Saturday 10 September 2022

छत्तीसगढ़ी (लोक कथा) एक लोटा पानी

 छत्तीसगढ़ी (लोक कथा)


एक लोटा पानी


*भोला राम सिन्हा*


एक गाँव म रंगी नाव के एक गौंटिया राहय।वोहा बड़ घमंडी राहय।वोकर घर नौकर-चाकर ,धन - दौलत सबो रहय।गाँव म वोकरे राज चलय।रंगी के एक झन बेटी रिहिस।वोहा अड़बड़ सुन्दर अउ गुणवनतीन रिहिस।गाँव के एक किसान ह अपन बेटी के बिहाव करिस त वोहा गाँव के सबो मनखे के संगे-संग गौंटिया ल मंझनिया कुन जेंवन बर नेवता दिस।किसान घर सबो नेवताय सगा मन खाय बर आ जथे,फेर रंगी गौंटिया ल अतका अपन चीज-बस के घमंड रिहिस कि ओहा अपन नौकर कर एक लोटा पानी ल किसान के घर म भेज देथे।

ये बात ल ओकर बेटी जानिस त अपन ददा ल किहिस-"ददा ते ह खाना खाय  बर नइ जावत हस अउ एक लोटा पानी ल नौकर कर भेजवा देस।ये ह बने बात  नोहे ददा,तोला खाय बर जाना चाही।"

अपन बेटी के गोठ ल सुन के वोकर ददा किहिस-" मेहा गाँव भर के गौंटिया अउ गरिबहा मन घर खाय बर जाहूँ,नइ जावंव।"

गौंटिया ह अपन बेटी के बात ल नइ मानिस।गाँव म काकरो घर बिहाव होय त गौंटिया ह अपन नौकर कर एक लोटा पानी ल भेजवा देवय।दिन बितत गिस।गौंटिया के बेटी बिहाव के लइक हो जथे।ओकर बेटी जानथे कि मोर ददा ह घमंडी हावे,वोला सबक सिखाना जरुरी हे।इही बीच म ओकर बेटी  के रिसता तय हो जथे।बिहाव के दू दिन पहिली  गाँव के मनखे मन ल ओकर बेटी चेता देथे ,कि मोर बिहाव माड़ही अउ ददा ह सबो गाँव भर ल खाना खाय के नेवता दिही त एकक लोटा पानी धर के आहू फेर कोनो झन खाहू।दू दिन के बाद बिहाव माढ़ जथे,ऐती गौंटिया ह गाँव वाला मन बर बरा,सोंहारी,मोती चुर के लड्डू अउ बोरे बरा बनाय रिहिस।

गौंटिया ह नौकर ल गाँव के जम्मो मनखे मन ल मंझनिया कुन जेंवन करे बर नेवता देयबर भेजिस ।नौकर ह नेवता नेउत के आ जथे।

अब ऐती गाँव के सबो मनखे मन एकक  लोटा पानी धर के गौंटिया के घर म मढ़ा देथे अउ अपन-अपन घर जाए बर लग जथे।गौंटिया ह देख के दंग रही जथे,वोला तुरते सुरता आ जथे कि महू ह इंकर मन संग अइसने बेवहार करे रेहेंव तेकर सेती यहू मन मोर संग वइसने बेवहार करत हे।

गौंटिया ल अपन गलती के ऐहसास  हो जथे ,वोहा तुरते गाँव के सबो मनखे मन ले हाथ जोड़ के माफी मांगथे।ओकर बेटी कथे " मनखे ल अपन चीज बस के घमंड़ नइ करना चाही,भलुक अमीर-गरीब सब झन ल हिलमिल के रहना चाही।


भोला राम सिन्हा

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