Saturday 10 September 2022

जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा' (6 अप्रैल 1931 - 11 सितम्बर 2011) - दुर्गा प्रसाद पारकर


 

जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा'

(6 अप्रैल 1931 - 11 सितम्बर 2011)


- दुर्गा प्रसाद पारकर 


देखव हमर छत्तीसगढ़ कतेक महान हे,

सुनव हमर छत्तीसगढ़ अतेक महान हे।

छत्तीसगढ़ महतारी के मया म सबो बरोबर हे,

सब झिन एक समान हे, सुनव हमर छत्तीसगढ़ अतेक महान हे।

बिसम्बर यादव 'मरहा', सुनव हमर छत्तीसगढ़ अतेक महान हे।


हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म डॉ. खूबचंद बघेल, द्वारिका प्रसाद 'विप्र', कोदूराम दलित, हरि ठाकुर, उधोराम झखमार, नारायण लाल परमार, भगवती सेन, मेहत्तर राम साहू, नरेन्द्र देव वर्मा, बद्री विशाल परमानंद यदु, चतुर्भुज देवांगन, हेमनाथ वर्मा 'विकल', निरंजन लाल गुप्ता अउ जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा' कस कतनो विभुति मन जनम धरीन।

दुर्ग ले तीन किलोमीटर दुरिहा गांव बघेरा म भजनहा कुशाल यादव अउ चैती बाई के कोरा म गुड्डू बिसम्भर हा 6 अपै्रल 1931 के दिन अँवतरिस। कुशाल यादव हा राजमिस्त्री अउ मूर्ति कला म पारंगत रीहिसे। अपन ददा कस 'करनी' अउ माटी-गोटी संग खेलत-कूदत बिसम्भर ह देखते देखत स्कूल जाय के लइक होगे। लइका ह बने पढ़ लिख के अपन जीवन ला गढ़ही कहिके कुशाल यादव ह अपन दुलरूवा ला स्कूल म दाखिल करा दिस। 7 जुलाई ले दिसम्बर तक स्कूल के मुंहु ल देख पाइस ताहन बिसम्भर के मन ह पढ़ई म लगबेच नइ करीस। घर ले स्कूल जाय बर निकले अउ नवापारा दुर्ग म भांगर देव मंदिर म बइठे राहय। भगवान ह तो बिसम्भर ला पढ़े बर नही बल्कि कविता गढ़े पर भेजे रीहिसे। कुशाल ह रोजी रोटी के जुगाड़ म लगे राहय एती बिसम्भर हा अपन संगवारी मन संग खेलकूद म मगन राहय। एक दिन रामचन्द्र देखमुख के ददा के नजर हा भांवरा, बांटी खेलत बिसम्भर यादव ऊपर परगे ताहन दाऊ जी ह बिसम्भर ल अपन घर राख लीस फेर बिसम्भर ल जादा दिन राख नइ पइस दाऊ बाड़ा म। जाने सुने के लइक होइस ताहन अपन रोजी-रोटी के जुगाड़ मा भीड़गे अउ दाऊ बाड़ा ला छोड़ के लकड़ी फाटा छोले चांचे बर सीखे बर धर लीस।

रामचन्द्र दाऊ ह मालगुजार बाप के बेटा रीहिसे। नवा-नवा वकीली पढ़ के गांव म आय रीहिसे। वो बखत वोकर जबर रूतबा रीहिसे। वो समे बिसम्भर ह लगभग 14-15 बच्छर के रीहिसे। गांव वाले अउ दाऊ के झगरा के जहर ला पी के बघेरा गांव के शांति अउ सद्भाव ह मरे बर धर ले रीहिसे। बिसम्भर यादव मोला बताए रीहिसे-एक दिन के बात आय-बाड़ा म दस झिन के बिचार ल अपन-अपन लिफाफा म भर देन। दसो लिफाफा म जब दाऊ जी ह खोधिया के निकालिस ल वोमा मोरे लिफाफा ह हाथ लगगे। लिफाफा ल खोल के कागज ला जब फरिहा के दाऊ जी पढ़िस त वोमे लिखाय रीहिस -


