Thursday 8 September 2022

छत्तीसगढ़ी लोककथा -सरला शर्मा

 छत्तीसगढ़ी लोककथा -सरला शर्मा

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         लोककथा माने जन मन के कथा , आम आदमी के मन मं संसार के सबो जीव जंतु , रूख राई , धरम करम , सुख शांति , के कथा त अइसन कथा मन वाचिक परम्परा के साहित्य आंय प्रिंट मीडिया के विकास के संगे संग लोककथा घलाय हर शिष्ट साहित्य के अंग बनिस । लोककथा के जुन्ना रूप ऋग्वेद के संवाद सूक्त ल माने जाथे आघू चल के पंचतंत्र , हितोपदेश , बैताल पचीसी , सिंहासन बत्तीसी अउ कोनो कोनो बुधियार मन जातक कथा ल भी मानथें । 

     लोककथा हर बाल साहित्य के मूल आधार आय जेकर उद्देश्य मनसे के मन मं चारित्रिक विकास के बीज बोना होथे । सबो लोककथा के अंग होथे कथानक , चरित्र चित्रण , संवाद , संघर्ष , उपदेश , शैली त प्रकृति अउ जड़ चेतन बर प्रेम के भाव । 

भाषा के विकास के संगे संग मनसे के मन मं चारित्रिक विकास , लोकमंगल के भाव , असत ऊपर सत के विजय हर लोककथा के प्राण तत्व आय । एकर से मानवीय संवेदना ल विस्तार मिलथे । लोककथा 4 प्रकार के मिलथे पहिली उपदेशात्मक दूसर सामाजिक तीसर धार्मिक चौथइया मनोरंजन वाला सबो के विशेषता होथे मनसे के सोच विचार , तर्क वितर्क संग कल्पना के उड़ान । मनसे के मन मं लोककल्याण के भावना के विकास देखव के कथा के अंत मं कहिथें " जइसे ओकर दिन बहुरिस तइसे सबो के बहुरय । " कोनो कोनो कहिथें अंत भला त सब भला । सबले बड़े बात के लोककथा मं प्रकृति मनसे संग गोठ बात करथे , धीरज , साहस देथे । 

 चुरकी भुरकी लोककथा प्रकृति के संरक्षण के सन्देश देथे अइसने बेंदरा के चतुराई बिपत परे मं भी धीरज धर के संकट ले उबरे के सन्देश देथे । 

    लोककथा के उद्देश्य जीवन ल सुख सनात से भरना घलाय होथे । 

   लोकाक्षर मं बुधियार लिखइया मन लोककथा लिखत हें खुशी के बात आय तेकरे  बर मैं अलग  से कोनो लोककथा नइ लिखे हंव , डॉ. परदेशी राम वर्मा के संपादन मं छत्तीसगढ़ के लोककथा संग्रह दिल्ली के प्रकाशित होए हे जेहर संग्रहणीय किताब हे । 

    सरला शर्मा 

     दुर्ग

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