Thursday 8 September 2022

लोक कथा - *शिवनाथ*

 लोक कथा - *शिवनाथ* 



*- दुर्गा प्रसाद पारकर*


शिवनाथ नदिया गोड़री गांव ले निकले हे। ये गांव ह महाराष्ट्र जिला के सोनपुर पंचायत म आथे। छत्तीसगढ़ सीमा ले लगे होय के सेती छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रभाव घलो दिखथे। दंतकथा के मुताबिक तइहा के बात आय टीपागढ़ के राजा मन सात भाई अउ एक बहिनी होवत रिहिन। राजा मन के बहिनी के नाव फूलबासन रिहिस, फेर सात भाई मन के बाद फूलबासन अवतरे रिहिसे तेकर सेती फूलबासन ल सतवन्तीन घलो काहय। गोड़री गांव के एक झन जवान जेकर नाव शिवनाथ रिहिस वोहा सुघर नाचत गावत अपन म मगन राहय। शिवनाथ के मांदरी नृत्य ल देखके राजकुमारी फूलबासन ह मोहित होगे। फूलबासन ह शिवनाथ ल अपन बनाय बर कतनो उदीम करीस फेर वोहा राजकुमारी के बस म नी अइस। राजकुमारी हा अब्बड़ उदीम करे के बाद शिवनाथ ल मोहे बर कलेचुप मोहनी खवा दिस। धीरे धीरे शिवनाथ ल राजकुमारी ह अपन वश म कर लीस। ये खबर ह राजा ल पता चल गे। राजा हा फूलबासन के पसंद के मुताबिक शिवनाथ के संग बिहाव करे बर राजी हो जथे। गोंड़ परम्परा के मुताबिक शिवनाथ ल तीन बछर बर लमसेना राखिन। लमसेना शिवनाथ ल टीपागढ़ के सतडोंगरी ल तीन बछर म बांधे बर बूता जोंगिस। राजा के मुताबिक शिवनाथ ह सतडोंगरी बांधे बर शुरू करिस। बीच-बीच म लुका लुका के राजकुमारी ह शिवनाथ संग मिलके मया पिरीत के गोठ गोठियावत सतडोंगरी ला बांधे बर घलो सहयोग करे लगिस।

एती इही बछर सुक्खा परगे। राजा मन ल चिन्ता होगे अपन फसल ल बचाय बर। राजा मन पानी भरान खातिर गोड़री के बाहरा ल बांधे बर उदीम करिन। एकर बाद दरोगा ह बनिहार मन ला लेग के बाहरा बांधे बर शुरू करिस। बाहरा तो बंधागे फेर मुहीं (मुहाना) ह बंधाबे नइ करय। एक दिन राजा ह दरोगा ल पूछथे! कइसे दरोगा बाहरा बंधागे ? दरोगा कहिथे-आजू बाजू तो बंधागे राजा जी... फेर मुहीं ह नइ बंधावत हे। राजा कहिथे-मुहीं ह कहां ले बंधाही? दरोगा कहिथे वो-कइसे? राजा कहिथे-एला तो बाद में बताहूं, पहली तेंहा सबो भाई मन ला काली के बैठक के खबर दे...।

बिहान दिन राजा मन बइठक म सकलइन। बड़े राजा बइठक के कारन बतइस कि मुहीं ह मोला सपना देहे - जब तक ले एक झिन साबूत मनखे ल मुहीं म नी पाटहू... तब तक ले मँय नइ बंधावंव। बइठक म सबो भाई मिलके शिवनाथ ल मुहीं म पाटे बर तय करिन। एक रात राजा मन शिवनाथ ल भुलवार के गोड़री के बाहरा म लेग के पाट दीन...। राजा मन के लहूटे के बाद फूलबासन पूछथे मोर लमसेना कहां हे ? त राजा मन हा - सोजहा जवाब नई दीन। ओकर बाद राजा मन फूलबासन संग चारों कोती खोजे के ओखी करत रहिन... फेर शिवनाथ के थोरको आरो नी मिलत रिहिस।

ऐती फूलबासन शिवनाथ के रद्दा ल देखत देखत उदास होके अंधियारी रात म फूलबासन ह अकेल्ला अपन लमसेना शिवनाथ ल खोजे बर निकल जथे। गाय के खड़पड़िया ल बजावत बजावत, शिवनाथ... शिवनाथ... चिल्लावत... बही भूतही कस खोजत गोड़री के बाहरा करा पहुंचगे। बाहरा मेर कुंदरा म एक झिन सियानिन दाई सुते रिहिस। खड़पड़िया के आवाज ल सुनके सियानिन के नींद खुलगे। आंखी ल रमजत सियानिन ह कहिथे- ये गाय ह बिक्कट लाहो ले डरीस... सुतन घलो नी देवय... तेकर ले तो... एला शिवनाथ ला पाटे हे... तइसने... मुरकेट के पाट देतिस...। अतका ल राजकुमारी फूलबासन सुन डरीस तहान रटपीट-रटपीट सियानिन करा गिस। सियानिन सुकुड़दम रहिगे। राजकुमारी कहिथे - डर्रा मत दाई, ते का केहे तेला एक घांव अउ कहा। सियानिन अपन जान के डर के मारे बताबे नइ करय... आखिर म राजकुमारी के अंतस के पीरा ल देख के कथे - शिवनाथ ला पाटे हे तइसने ए गाय ला घलो पाट देतिस... अइसने तो केहे रेहेंव राजकुमारी - ये बात ला सुन के राजकुमारी बोम फार के रोथे। राजकुमारी कहिथे- कोन मेर पाटे हे दाई बताना ? मँय कोनो ल नइ बताँव... सियानिन कथे- राजा मन ला झन बताबे बेटी... नहीं ते मोर खड़री ल वोदार डारही। राजकुमारी कहिथे... नी बताँव दाई, नी बताँव... सियानिन कहिथे - शिवनाथ ल मुहीं में तोर सातों भाई मन पाटे हे बेटी... (अपन ला सम्हालत) रोवत-रोवत फूलबासन कथे-चल न दाई... मुहीं करा जाबोन। दुनो झिन मुंही करा जाथे अउ तरमिर तरमिर शिवनाथ ल बहुत खोजथे फेर नइ मिलय। जब तब ले बाहरा हा पानी म लबालब भरा जाय रथे। फूलबासन ह जोर से चिल्ला के कहिथे... आज हमर मया के परीक्षा हे शिवनाथ। तेंहा वाजिब म मोर संग मया करत रेहे होबे त तँय मोला अपन चिन्हा देखा दे! वोतके बेर शिवनाथ के एक ठन अंगरी ह जेमा मुंदरी ल पहिने रहिथे तेहा लुगरा में अरझगे। लहूट के देखिस तब फूलबासन ह अपन मया के मुंदरी ल चिन्ह डरिस ताहन अपन लमसेना ल निकाले बर कोड़ियाये ल धर लीस। कोड़त - कोड़त अपन भाई मन ल दोस देवत काहत रिहिस हे वाह भाई हो! वाह! मोर जीवन के रक्षा करइया हो... मोर मया के बली चढ़ा देव...! चल शिवनाथ इहां नी राहन... चल छत्तीसगढ़ जाबोन... काहते काहत जलरंग (लबालब) पानी ह मुहीं ल भगेल देथे। बिचारी फूलबासन ह शिवनाथ के अंगरी ल धरे दुनो झिन संघरा धार म बोहागे। शिवनाथ अउ फूलबासन के मया पिरीत के इही बंधना हा शिवनाथ नदिया (नदी) के उद्गम के कारन बनिस।


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