प्रजा पालन राजा करे,

पुत्र पालन करे मां-बाप।

का दुसर के कहिनी म,

लड़त हवव सब आप।


कविता के पढ़ते भार दाऊ जी के आंखी ले आंसू ह तरतर-तरतर निथरगे। कोतवाल करा हांका परवा के चौपाल म गांव वाले मन के बइठक सकेलिस। गुटबाजी अउ मनमुटाव के कचरा ल सरो के खेत बर खातु बना डरिस ताहन इसी खातू के भरोसा चंदैनी गोंदा के सोर ह भारत भर बगरीस। बिसम्भर यादव सोचिस कि जब चार लकीर के कविता म गांव के अतेक बड़ समस्या के निदान होगे ता फेर अऊ कविता लिखहंू ते देश के बड़ेब बड़े समस्या के हल हो सकथे। लोगन मन बर मोर कविता खुशहाली के साधन बन सकथे। इही आशा म बिसम्भर यादव कविता गढ़े के शुरू करीस। एक डाहर दाऊ रामचन्द्र देखमुख ह चंदैनी गोंदा के तैयारी म लगगे। दुसर डाहर बिसम्भर यादव ह कविता अउ परिवार गढ़ई म लगगे।

बिसम्भर यादव ल भाग्य ले भगवन्तीन कस गोसइन मिलिस जउन कविता के प्रेरणा बनीस। दुनो झन के डाला शाखा बाढ़िस। तीन झिन दुलरूवा बेटा- जीवन, रमेश, अरूण अउ दु झिन दुलौरिन बेटी कांती अउ दुलारी ह पीपर पेड़ के छइहां म खेलत-कूदत बाढ़िन। जीवन यापन बर बढ़ई गीरी के संगे संग चंदैनी गोंदा मा जीपरहा कवि के अभिनय घलो करय। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक नाट्य कारी म 'पटइल' के अभिनय करके जनमानस ल अपन अभिनय के लोहा मनवा लिस। बिसम्भर कवि के संगे-संग बढ़िहा कलाकार घलो रीहिसे। तभे तो कविता ला पूरा अभिनय के संग प्रस्तुत करय।

वोकर बाद तो गांव के मंच ले बड़े-बड़े कवि सम्मेलन म बिसम्भर यादव के कविता यात्रा शुरू होगे। टेमरी (सिमगा) म पं. द्वारिका प्रसाद 'विप्र' के बरसी कार्यक्रम म छत्तीसगढ़ के जाने-माने कवि मन नेवताये रीहिन हे। कवि सम्मेलन मा बिसम्बर यादव ह 'मरहा के आंसू' कविता ल सुनइस -


भेदभाव ल छोड़ के

सब भारतवासी कूद परीन

आजादी के सागर म

आजादी तो मिलिस लेकिन

सागर समा गे कुछ गागर म

तो गागर ल फोरना जरूरी हे

अपासी के पानी बंजर म बोहावत हे

वोला फसल डाहर मोड़ना जरूरी हे

एक डाहर पानी फोकट बोहावत हे

दुसर डाहर पानी बिना फसल सूखावत हे

बिसम्भर यादव मरहा दुसर डाहर पानी बिना फसल सूखावत हे।


कविता ले प्रभावित हो के माई पहुना संत कवि पवन दीवान अउ वरिष्ठ साहित्यकार श्यामलाल चतुर्वेदी के अध्यक्षता म चंदैनी गोंदा के सर्जक दाऊ रामचन्द्र देखमुख ह ये प्रस्ताव रखीस कि बिसम्भर यादव ह अपन उपनाम 'मरहा' राखय। सुनते भार सबो झिन समर्थन कर दिन ताहन उही दिन ले बिसम्भर यादव ह बिसम्भर यादव 'मरहा' होगे। धन दौलत ले यादव जी भले मरहा रीहिसे फेर कविता म सजोर रीहिसे। छत्तीसगढ़ भर रामायण सम्मेलन ह बिसम्भर यादव बिना अधूरा लागय। रामायण सम्मेलन के माध्यम ले बिसम्भर यादव जन-जन के हिरदे तक पहुंचगे ताहन तो बिसम्भर यादव छत्तीसगढ़ के जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा' होगे।

