Sunday 17 July 2022

पलारी के छैमासी शिव मंदिर*


*पलारी के छैमासी शिव मंदिर*


- *दुर्गा प्रसाद पारकर* 

                        

छत्तीसगढ़ देवता धामी के गढ़ आय। गांव होवय चाहे शहर जंगल होवय चाहे पहाड़। खेत होवय चाहे खार, नही ते नदिया करार। अपार मंदिर देवालय हे। अइसे कोनो गांव नइ होही जिंहा भोले भंडारी के मंदिर नइ होही अऊ जिंहा मंदिर नइ होही ते शिवलिंग जरुर होही। काबर कि ओखर मनइया तो घरो घर हे चाहे ओहा सावन होवय चाहे भादो चाहे शिवरात्रि। कतको गांव म तो शिव मंदिर करा कसाकस मेला भराथे। जिंहे नांद बइला म बेल चघा के अउ नरियर के भेला चघा के अपन मनोकामना बर असीस मांगथे अउ ठिन्न ले घन्टी बजाथे | धमतरी गुण्डरदेही रद्दा म पलारी गांव परथे। उहें भारी जुन्नेट शिव मंदिर हे। उहें के मंदिर म हीरादास साहू ह घंटी बजा के बताथे कि सियान मन बताथे ग-जब इहां के मंदिर ह बने रिहिस ओ समे छै महीना के रात रिहिस। बड़े-बड़े पखना म छपे फोटू - ह अपन समे के इतिहास के बक्का फोरत हे।

शिवजी के मंदिर ह तरिया के पार म बने हे। तभे तो दरसन करइया मन तरिया म गोड़ हाथ धो के अवघट दानी भोले भंडारी जी के दरसन परसन बर चघथे। मंदिर के नेव ह बड़े बड़े पखना ले धराये हे। छै फीट लम्हरी अउ दू फीट मोट्ठा पखना ले ए मंदिर ह बने हे। मंदिर के बनावट ले ओकर इतिहास के अंदाज लगाए जा सकत हे। लोगन मन के मानना हे कि ए मंदिर ह बौद्ध काल के होही। एकर गवाही ओकर बनवट हे। कोड़ई के बखत जऊन मुर्ती मिले हे, ओमा बुद्द काल नही ते ओकर तीर तार के होही अइसे संभावना दिखथे।

मंदिर के भीतरी म शिवलिंग हे। जेहा भारी फुरमानुक हे। तभे तो मंदिर भीतर कुंड (जलहरी) म दरसन करइया मन पानी डालथे। कुंड म जतका पानी डालथे ओहा मंदिर के भीतरे भीतर तरिया म जा के समा जथे। पानी ह सुरंगे सुरंग निकलथे।

मंदिर के आगु डाहर मुहाटी म गंगा-जमुना देवी के मूर्ती मन भावन हे। ओकरे लक्ठा म हनुमान जी के छापा छपाए हे। जउन ह देखे के लइक हे। कतको पखना म खुदाई करे गे हे। अइलगे- अइलगे पखना म सात झन भाई मन के छापा ह चकचक ले चिन्हावत हे।

मंदिर के गुम्बद के चारो दिशा म सूर्यदेव के छापा हे बीच म कुछ के चिन्हा नइ हे। मंदिर बहुंते जुन्ना आय। सियान मन बताथे कि हम जब ले देखत हन तब ले अइसने देखत हन। उदपहा देखबे ते अइसे लागथे कि मंदिर अबक तबक गिरतेच हे। जउने देखथे उही कथे कि मंदिर के अइसन गीरे हालत देख-रेख के अभाव म होवत हे फेर देखे कोन। अब गांव वाले मन ल चेत आगे हे तभे तो दस बारा साल होगे गांव वाले मन मंदिर के देख भाल करत हे।

तिही पाए के अब इहां सांप बिच्छी दिखै नही ते पहिली तो बड़ेब बड़े सांप अऊ करिया भूरवा बिच्छी मन उहां माढ़ा बना ले रिहिस। मंदिर के पूजेरी राजेश्वर नाथ झा के देख रेख म मंदिर म धार्मिक कार्यक्रम होवत रथे बखत बखत म। अब तो मंदिर के बगल म पुजेरी ह नानकुन मकान बना ले हे। झा ह इहें परिवार सहित रथे। समे - समे म श्रद्धालु मन तनी ले रमायण किर्तन अउ भजन के कार्यक्रम होवत रथे।

मंदिर के कोनो लिखित इतिहास तो नइहे। फेर पुरातत्व विभाग ह घलो शिव मंदिर के दर्शन कर के असीस पा लेतीन अइसे इहें के सियान मन के आसा हे। काबर के पलारी के अद्भुत शिव मंदिर ह भारतीय संस्कृति अउ धर्म के चिन्हा आय। लोगन मन तो यहू कथे कि छत्तीसगढ़ म अइसन चमत्कारिक मंदिर दुसर करा अऊ देखे बर नइ मिलै। अइसन मंदिर देखे ले अइसे लागथे कि आज ले कोनो जादा भगवान उपर आस्था पहिली जमाना के मन ल रिहिस हे तइसे लागथे। तभे तो अद्भुत-अद्भुत मंदिर देखे बर मिलथे। ओइसन आज कोनो जघा बनत नइ देखे जा सके।

 

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