छत्तीसगढ़ी हाना
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*१. धान भाई भली*
*कुटी खाई चली*
*अर्थ- धान ले चाऊर निकाल के भोजन पकाना सरल-सुगम काम आय*
*२. सेतुवा- मनमेतुवा*
*कब घोली,कब घाली ?*
*कब गिलास ढाली*
*कब कंठ उतारी ?*
*अर्थ:- सेतुवा पावडर ल घोल के पीना बड़ा पीचकाट बूता आय*
*३. काड़ी नहीं मूसर*
*तैं नहीं दूसर*
*अर्थ- एकर से नहीं, तव ओकर से काम पूरा करना |*
*३. ना पहिरे के धोती*
*ना ओढ़े के दुसाला*
*तव निचोवौं काला*?
*अर्थ- बहुंत तंग हाल, करारी साधन से गुजर-बसर करना*
*४. ना पकड़े के पूछी*
*ना ही धरे के कान*
*अर्थ:- ना गांव म घर, ना ही खार म खेत वाली बात, अर्थात सम्पत्ति विहीन, आधार हीन मनखे होना*
*५. ना उधो के लेना*
*ना माधो के देना*
*, अर्थ:- किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं होना*
*६. गांव के जोगी जोगड़ा*
*बाहर के सिद्ध*
*अर्थ- नजदीक या आसानि से उपलब्ध व्यक्ति या वस्तु को महत्व हीन समझना*
*७. तेली घर तेल रहिथे*
*तव पहार ला नइ पोतैं*
*अर्थ- पर्याप्त मात्रा म कोनो चीज रहिथे,तभो ले दुरूपयोग नहीं करना चाही*
*८. गोल्लर (संढ़वा) ल हरहा कोनो नइ कहैं*
*अर्थ-समर्थवान मनखे ल कसूरवार कोनो नइ कहैं*
*९. गुड़-गोबर एक कर देना*
*अर्थ- मूल्यवान वस्तु ल मूल्यहीन बना देना*
*१०. एके पूस म जाड़ नइ जाय*
*अर्थ-बुरा वक्त सबके साथ खच्चित आथे*
*११. दूध के जरे ह मही ल फूंक-फूंक के पीथे*
*अर्थ-एक बार कोनो व्यक्ति या वस्तु से धोखा खाए के बाद मनखे सचेत हो जाथे*
*११. छाती म कोदो दरना*
*अर्थ - कोनो मनखे ल बार-बार खरा-खोटा सुनाना*
*१२. हरही गाय कछारे जाय*
*अर्थ- एक बार चोरी या कुकर्म के आदत होय ले बार-बार कुकर्म करना*
*१३. हरहा संग कपिला के विनाश*
*अर्थ-दोषी के संगत करे ले दंडित होना*
*१४. अपन कनवा बेटा ल घलो कनवा नइ कहैं*
*अर्थ -अपन सोरा आना दोषी औलाद ल दोषहीन कहना*
*१५ लईका जांघ म मैला कर देथे, तव जांघेच ल नइ काटैं*
*अर्थ-अपन औलाद के गलती ल मांफ कर देना*
*१६. ठलहा बैठ के खाए म राजा के खजाना अउ तलाव के पानी घलो नइ पूरै*
*अर्थ-जिनगी ल सुखमय बनाए बर रोज मेहनत करना जरूरी हवय*
*१७. ठलहा बनिया हलावै कनिहा*
*अर्थ-मेहनती मनखे ठलहा बैठ के नइ रहे सकै*
*१८. गत न गरहन बंदन के खईता*
*अर्थ - कोनो काम संहराय लाईक नहीं करना*
*१९. जांगर चलै न जंगरौटा*
*खाए बर गेहूं के रोटा*
*अर्थ-बिना मेहनत करे माल उड़ाना*
*२०. कुकूर के पूछी टेड़गेच रहना*
*अर्थ - गलत आदत कभी भी नहीं सुधारना*
*२१. लबरा के खाय, तभे पतियाय*
*अर्थ- लबरा मनखे कभी भी वादा पूरा नइ करै*
*२२. अपन हीनता काला बताय ?*
*चार बियाय, एक बताय*
*अर्थ-अपन बेइज्जती बात ल छुपा के रखना*
*२३. जईसन तोर बाजा बाजही*
*वईसन मोर नाच होही*
*अर्थ-जईसन के तईसन व्यवहार करना*
*२४ मघा के बरसे,माता के परसे*
*महतारी जैसे मया-दुलार करना*
*२५. सबके हवय राम कहानी*
*कोनो के बीत्ता भर, कोनो के हाथ भर*
*अर्थ - ए दुनिया म सब मनखे दुखी हवंय, कोनो के दुख कमती हवय, कोनो के दुःख ज्यादा हवय*
(दिनांक-१४.०७.२०२२)
आपके अपनेच संगवारी
*, गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर
//हाना के सीख //*
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*१. दुश्मन ल दांव चाही,*
*माछी चाही घाव*,
*कइसे होय गुजर-बसर*?
*का जुगती अपनाव ?*
*२. दुश्मन ल दांव झन दे*
*माछी झन दे घाव |*
*संयम ले गुजर-बसर*,
*"गया" जुगती अपनाव*||
*३. बेटवा ले बहुरिया गरू*
*दुबर गरू मोटरा*
*ऊंटवा पहार चढ़ै,*
*बोले लागे तोतरा ||*
*४. भूखहा ल दाल-भात*
*प्यासा ल पानी ||*
*बीमरहा ल परहेज,*
*सरल होय जिनगानी*||
*५. पानी गए ले पार बांधे,*
*बुजदिल का पाए ?*। *चलनी म गाय दुहे*
*करम ल ठठाए !!*
*६.मोबाईल बिगाड़े टुरी-टुरा*
*चाल बिगाड़े मोटर |* *चाय बिगाड़े बिहनिया बूता*
*जात बिगाड़े होटल !!*
*७. गांजा बर चना-चबेना*,
*भांग बर चाही घी* |
*दारू बर चखना चाही,*
*सोच-समझ के पी*||
*८. ग्यानी बर ग्यान बुध*
*सठ बुध लाठी* |
*सियानी बुध कम बात*,
*लईका बुध बांटी*||
*९. रोवत लईका झन धरै*
*झन धरै नंगरिहा के नांगर*|
*कुकर्मी मनखे के संग झन धरै*
*झन धरै पाही टांगर !!*
*१०. बिड़ी सिगरेट तम्बाकू ले,*
*पेट भरै न पुरखा तरै !*
*गर म केंसर-पेट म अल्सर*
*अकाल मिरतू मरै !!*
(दिनांक-१६.०७.२०२२)
संकलन करैया
*गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)
🙏☝️✍️❓✍️👏
प्रिय भाई जितेंद्र वर्मा जी
ReplyDeleteजोहार पांयलागी
ए हाना ल पढ़ैया जम्मो भाई-बहिनी ल नवा-नवा सीख मिलही |
छत्तीसगढ़ी हाना ल पढ़ के सुन के तन-मन गदगद हो जाथे |
छंद के छ गद्य खजाना म ए जम्मो हाना ल सहेज के राखे बर हिरदय ले धन्यवाद अउ आभार |
बहुत सुन्दर सर जी
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