पांच हजार ले जादा मंच मा टोपी लगाये धोती कूरता पहिरे सइकिल म जा-जा के कविता पढ़इया मरहा जी ल इंडिया टू डे हा मैराथन कवि के रूप म छापे रीहिसे। छत्तीसगढ़ म तो मरहा नाइट चलै। मरहा ल डॉ. पाटणकर के संगति म डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, दीनदयाल उपाध्याय, गुलजारी लाल नंदा, अटल बिहारी वाजपेयी अउ यशवंत राव चौव्हाण जइसे व्यक्तित्व मन ले भेंट करे के मौका मिले रीहिसे। महात्मा गांधी ले प्रभावित छत्तीसगढ़ के कबीर सादा जीवन अउ उच्च बिचार ला पोसे रीहिसे। यादव जी मंच के पारखी रीहिसे। कते कविता ल कहां सुनाना हे तेखर चयन म हुशियार राहे। सबो वर्ग बर आनी-बानी के कविता वोकर कोठी म भराय राहै, वहू मुखाग्र। लगभग 300 कविता मुखाग्र रीहिसे मरहा ल। यादव जी काहय अलवा-जलवा अक्षर अज्ञान ले मोला खुशी के काबर कि जादा पढ़तेंव-लिखतेंव ते अपन पढ़ई-लिखई के घमण्ड हो जतीस ताहन अतेक अकन कविता ला सुरता नइ कर पातेंव।

बिसम्भर यादव 'मरहा' के ददा कुशाल यादव ह तमूरा अउ चटका धर के भजन गावय तिही पाय के कुशाल ल भजनहा घलो काहय। आजो घलो यादव घर ल भजनहा घर के नाव ले जानथे। मरहा ल घलो भगवान राम के प्रति अपार प्रेम रीहिसे तभे तो छोटे डायरी के एक पन्ना म रोज राम-राम लिखय। रामायण सम्मेलन म साल भर कविता पढ़े के सेती बिसम्भर यादव ल भक्त राज के नाव ले घलो प्रसिद्ध होगे। भक्त राज जनकवि बिसम्भर यादव मरहा ह जिनगी के सार बताये हे -


सुख, दुख तो भगवान के विधान हे

हमर जीवन हा दिन अउ रात के समान हे

बिसम्भर यादव मरहा-हमर जीवन ह दिन अउ रात के समान हे।


अब तक ले बिसम्भर यादव 'मरहा' के दु ठन काव्य संग्रह 'हमर अमर तिरंगा' अउ 'माटी के लाल' डॉ. गिरधर शर्मा अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ साहित्यकार परिषद बिलासपुर के संपादन म प्रकाशित होय हे। छत्तीसगढ़ के लाल म प्रमुख रूप ले रविशंकर शुक्ल जी ला परनाम, बाबा गुरू घासीदास ल परनाम, वीर नारायण जी ल परनाम हे, श्रद्धा सुमन डॉ. खूबचंद बघेल ल, छत्तीसगढ़ के वीर सेनानी, छत्तीसढ़हीन महिला मन के बलिदान अउ हमर अमर तिरंगा म भारत भुइयाँ के पूजा, अइसे मिलिस आजादी, भारत के स्वर्ग काश्मीर, पारसमणी महात्मा गांधी, सुरता नेहरू जी के, आजादी के आधार आदि कविता मन शामिल हे।

बड़े बेटा जीवन यादव ह अपन भजनहा बबा अउ भक्तराज ददा के परम्परा ल आघू बढ़ावत रीहिसे ओह जगत जननी महामाया के जसगीत लिखय। दुरिहा-दुरिहा ले वोकर सोर बगरे रीहिसे। सन् 2000 म अकस्मात बड़े बेटा के इंतकाल होवइ ह घर भर ल दंदोर दिस। मरहा के छोटे बेटा अरूण ह बतइस कि बड़े भइया के गुजरे ले महतारी ल भारी सदमा लगिस। महतारी ल पहाड़ असन दुख ल नइ सहि सकिस अउ चार-छै महीना के भीतर महतारी घलो सब झन ल छोड़ के स्वर्ग सिधारगे। वोकर बाद तो बिसम्भर यादव दुख के सागर म बुड़गे रिहिसे। तभो ले हिमालय कस हिम्मत वाले बिसम्भर यादव 'मरहा' कविता पढ़े बर नइ छोड़िस। 'आसु' कवि मरहा काहय -


