डॉ . निरुपमा शर्मा
छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति ल अपन साहित्य मं सबले ऊंच आसन देवइया , प्रथम मंचीय कवयित्री डॉ निरुपमा शर्मा के पहिचान बनिस ऊंकर कविता अउ गीत मन ,त सबले पहिली प्रकाशित कविता संग्रह " पतरेंगी " पाठक के हाथ लगिस । कोनो महिला के कलम से पुरुष सुंदरता के वर्णन ओहू तइहा दिन मं भारी अचंभो के बात आय फेर उन करिन । कालिदास , सेनापति , पदमाकर के परम्परा ल छत्तीसगढ़ी मं आघू बढ़ाइस " ऋतु वर्णन " कविता संग्रह हर ..। दूनों काव्यसंग्रह के अधिकांश रचना लय , तुक , गेयता के गुण से भरे हुए हे । " हमर चिन्हारी " छत्तीसगढ़ के संस्कृति के शंखनाद आय ।
गीत विधा हर जल्दी अउ जादा मनसे के मन मं जघा बना लेथे एकरो फायदा निरुपमा शर्मा ल मिलिस त सोना मं सोहागा बनिस कविसम्मेलन के मंचीय प्रस्तुति मन । आकाशवाणी घलाय उंकर लोकप्रियता ल बढ़ावा दिहिस ।
छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति , लोक गीत , लोकनृत्य के संगे संग छत्तीसगढ़ के नामकरण , इतिहास , पुरातात्विक महत्व असन विषय वस्तु मन उंकर कलम ल गद्य विधा डहर ले चलिन त सन् 2009 मं " इंद्र धनुषी छत्तीसगढ़ " किताब लिखिन । ये किताब मं लोक के वैश्विक प्रतिमान मन के मूल्यांकन घलाय मिलथे । हमर खान पान , रहन सहन , तीज तिहार के वर्णन संग छत्तीसगढ़िया मनसे के उज्जर मन के परिचय घलाय तो मिलथे ।
" चिंतन के बिंदु " अउ" दत्तात्रेय के चौबीस गुरु " के बाद " मूल्यजनक पुराख्यान " लइका सियान सबो झन बर सहज जीवन दर्शन के सारतत्व समझाने वाला किताब आय । शोध ग्रन्थ के " ददरिया की सांस्कृतिक पृष्टभूमि " पाठक मन बर अनमोल रचना आय काबर के जेन ददरिया ल तइहा दिन मं खेत खार छोड़ के गली , मोहल्ला मं गाए के मनाही रहिस अतके नहीं ददरिया ल प्रेम प्रसंग के सवाल जवाब शैली के रचना माने जावत रहिस ओमा समसामयिक प्रसंग के अवधारित अंश मन भी जघा मिलिस " झंडा तिरंगा लगे हे दिल्ली , रजधानी ये हमर सहर दिल्ली । "
ददरिया मं लोकमानस के सहज अभिव्यक्ति , प्रकृति के पंचरंगा सिंगार , लयात्मकता , मुक्तक काव्य शैली मिलथे....डॉ. निरुपमा शर्मा के अनमोल देन ये किताब मं मिलथे ।
सन् 2018 मं दुर्ग मं " डॉ . निरुपमा शर्मा समग्र " समारोह के एक दिवसीय आयोजन होए रहिस , संयोजक सरला शर्मा रहिस । एकर दूसर विशेषता बिहनिया दस बजे ले सांझ के 5 बजे तक चलिस ए कार्यक्रम सिर्फ गद्य / वक्तव्य प्रधान रहिस ।
अभी उनला गए साल भर नइ पुरे हे ...अभी तो मन हर समंगल तियारे नइ होए हे के अब ऊंकर संग ए जनम मं फेर कभू भेंट नइ हो सकय तभो माने बर तो परबेच करही । इही देखव न पितर पाख मं आज मैं डॉ . निरुपमा शर्मा ल आखर के अरघ देवत हंव ...।
सरला शर्मा
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