके प्रेरित करे लगिन .... दुकान चल गिस । पइसा सकलागे ... पेट भरे लगिस अब पुरखा अऊ वंशज दुनों ला तराये के फिकर हमागे । कुछ दिन म यहू समस्या के निदान होगे । बड़े बड़े मनखे तिर इन पहुँच गिन अऊ उँकर सहायता से भगवान के नाम म ... अपन बर दुकान बनवा डरिन । दुकान जबरदस्त चले लगिस । अब इनला तरे बर ... भगवान के नाम लेहे के आवश्यकता नइ रहि गिस ... अब दूसर मन भगवान के नाव लेहे लगिन अऊ इन तरे लागिन । 

                    बड़े मन नाम म तर चुकिन । मंझला मन तरतेच रहँय ... अब बपरा छोटे मन कइसे तरहीं । पार तो उहू मनला जाना रहय ... फेर पार करे के का उपाय ... । येमन जब भी मनखे भगवान के जै बोलाये बर संघरथें त ... बड़े मन तर जथें ... भगवान भगवान के जै बोलाये बर सकलाथें त ... मंझला मन तर जथें । कलयुग म इँकरे तरे के कोई उपाय नइ दिखत रहय । भगवान हा कइसे इँकर बात सुनय ... इँकर बुता कइसे होय समझ नइ आवत रहय ... । एक कोति मंझला मन घेरी बेरी अपन भगवान के नाम लेहे बर उकसावत रहँय त दूसर कोति बड़का मन अपन रचे भगवान के नाम लेहे बर मजबूर करत रहँय । मतभेद तो रहिबे करे रिहिस ... कुछ समे म इँकर मन के बीच म मनभेद आये के लक्षण दिखे लगिस ... बड़े मनखे मन के आधार खसके लगिस ... उपाय तुरते मिल गिस । अपन आधार बँचाये बर ... छोटे मन के आधार बनाना जरूरी होगिस । तब इँकर बर आधार हा कार्ड बनके आगिस । सबो झन के नाम मा आधार के उदय हो गिस । अब सबके सब ल आधार के नाम हा तारे लागिस । चऊँर सिरागे ... आधार के नाम म मिल जहि । बिगन बुता करे ओकर नाम ले पइसा झोंकले । नौकरी बर आधार ... छोकरी बर आधार ... ओकर नाम म हरेक जगा आना जाना घला आसान । अरे अब तो मशान घाट म कोन्हो लाश ला बिगन आधार के लेशे बर जगा नइ मिलय ।  

                    छोटे मन ला घला आधार के नाम अऊ नाम के आधार मिलगे । अब इँकरों भवसागर हा पार हो जहि ... भरोसा तो हे फेर एक जगा पेंच फँस जथे । इँकर नाव के आधार म ... दूसर मन अपन आधार बना डरथें । नाम इँकर .. तरय दूसर ... । साधारण मनखे मन गोस्वामी जी के कथन के भ्रम म परे हें ...  । कुछ मन सोंचथे ... केवल नाम हा तरे बर आधार हे ... त कुछ मन .. तरे बर आधार के नाम के पैरवी करथे । बपरा तुलसीदास हा का करही गा  .... ओहा अपन बात म नाम के महिमा बताये रिहिस के आधार के  ... सब अपन अपन अलग अलग व्याख्या कर लेथें अऊ ओकर बात ला सच साबित करे म अपन योगदान देहे म कोन्हो कसर बाँकी नइ रहन देवय । 

हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन ... छुरा .

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