वोइसे तो जिनगी एक सफर हे

मरना सबला हे इहां कोन अमर हे

अपन बर जीना कोई जीना हे

अपन बर जीने वाला तो जानवर हे

बिसम्भर यादव मरहा-अपन बर जीने वाला तो जानवर हे।


जानवर केहे म सुरता अइस कि मरहा के गोसइन ला खतम होय लगभग छै-सात बच्छर होय रीहिसे बांवत बियासी के बखत बघेरा म एक ठन बइला ह बिसम्भर ल उठा के दनाक ले पटक दिस। मरहा के जेऊनी हाथ फ्रेक्चर होगे। माई पिल्ला बिक्कट सेवा करीन। बहू-बेटा मन दिन-रात सेवा म लगे राहय। ले दे के बने होइस ताहन साइकिल मा दुरूग जावत रीहिसे। जावत-जावत चण्डी मंदिर करा गिरगे। अब तो दुब्बर बर दु अषाढ़ होगे ताहन फेर इलाज पानी चलिस फेर थोर बहुत बने होइस ताहन घर म बदाक ले गीरिस ताहन उठबे नइ करीस। तीन साल ले खटियच्च म रीहिस। घर म जाके 7 अप्रैल 2011 के दिन चिन्हारी साहित्य समिति (संयोजक-दुर्गा प्रसाद पारकर) भिलाई डहार ले छत्तीसगढ़ के गरिमामय चिन्हारी सम्मान-2011 ले सम्मानित करे गिस।

11 सितम्बर 2011 के दिन बिहनिया 6 बजे मरहा के छोटे बेटा अरूण के फोन अइस-भइया मोर ददा के बीते रात 10 बजे इंतकाल होगे। आज काठी हे आबे कहिके। कविता ला जोरत-जोरत यादव जी के जिनगी कइसे बुलकगे वोकर आरो नइ लगिस। धन दौलत के जोरइया मन बर मरहा लिखे हे -


जोरत-जोरत जिनगी बीतगे, तब ले मन नइ भरे रीहिस

जुच्छा हाथ जोरइया चल दिस, धन-दौलत सब परे रीहिस।


अंतिम संस्कार के दिन छत्तीसगढ़ भर के साहित्यकार अउ कलाकार मन पहुंचे रीहिन हे। भगवान घलो अपन भक्त के अंतिम बिदाई म रिमझिम-रिमझिम पानी बरसावत रीहिसे। बघेरा गांव वाले मन अपन रतन बेटा ल श्रद्धांजलि के रूप म नवा मुक्तिधाम के उद्घाटन मरहा के चिता ल आगी दे के करीन। संगे संग मसान घाट म भक्तराज के सुरता म बर पेड़ (वृक्ष वृक्ष) लइगन। मरहा के खटली के बांस ल बर पेड़ बर रूंधना अउ पिताम्बरी ल रूंधना के बंधना बनइन। महु (दुर्गा प्रसाद पारकर) माँ कल्याणी शीतला समिति मड़ौदा भिलाई के तत्काली अध्यक्ष संतोष रावत के संग यादव जी के काठी म गे रेहेंव। यादव जी के सुरता म गाँव वाले मन ल बर पेड़ लगावत देख के संतोष रावत जी किहिस-पारकर जी हम्मन जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा'  के सुरता म का कर सकथन? मँय केहेंव-यादव जी के सुरता म 'बिसम्भर यादव मरहा सम्मान' के शुरूवात करके ओकर परम्परा ला आघू बढ़ा सकथन। रावत जी ल जम गे ओकर बाद चैत्र नवरात्रि षष्ठी के दिन 2012 ले माँ कल्याणी शीतला समिति ह बिसम्भर यादव मरहा सम्मान के शुरूआत करिन।

13 अक्टूबर 2011 के दिन माननीय भूपेश बघेल जी के संयोजन मा पाटन ब्लाक के अचानकपुर गांव म बिसम्भर यादव मरहा ल श्रद्धांजलि देवत मरहा के परम्परा ल आघु बढ़ाय बर संत कवि पवन दीवान ह मरहा के नाती यशवंत यादव ल 'बाल कवि' के उपाधि दे के जिम्मेदारी सौंपीस।

जनकवि बिसम्भर यादव 'मरहा' जी ल शत् शत् नमन हे, शत् शत् नमन हे।

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