Sunday 17 July 2022

छत्तीसगढ़ी हाना

  छत्तीसगढ़ी हाना 

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*१. धान भाई भली*

      *कुटी खाई चली*

*अर्थ- धान ले चाऊर निकाल के भोजन पकाना सरल-सुगम काम आय*


*२.  सेतुवा- मनमेतुवा*

    *कब घोली,कब घाली ?*

*कब गिलास ढाली*

*कब कंठ उतारी ?*

*अर्थ:- सेतुवा पावडर ल घोल के पीना बड़ा पीचकाट बूता आय*


*३. काड़ी नहीं मूसर*

      *तैं नहीं दूसर*

*अर्थ- एकर से नहीं, तव ओकर से काम पूरा करना |*


*३. ना पहिरे के धोती*

     *ना ओढ़े के दुसाला*

    *तव निचोवौं काला*? 


*अर्थ- बहुंत तंग हाल, करारी साधन से गुजर-बसर करना*


*४. ना पकड़े के पूछी*

    *ना ही धरे के कान*

*अर्थ:- ना गांव म घर, ना ही खार म खेत वाली बात, अर्थात सम्पत्ति विहीन, आधार हीन मनखे होना*


*५. ना उधो के लेना*

       *ना माधो के देना*

*, अर्थ:- किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं होना*


*६. गांव के जोगी जोगड़ा*

    *बाहर के सिद्ध*

*अर्थ- नजदीक या आसानि से उपलब्ध व्यक्ति या वस्तु को महत्व हीन समझना*


*७. तेली घर तेल रहिथे*

    *तव पहार ला नइ पोतैं*

*अर्थ- पर्याप्त मात्रा म कोनो चीज रहिथे,तभो ले दुरूपयोग नहीं करना चाही*


*८. गोल्लर (संढ़वा) ल हरहा कोनो नइ कहैं*

*अर्थ-समर्थवान मनखे ल कसूरवार कोनो नइ कहैं*


*९. गुड़-गोबर एक कर देना*


*अर्थ- मूल्यवान वस्तु ल मूल्यहीन बना देना*


*१०. एके पूस म जाड़ नइ जाय*

*अर्थ-बुरा वक्त सबके साथ खच्चित आथे*


*११. दूध के जरे ह मही ल फूंक-फूंक के पीथे*

*अर्थ-एक बार कोनो व्यक्ति या वस्तु  से धोखा खाए के बाद मनखे सचेत हो जाथे*


*११. छाती म कोदो दरना*

*अर्थ - कोनो मनखे ल बार-बार खरा-खोटा सुनाना*


*१२. हरही गाय कछारे जाय*

*अर्थ- एक बार चोरी या कुकर्म के आदत होय ले बार-बार कुकर्म करना*


*१३. हरहा संग कपिला के विनाश*

*अर्थ-दोषी के संगत करे ले दंडित होना*


*१४. अपन कनवा बेटा ल घलो कनवा नइ कहैं*

*अर्थ -अपन सोरा आना दोषी औलाद ल दोषहीन कहना*


*१५ लईका जांघ म मैला कर देथे, तव जांघेच ल नइ काटैं*

*अर्थ-अपन औलाद के गलती ल मांफ कर देना*


*१६. ठलहा बैठ के खाए म राजा के खजाना अउ तलाव के पानी घलो नइ पूरै*

*अर्थ-जिनगी ल सुखमय  बनाए बर रोज मेहनत करना जरूरी हवय*


*१७. ठलहा बनिया हलावै कनिहा*

*अर्थ-मेहनती मनखे ठलहा बैठ के नइ रहे सकै*


*१८. गत न गरहन बंदन के खईता*

*अर्थ - कोनो काम संहराय लाईक नहीं करना*


*१९. जांगर चलै न जंगरौटा*

     *खाए बर गेहूं के रोटा*

*अर्थ-बिना मेहनत करे माल उड़ाना*


*२०. कुकूर के पूछी टेड़गेच रहना*

*अर्थ - गलत आदत कभी भी नहीं सुधारना*


*२१. लबरा के खाय, तभे पतियाय*

*अर्थ- लबरा मनखे कभी भी वादा पूरा नइ करै*


*२२. अपन हीनता काला बताय ?*

    *चार बियाय, एक बताय*

*अर्थ-अपन बेइज्जती बात ल छुपा के रखना*


*२३. जईसन तोर बाजा बाजही*

      *वईसन मोर नाच होही*

*अर्थ-जईसन के तईसन व्यवहार करना*


*२४ मघा  के बरसे,माता के परसे*

*महतारी जैसे मया-दुलार करना*


*२५. सबके  हवय राम कहानी*

   *कोनो के बीत्ता भर, कोनो के हाथ भर*

*अर्थ - ए दुनिया म सब मनखे दुखी हवंय, कोनो के दुख कमती हवय, कोनो के दुःख ज्यादा हवय*


(दिनांक-१४.०७.२०२२)


आपके अपनेच संगवारी

*, गया प्रसाद साहू*

    "रतनपुरिहा"

*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर 


//हाना के सीख //*

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*१. दुश्मन ल दांव चाही,*

       *माछी चाही घाव*,

*कइसे होय गुजर-बसर*?

    *का जुगती अपनाव ?*


*२. दुश्मन ल दांव झन दे*

   *माछी झन दे घाव |*

*संयम ले गुजर-बसर*,

    *"गया" जुगती अपनाव*||


*३. बेटवा ले बहुरिया गरू*

  *दुबर गरू मोटरा*

*ऊंटवा पहार चढ़ै,*

    *बोले लागे तोतरा ||*

*४. भूखहा ल दाल-भात*

    *प्यासा ल पानी ||*

*बीमरहा ल परहेज,*

    *सरल होय जिनगानी*||


*५. पानी गए ले पार बांधे,*

    *बुजदिल का पाए ?*। *चलनी म गाय दुहे*

       *करम ल ठठाए !!*

*६.मोबाईल बिगाड़े टुरी-टुरा*

   *चाल बिगाड़े मोटर |* *चाय बिगाड़े बिहनिया बूता*

    *जात बिगाड़े होटल !!*


*७. गांजा बर चना-चबेना*,

    *भांग बर चाही घी* |

*दारू बर चखना चाही,*

   *सोच-समझ के पी*||


*८. ग्यानी बर ग्यान बुध*

   *सठ बुध लाठी* |

*सियानी बुध कम बात*,

   *लईका बुध बांटी*||


*९. रोवत लईका झन धरै*

   *झन धरै नंगरिहा के नांगर*|

*कुकर्मी मनखे के संग झन धरै*

*झन धरै पाही टांगर !!*


*१०. बिड़ी सिगरेट तम्बाकू ले,*

   *पेट भरै न पुरखा तरै !*

*गर म केंसर-पेट म अल्सर*

   *अकाल मिरतू मरै !!*


(दिनांक-१६.०७.२०२२)



संकलन करैया


*गया प्रसाद साहू*

  "रतनपुरिहा"

*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)


🙏☝️✍️❓✍️👏

2 comments:

  1. प्रिय भाई जितेंद्र वर्मा जी
    जोहार पांयलागी
    ए हाना ल पढ़ैया जम्मो भाई-बहिनी ल नवा-नवा सीख मिलही |
    छत्तीसगढ़ी हाना ल पढ़ के सुन के तन-मन गदगद हो जाथे |
    छंद के छ गद्य खजाना म ए जम्मो हाना ल सहेज के राखे बर हिरदय ले धन्यवाद अउ आभार |

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  2. बहुत सुन्दर सर जी

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